मनमानी. लाइसेंसी कारोबारी हर रोज सरकार को लगा रहे हैं लाखों के राजस्व का चूना
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लाइसेंस तीन को, सजती हैं 30 दुकानें
मनमानी. लाइसेंसी कारोबारी हर रोज सरकार को लगा रहे हैं लाखों के राजस्व का चूना महज तीन लोगों ने ही गिट्टी, बालू के कारोबार का लाइसेंस लिया है, वहीं एनएच 31, एनएच 57 और गुलाबबाग जीरोमाइल के आसपास लगभग 30 से अधिक दुकानें हर रोज सजती है. विडंबना तो यह है कि गिट्टी और बालू […]
महज तीन लोगों ने ही गिट्टी, बालू के कारोबार का लाइसेंस लिया है, वहीं एनएच 31, एनएच 57 और गुलाबबाग जीरोमाइल के आसपास लगभग 30 से अधिक दुकानें हर रोज सजती है. विडंबना तो यह है कि गिट्टी और बालू के कारोबार पर 13 फीसदी टैक्स निर्धारित है, लेकिन बिना लाइसेंस के इस धंधे को अंजाम देकर गैर लाइसेंसी कारोबारी हर रोज सरकार को लाखों के राजस्व का चूना लगा रहे हैं
पूर्णिया : प्रशासन के नाक के नीचे हर रोज नियम और कानून की धज्जियां उड़ती है. नियम और कानून को ताक पर रख सरेआम काली कमाई से धनार्जन करने वालों के रुतबा का आलम यह है कि न खनन विभाग, जिला प्रशासन और न ही वाणिज्य कर विभाग ही इस पर शिकंजा कस रहा है. फलाफल यह है कि संबंधित विभाग से जहां महज तीन लोगों ने ही गिट्टी, बालू के कारोबार का लाइसेंस लिया है, वहीं एनएच 31, एनएच 57 और गुलाबबाग जीरोमाइल के आसपास लगभग 30 से अधिक दुकानें हर रोज सजती है. विडंबना तो यह है कि गिट्टी और बालू के कारोबार पर 13 फीसदी टैक्स निर्धारित है,
लेकिन बिना लाइसेंस के इस धंधे को अंजाम देकर गैर लाइसेंसी कारोबारी हर रोज सरकार को लाखों के राजस्व का चूना लगा रहे हैं, लेकिन कार्रवाई सिफर है. वहीं दूसरी तरह इन कारोबारियों द्वारा खरीदारों को भी मनमाने तरीके से लुटने का कार्य जारी है.
स्थिति यह है कि खनन विभाग केवल वक्त-वे-वक्त गिट्टी व बालू लदी गाड़ियों को पकड़ता है और फिर खनन व परिवहन विभाग द्वारा महज फाइन की कार्रवाई के बाद मामले की लीपापोती हो जाती है.
िवभाग को क्षति
सूत्रों की मानें तो प्रतिदिन तकरीबन 25 से 30 ट्रक गिट्टी और 30 से 40 ट्रक बालू पाकुड़ व भागलपुर व बांका से गुलाबबाग पहुंचता है, जिसे ट्रैक्टर एवं ट्रक से बेचा जाता है, लेकिन हालात यह है कि इन ट्रकों पर आने वाला बालू व गिट्टी उन्हीं लोगों द्वारा खरीद बिक्री किया जाता है, जिनके पास न तो लाइसेंस है और न ही वो किसी तरह का राजस्व सरकार को चुकाते हैं. यह सब हर रोज खुलेआम खुले सड़क के किनारे होता है, लेकिन कार्रवाई के अभाव में इनकी बल्ले-बल्ले है.
बिना लाइसेंस के चलता है डिपो
इसे जानकारी का अभाव कहे या फिर कुछ और सच्चाई, चाहे जो भी हो, लेकिन यह सत्य है कि गुलाबबाग जीरो माइल के आसपास और राष्ट्रीय राजपथ 31 और 57 के दोनों तरफ करीब 30 के आसपास गिट्टी बालू की दुकानें हैं, जिसमें महज तीन कारोबारियों को ही बजाप्ता लाइसेंस है. मामला यह है कि गिट्टी और बालू पर 13 फीसदी वाणिज्य कर लागू है तो इन कारोबारियों द्वारा बिना लाइसेंस के कैसे कारोबार किया जा रहा है.
लुट रहे हैं गरीब, होती है मनमानी
एक तो सरकारी राजस्व की लूट, इन कारोबारियों द्वारा धड़ल्ले से किया ही जा रहा है. ऊपर से इनके द्वारा बालू और गिट्टी के बिक्री में खरीदारों से मनमाना रेल वसूला जाता है. जानकार बताते हैं कि डिपो मालिकों द्वारा जहां बालू 3300 रुपये प्रति सौ सीएफटी वजन से 4400 क्विंटल खरीदा जा रहा है, वहीं खरीदार को 3600 रुपये प्रति सौ सीएफटी वजन से 3600 क्विंटल बेचा जा रहा है. दूसरी तरफ गिट्टी का भी यह हाल है. यूं कहें कि गिट्टी और बालू के काले कारोबार को अंजाम देने वाले सरकार व पब्लिक दोनों को लूट रहे हैं तो गैरवाजिब नहीं होगा.
सबकी है नजर, किसी को नहीं है खबर
फतेह की बात तो यह है कि सड़क किनारे बाजारों में गिट्टी-बालू की दुकानें सजी है. आते-जाते अधिकारियों की नजरें भी पड़ती है, लेकिन कार्रवाई को लेकर इन्हें कोई खबर नहीं है. सोचने वाली बात तो यह है कि बीते दिनों खनन विभाग द्वारा तकरीबन 09 गाड़ियों को गिट्टी सहित पकड़ा गया था. मौके पर सदर एसडीएम, एसडीएम, परिवहन पदाधिकारी व खनन पदाधिकारी भी मौजूद थे. लेकिन मामला फाइन के बाद सलट गया. ऐसे में न तो गिट्टी के खरीदार का पता चला और न ही उसके लाइसेंसी या गैर लाइसेंसी होने का.
हो कार्रवाई तो राजस्व में होगा इजाफा
दुखद बात तो यह है कि बिना लाइसेंस के फर्जी तरीके से इस कारोबार को अंजाम देने वाले सरेआम दुकान खोल बैठे हैं. लाखों रुपये का सरकार व आम आदमी को चूना लगा रहे हैं, लेकिन विभाग व प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है. वहीं लाइसेंसी कारोबारियों पर सरकारी शिकंजा कसता है. जानकारों का मानना है कि जिला प्रशासन अगर कार्रवाई प्रारंभ करें तो प्रतिमाह लाखों रुपये के राजस्व के साथ फर्जी कारोबारी भी लाइसेंस लेने को मजबूर हो जायेंगे.
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