खुलासा. नदियों से घिरा यह इलाका प्रशासनिक िनगहबानी से है दूर
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माघपाला में होती है गांजा की खेती
खुलासा. नदियों से घिरा यह इलाका प्रशासनिक िनगहबानी से है दूर कूच बिहार का माघपाला गांजा की खेती के लिए मशहूर रहा है. दरअसल इसकी भौगोलिक बनावट इस कदर दुरूह है कि यहां गांजा की खेती धड़ल्ले से की जाती है. नदियों से घिरा यह इलाका प्रशासनिक निगहबानी से दूर माना जाता है. पूर्णिया : […]
कूच बिहार का माघपाला गांजा की खेती के लिए मशहूर रहा है. दरअसल इसकी भौगोलिक बनावट इस कदर दुरूह है कि यहां गांजा की खेती धड़ल्ले से की जाती है. नदियों से घिरा यह इलाका प्रशासनिक निगहबानी से दूर माना जाता है.
पूर्णिया : गांजा तस्कर करणवीर सिंह की गिरफ्तारी के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि पूर्णिया के रास्ते पश्चिम बंगाल से बिहार के कई शहरों समेत उत्तरप्रदेश तक गांजा की खेप पहुंचायी जाती रही है. पुलिस द्वारा की गयी पूछताछ में करणवीर से कई चौंकाने वाली बातें सामने आयी है.
करणवीर सिंह माघपाला से बीते एक वर्ष पूर्व ही गांजा के कारोबार से जुड़ा था. उसका कारोबार न केवल भोजपुर जिला तक, बल्कि उत्तरप्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्र तक फैला हुआ था. अक्सर करणवीर देर रात को ही बिहार के इलाके को पार किया करता था. इस वजह से वह अब तक पुलिस की नजरों से महफूज रहा.
रविवार की रात भी वह आसानी से बच निकलता, अगर पुलिस को देख कर भागने का प्रयास नहीं किया होता. जानबूझ कर करणवीर द्वारा होंडा सिटी जैसे कार का इस्तेमाल इस धंधे में किया जा रहा था ताकि आसानी से किसी को शक नहीं हो.
यहां धड़ल्ले से होती है गांजा की खेती
कूच बिहार का माघपाला गांजा की खेती के लिए मशहूर रहा है. दरअसल इसकी भौगोलिक बनावट इस कदर दुरूह है कि यहां गांजा की खेती धड़ल्ले से की जाती है. नदियों से घिरा यह इलाका प्रशासनिक निगहबानी से दूर माना जाता है. खास बात यह है कि बंग्लादेश का सीमावर्ती क्षेत्र माघपाला से जुड़ता है. इस पूरे सीमावर्ती क्षेत्र में अन्न से अधिक गांजा की खेती होती है. इसी वजह से यहां गांजा काफी सस्ता मिलता है. इस इलाके से गांजा की तस्करी कर पूर्वोत्तर राज्यों समेत बंग्लादेश तक ले जाया जाता है.
कहते हैं एसडीपीओ
इस संबंध में एसडीपीओ राजकुमार साह ने कहा िक गिरफ्तार गांजा तस्करों के संबंध में जानकारी के लिए भोजपुर पुलिस से संपर्क स्थापित किया गया है. शीघ्र ही इस बात का भी खुलासा हो जायेगा कि उक्त दोनों के साथ इस अवैध कारोबार में और कौन-कौन से लोग शामिल है.
देखते ही देखते करणवीर की बदली किस्मत
दरअसल गांजा की तस्करी से पहले करणवीर एक सामान्य युवक था. जब इस कारोबार से जुड़ा तो वह एक अन्य कारोबारी से गांजे की खरीद किया करता था. लेकिन बाद में जब उसका कारोबार फलने-फूलने लगा तो सीधे तौर पर माघपाला के आपूर्तिकर्ता से संबंध स्थापित किया. गत दो माह से वह लगातार माघपाला आकर गांजा की खेप ले जाया करता था. देखते ही देखते करणवीर का रंग-ढंग बदलता चला गया.
कुछ ही दिनों में करणवीर ने अपनी साख इतनी पक्की कर ली कि उसे उधार भी गांजा मिलने लगा. माल ले जाने के बाद पुन: बेचने पर बकाया राशि करणवीर द्वारा अदा की जाती थी. करणवीर ने बताया कि वह 215 किलो 400 ग्राम गांजा के एवज में 1.65 लाख रूपये जमा किया. बताया कि शेष राशि दूसरी खेप में जमा की जाती. गांजा तस्करी का दूसरा अभियुक्त दीपक कुमार राय ने बताया कि वह करणवीर के कार का चालक है और पहली बार उसके साथ भोजपुर से कूच बिहार गाड़ी चला कर गया था. इस धंधे में उसकी किसी प्रकार की संलिप्तता नहीं है.
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