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ब्लैकलिस्टेड कंपनी भी सूची में

आउट सोिर्संग एजेंसी के चयन में बरती जा रही मनमानी! पूर्णिया : स्वास्थ्य विभाग में अभिरुचि की अभिव्यक्ति के तहत आउट सोर्सिंग बहाली की प्रक्रिया चल रही है. इसमें तमाम कायदे को ताक पर रख कर दागी आउटसोर्स एजेंसी को तकनीकी भाग के लिए चयनित कर लिया गया है. अभिरुचि की अभिव्यक्ति के तहत लगभग […]

आउट सोिर्संग एजेंसी के चयन में बरती जा रही मनमानी!

पूर्णिया : स्वास्थ्य विभाग में अभिरुचि की अभिव्यक्ति के तहत आउट सोर्सिंग बहाली की प्रक्रिया चल रही है. इसमें तमाम कायदे को ताक पर रख कर दागी आउटसोर्स एजेंसी को तकनीकी भाग के लिए चयनित कर लिया गया है. अभिरुचि की अभिव्यक्ति के तहत लगभग 20 आवेदन पड़े थे, जिसमें से विभाग ने नौ एजेंसी को तकनीकी भाग से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. इन नौ एजेंसी में दो एजेंसी को दागी करार दिया गया था.
विभाग ने ग्यारह एजेंसी को वित्तीय भाग के लिए चयन किया है. इन ग्यारह आउट सोर्सिंग एजेंसी में दो एजेंसी दागी बतायी जा रही है, जो कंडिका 15 के उल्लंघन की दोषी हैं. ऐसे में चर्चा का बाजार गरम है कि दागियों पर विभाग मेहरबान क्यों है.
दागी कैसे हो गये पाक-साफ
19 अगस्त 2014 को तत्कालीन डीएम ने श्रीनगर पीएचसी का औचक निरीक्षण किया था. जिसमें डीएम ने अस्पताल की साफ-सफाई एवं शौचालय को रोगियों के उपयोग लायक नहीं पाते हुए आउटसोर्सिंग एजेंसी का दस प्रतिशत भुगतान काटने का निर्देश दिया था. जलालगढ़ पीएचसी में भी यही आरोप लगे थे. जो कंडिका 15 का उल्लंघन की श्रेणी में आता है
. यही मामला दूसरे आउट सोर्स एजेंसी का भी बताया जा रहा है. जिस मामले में बी कोठी में भुगतान कटौती के आदेश दिये गये थे. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि संतोषजनक कार्य नहीं करने वाले महज दो आउट सोर्स एजेंसी स्वास्थ्य विभाग के कृपापात्र कैसे बन गये.
क्षेत्रीय उपनिदेशक व सीएस के बयान हैं अलग-अलग
जो एजेंसी ब्लैक लिस्टेड थी, उसकी जानकारी बोर्ड को प्रतिभागी आउट सोर्स एजेंसी को देना चाहिए था. किंतु उस वक्त किसी ने इस बात की जानकारी नहीं दी. इस तकनीकी भाग की सूची में कोई ब्लैक लिस्टेड नहीं है.
डा एमएम वसीम, सिविल सर्जन, पूर्णिया
ए टू जेड आउटसोर्सिंग एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड कर अभिरुचि की अभिव्यक्ति से बाहर रखने का मामला आयुक्त के पास है. उन्हें ही कार्रवाई करनी है. जिस एजेंसी को जिस समय ब्लैक लिस्टेड किया जाता है,उसका सभी सामान उसी समय जब्त कर लिया जाता है.
आखिर किसके निर्देश पर सिविल सर्जन द्वारा ब्लैक लिस्टेड एजेंसी से लगभग तेरह माह तक काम लिया गया, यह जांच का विषय है. ऐसी जानकारी मिल रही है कि तकनीकी भाग में अब भी कई ब्लैक लिस्टेड एजेंसी को शामिल किया गया है.
डा जगदीश प्रसाद, क्षेत्रीय उपनिदेशक ,स्वास्थ्य सेवाएं

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