पूर्णिया : सदर अस्पताल के अधिकांश अतिआवश्यक सेवा कई माह से बंद पड़ी हुई हैं. इसमें अल्ट्रासाउंड, कई पैथोलॉजिकल जांच, डाइलीसिस सेवा लंबे समय से बंद है. इन सेवाओं के बंद रहने से एक ओर जहां मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर यहां इलाज कराने के मायने भी बदल रहे हैं.
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मरीज की उम्मीदों पर खड़ा नहीं उतर रहा सदर अस्पताल
पूर्णिया : सदर अस्पताल के अधिकांश अतिआवश्यक सेवा कई माह से बंद पड़ी हुई हैं. इसमें अल्ट्रासाउंड, कई पैथोलॉजिकल जांच, डाइलीसिस सेवा लंबे समय से बंद है. इन सेवाओं के बंद रहने से एक ओर जहां मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर यहां इलाज कराने के मायने भी […]
इन अत्यावश्यक सेवा के बंद रहने से यहां उम्मीद के साथ आये मरीजों को निराश वापस लौटना पड़ रहा है. हैरानी की बात यह है कि इन आवश्यक सुविधाओं की बहाली की दिशा में विभाग खामोश है.
अल्ट्रासाउंड सेवा दो माह से बंद : जननी बाल सुरक्षा योजना के मद्देनजर अल्ट्रासाउंड सुविधा काफी अहम माना जाता है. यहां अल्ट्रासाउंड सेंटर एक आउटसोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से चलाया जा रहा था. दो माह पूर्व यहां कार्यरत रेडियोलॉजिस्ट की मौत सड़क दुघर्टना में हो जाने के बाद से यह सेंटर बंद पड़ा है.
यहां हर रोज लगभग डेढ़ सौ के आस पास गर्भवती एवं अन्य मरीजों का अल्ट्रासाउंड किया जाता था. लेकिन अब यह सुविधा बंद रहने से जांच कराने आने वाली गर्भवती को भारी परेशानी का सामना उठाना पड़ रहा है. कई लोग तो विवशता में बाहर से अल्ट्रासाउंड करा लेते हैं, लेकिन गरीब गर्भवती बिना जांच कराये ही घर वापस चली जाती हैं. इस सेवा के लंबे समय से बंद रहने के कारण सुरक्षित प्रसव की कवायदों पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
पैथोलॉजिकल जांच भी प्रभावित : सदर अस्पताल के पैथोलॉजी में तमाम तरह के जांच मरीजों को उपलब्ध कराया जाता था. हाल के दिनों में कई प्रकार के जांच सदर अस्पताल में नहीं किये जा रहे हैं. इससे मरीजों काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जानकार बताते हैं कि जो जांच सरकारी पैथोलॉजी में नहीं हो पा रही है,वह जांच टेली मेडिसिन सेंटरों में अनुदानित मूल्य पर की जाती है. इसके बावजूद कई प्रकार जांच दोनों ही स्थानों में उपलब्ध नहीं होने से मरीजों को सदर अस्पताल पहुंचना बेमानी लग रहा है. जानकार बताते हैं कि अस्पताल में कई प्रकार के जांच के किट ही उपलब्ध नहीं है. कई जांचों के रसायन भी उपलब्ध नहीं होने से यह समस्या उत्पन्न हो रही है.
डाइलीसिस सेवा एक वर्ष से बंद : सदर अस्पताल के सबसे महत्वपूर्ण सेवाओं में गुर्दा रोग से ग्रसित मरीजों के ले लिए डाइलीसिस सेवा है. यहां डाइलीसिस की तीन यूनिट स्थापित की गयी है. लगभग एक वर्ष से यह सेवा बंद है.
सभी डाइलीसिस यूनिट खराब पड़े हुए हैं. कई बार डीएम ने इस यूनिट की मरम्मत कराने के आदेश भी दिये, लेकिन अब तक इसकी मरम्मत नहीं हो सकी है. इसका खामियाजा यहां के गरीब मरीजों को उठाना पड़ रहा है. सदर अस्पताल में यह सेवा बंद रहने के कारण मरीजों को बाहर से महंगी दरों पर डाइलीसिस कराना पड़ रहा है, जबकि सदर अस्पताल में मरीजों को यह सेवा महज 1100 रुपये में उपलब्ध हो जाती थी. इतनी महत्वपूर्ण सेवा के बंद रहने से गरीब मरीजों की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है.
अत्यावश्यक सेवा के बंद रहने से मायूस हो घर लौट जाते हैं मरीज
सिटी स्कैन सेवा वर्षों से है बंद : यहां के ट्रॉमा मरीजों के लिए आउट सोर्सिंग एजेंसी के माध्यम से सीटी स्कैन की व्यवस्था पूर्व में थी. जहां मरीजों को लागत मूल्य पर सीटी स्कैन की व्यवस्था थी. लगभग दो वर्ष पूर्व इस सेवा को भी सदर अस्पताल में बंद कर दिया गया है. यहां इलाज के लिए आने वाले एक्सीडेंटल मरीज को बाजार से सीटी स्कैन कराना पड़ रहा है, जो काफी महंगा साबित होता है. गौरतलब है कि सदर अस्पताल में रोजाना दस से अधिक एक्सीडेंटल मरीज सदर अस्पताल में भरती होते हैं, जिन्हें सीटी स्कैन के लिए मरीजों को बाहर का रास्ता देखना पड़ता है.
बंद पड़े सेवाओं को शीघ्र चालू करने की दिशा में काम चल रहा है. सभी सेवाओं को शीघ्र चालू कर दिया जायेगा.
डॉ एम एम, वसीम
सिविल सर्जन,पूर्णिया
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