पूर्णिया : नगर निगम में शामिल पांच पंचायत के वे हिस्से जिन्हें वर्ष 2011 में निगम क्षेत्र में शामिल किया गया था, उनकी सूरत आज भी जस की तस बनी हुई है. पूर्णिया पूर्व प्रखंड के मरंगा, मरंगा पूर्व, बेलौरी, अब्दुल्लाह नगर और हंसदा पंचायत को हटा कर तीन वार्ड का निर्माण हुआ था. हालात यह है कि इन वार्डों में नियम-कायदे तो शहरी लागू हैं,
टैक्स भी शहर की तरह ही लगता है, लेकिन शहरी योजनाओं का लाभ आज भी मयस्सर नहीं है. नतीजा यह है कि इन वार्डो में रहने वाले लोग अपनी किस्मत को कोस रहे हैं. यह दीगर बात है कि नगर निगम करोड़ों का बजट पास कर शहर को सुंदर सुसज्जित, सुविधा युक्त और व्यवस्थित शहर बनाने का दावा करता रहा है. लेकिन सच्चाई यह भी है कि इन पांच पंचायतों से कटे हिस्सों में शहरी विकास एवं आम जनता के लिए मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है.
पहले था गांव अब हुआ शहर : वर्ष 2011 में मरंगा, मरंगा पूर्व, बेलौरी, अब्दुल्ला नगर तथा हासदा का वह हिस्सा जो नगर परिषद के सीमा से सटा था उसे नगर परिषद में समाहित कर नगर निगम का गठन हुआ था. तब इस इलाकों के विकास को लेकर बड़े-बड़े सपने दिखाये गये थे. लेकिन बीते पांच वर्ष में न तो सड़क, नाला, पेयजल, बिजली की व्यवस्था और न ही सुलभ शौचालय की व्यवस्था हुई. बल्कि विकास के दौर में पिछले इन इलाकों के लिए कोई विशेष पैकेज की व्यवस्था भी नहीं हो पायी अलबत्ता आज यहां स्थिति गांव जैसी ही है.
टैक्स बढ़ी सुविधा नहीं : विडंबना तो यह है कि नगर निगम इन इलाकों में रहने वाले लोगों पर निगम टैक्स तो लगा दिया, लेकिन सुविधा के नाम पर सुविधा सिफर रही. कई सर्वे हुए और टैक्स वृद्धि भी हुई. खेत, खलिहान और परती जमीनों का टैक्स भी निगम वसूल रहा है लेकिन विकास के लिए निगम द्वारा बने बजटों में अतिरिक्त पैकेज के नाम पर हाथ खाली दिखा दिया गया. जो वार्ड पूर्णत: शहरी सुविधा से लैस है उसे भी बजट में वही स्थान मिलता रहा जितना उन वार्डों को जिनका विकास शहर तो क्या गांवों के लिहाज से भी पूरा नहीं हुआ है.
बेहतर नहीं है स्थिति : निगम क्षेत्र में शामिल इन नये वार्डों की स्थिति बद से बदतर है. हालांकि यहां से निगम को आय का बड़ा स्रोत प्राप्त होता है. मरंगा, मरंगा पूर्व, बेलौरी और अब्दुल्लाह नगर के ये इलाके मिनी इंडस्ट्रीयल इलाका के रूप में जाना जाता है. यहां सैकड़ों छोटे बड़े उद्योग और बड़े-बड़े गोदाम मौजूद है. लेकिन उस लिहाज से यहां विकास दिखायी नहीं देता है.
अतिरिक्त पैकेज की होगी जरूरत
दरअसल गांव से शहर में जुड़े इस इलाके को निगम के अतिरिक्त पैकेज की जरूरत है. वह इसलिए कि एक बार फिर शहर के विस्तार की कवायद जारी है. वहीं दूसरी तरफ निगम द्वारा अब तक विकसित और अर्ध विकसित वार्डों को समान बजट अधिकार दिया जाता रहा है. लिहाजा अगर उन इलाकों के विकास के लिए अतिरिक्त पैकेज की व्यवस्था नयी कमेटी द्वारा होती है तो विकास से वंचित इस इलाके के लिए भी कुछ बेहतर हो सकेगा.
बीते वर्षों में क्या हुआ उस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. हमारी कोशिश है कि जो भी वार्ड अब तक विकास मामले में उपेक्षित है उसका सर्वांगीण विकास हो सके. इसके लिए कवायद भी आरंभ हो गयी है. छह महीने के बाद परिणाम भी दिखने लगेगा.
विभा कुमारी, मेयर
जितेंद्र बने संयोजक, नीरज पूजा समिति के संरक्षक