मामला. कर्मियों के रवैये पर फूटा आक्रोश, आरटीओ के सामने हंगामा
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एक घंटे तक काम बािधत
मामला. कर्मियों के रवैये पर फूटा आक्रोश, आरटीओ के सामने हंगामा पूर्णिया : महीनों से अलग-अलग कार्य के लिए जिला परिवहन कार्यालय का चक्कर लगा रहे लोगों का गुस्सा मंगलवार को फूट पड़ा और लोगों ने एक घंटे तक कार्यालय परिसर में जम कर हंगामा किया. आक्रोशित लोगों ने परिवहन विभाग के खिलाफ जम कर […]
पूर्णिया : महीनों से अलग-अलग कार्य के लिए जिला परिवहन कार्यालय का चक्कर लगा रहे लोगों का गुस्सा मंगलवार को फूट पड़ा और लोगों ने एक घंटे तक कार्यालय परिसर में जम कर हंगामा किया. आक्रोशित लोगों ने परिवहन विभाग के खिलाफ जम कर नारेबाजी की. आक्रोशित लोगों का कहना था कि परिवहन कार्यालय में बिना रिश्वत दिये कोई भी कार्य नहीं होता है. रिश्वत नहीं दिये जाने पर छोटे-छोटे काम के लिए लोगों को परेशान किया जाता है
और बार-बार कार्यालय का चक्कर लगाने के लिए मजबूर किया जाता है. आक्रोशित लोग परिवहन कार्यालय के लिपिक संजय कुमार पर नाजायज वसूली का भी आरोप लगा रहे थे. हंगामा के दौरान ही जिला परिवहन पदाधिकारी कृष्ण मोहन सिंह कार्यालय पहुंचे और हंगामा कर रहे लोगों से कार्यालय वेश्म में बैठ कर बातचीत की और उन्हें समझाने का प्रयास किया.
बाद में इस बाबत लोगों द्वारा जिला पदाधिकारी को भी आवेदन सौंप कर परिवहन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायत की गयी.
वर्षों से कार्यालय का चक्कर लगा रहे लोग
आक्रोश प्रदर्शन कर रहे लोगों में अधिकांश युवा थे. इन लोगों में से अधिकांश की समस्या यह थी कि महीनों पूर्व उन्होंने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए चालान जमा किया था. लेकिन उनका लाइसेंस निर्गत नहीं हो पा रहा था. परेशान सचिन कुमार ने बताया कि कर्मी द्वारा बताया जाता है कि चालान की समय सीमा समाप्त हो गयी है. लेकिन जो लोग रिश्वत दे देते हैं, उनका काम हो जाता है. गढ़िया बलुआ के तौकीर आलम ने बताया कि वे जनवरी माह से ही ड्राइविंग लाइसेंस के लिए दौड़ रहे हैं. जिस संजय कुमार के क्रियाकलाप पर सवाल उठाये गये, उस पर पहले भी सवाल उठते रहे हैं. खास बात यह है कि श्री कुमार का स्थानांतरण 22 अगस्त को ही हो चुका है. बावजूद वे परिवहन कार्यालय में बने हुए थे.
कार्यालय में िरश्वत लेने का आरोप िनराधार
चुनाव और प्राकृतिक आपदा की वजह से परिवहन विभाग का कार्य प्रभावित हुआ. जिसे अब लगभग सुचारू कर लिया गया है. संजय कुमार का पहले ही स्थानांतरण कर दिया गया था. उनकी जगह स्थानांतरित होकर आये लिपिक ने योगदान नहीं किया था. इसीलिए संजय कुमार विरमित नहीं किये गये थे. कार्यालय में रिश्वत लिए जाने का आरोप निराधार है.
कृष्ण मोहन सिंह, डीटीओ, पूर्णिया
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