-प्रशांत चौधरी-
पूर्णियाः डीआइजी पारसनाथ ने कहा कि राघव अपहरण प्रकरण का मुख्य खलनायक सह अपहर्ता राजवीर नटवरलाल है. उसका नाम कुछ और है. उसने फेक नाम के सहारे इस घटना को अंजाम दिया है, ताकि किसी को उसका पता न चल सके. श्री पारसनाथ ने कहा कि उसका सीम कार्ड भी फेक निकला और उसका पहचान भी फेक निकला. राजवीर बहुत चालाक है उसने पूरी योजना के साथ घटना को अंजाम दिया है. यहां तक कि बहुत कम समय में राघव से गहरी दोस्ती कर ली, उस पर रुपये भी खर्च किया.
जहां तक बंगाल से रिमांड पर लाये गये तपस पाल का मामला है उसने राजवीर का असली नाम रामनाथ सहनी बताया है जो वैशाली जिले के कटहरा ओपी का रहने वाला है. पुलिस की एक टीम रामनाथ सहनी का पता लगाने गयी थी जहां वह पकड़ में नहीं आया. अभी एक अन्य टीम उसके घर की रेकी कर रही है. रामनाथ के लिंक पटना में भी मिल रहे हैं. हालांकि डीआइजी ने तपस पाल की सच्चई पर भी संदेह जताया है. उन्होंने कहा कि राघव प्रकरण का मामला काफी उलझा हुआ है. राजवीर के ठहरने की कोई स्थायी जगह नहीं है. वह रोज जगह बदल रहा है और अब तक पैतरा भी बदल रहा है. पुलिस को जहां भी सुराग मिल रहा है उस पर रोज अनुसंधान हो रहा है.
अनुसंधान का दायरा बिहार-बंगाल : राघव प्रकरण में अब तक जो भी सुराग मिले उसके तहत पुलिस अनुसंधान का दायरा बिहार और बंगाल में ही चल रहा है. उन्होंने कहा कि 8 वर्ष पूर्व सीमांचल क्षेत्रों के अपहरण संबंधी घटनाओं में अपराधियों का ठिकाना बंगाल के सिलिगुड़ी क्षेत्र में पाया गया था. कई मामलों का उदभेदन भी किया गया जिसमें वहां के आपराधिक गिरोह की संलिप्तता पायी गयी थी. उन्होंने कहा कि जब तक राघव-राजवीर का कोई ठोस लिंक नहीं मिलेगा तब तक कुछ कहा नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि अनुसंधान में एसपी समेत कई पुलिस पदाधिकारी दिन रात काम कर रहे हैं.
सनद रहे कि 24 जनवरी को गुलाबबाग के व्यवसायी अशोक बिहानी का पुत्र राघव बिहानी अचानक गायब हो गया है. उसके गायब होने में राजवीर नामक युवक की संलिप्तता बतायी जा रही है. पुलिस टीम पिछले पंद्रह दिनों से उक्त दोनों के खोज में सर्च अभियान चला रखी है. अभी तक पुलिस अनुसंधान में कोई सुराग नहीं मिला है.