पूर्णिया : पूर्णिया में मेडिकल कॉलेज की घोषणा के सवा चार वर्ष से अधिक बीत चुके हैं. बावजूद यह घोषणा सरजमी पर नहीं उतर पाया है. लिहाजा लोगों का उत्साह अब असंतोष का रुप लेने लगा है. इस मेडिकल कॉलेज की स्थापना से पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल , पश्चिम बंगाल एवं नेपाल […]
पूर्णिया : पूर्णिया में मेडिकल कॉलेज की घोषणा के सवा चार वर्ष से अधिक बीत चुके हैं. बावजूद यह घोषणा सरजमी पर नहीं उतर पाया है. लिहाजा लोगों का उत्साह अब असंतोष का रुप लेने लगा है. इस मेडिकल कॉलेज की स्थापना से पूर्णिया, अररिया, किशनगंज, कटिहार, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल
, पश्चिम बंगाल एवं नेपाल तक के लोग लाभान्वित होते. पहले से ही मेडिकल हब के रूप में विकसित इस शहर के लिए मेडिकल कॉलेज मील का पत्थर साबित होता. लेकिन इस दिशा में अब तक की कार्रवाई सिफर ही रही है. एक बार फिर जब मुख्यमंत्री पूर्णिया में होंगे तो लोगों को उम्मीद है कि मेडिकल कॉलेज के बाबत ऐसा कुछ जरूर कहेंगे और करेंगे, जिससे अधूरी आस पूरी होगी.
अपग्रेडेशन अब तक
कॉलेज के मापदंड के अनुरूप जमीन उपलब्ध
चार यूनिट डाइलीसिस सेवा उपलब्ध
अत्याधुनिक मशीनों से युक्त एनआइसीयू
नवीनतम तकनीक का आइसीयू वार्ड
एडवांस आॅर्थोपेडिक ओटी
बारह बेड का प्रसव कक्ष
मोरचरी सह अत्याधुनिक पोस्टमार्टम गृह बन कर तैयार
अंत:वार्ड का विस्तार
सुसज्जित नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना
कार्डियोलॉजी विभाग
कैंसर जांच की व्यवस्था
आइएसओ प्रमाणपत्र प्राप्त अस्पताल
सत्र संचालन की दिशा में किये गये काम
सत्र संचालन की दिशा में यहां के मेडिकल कॉलेज के लिए प्राचार्य की नियुक्ति की गयी.इसके बाद मेडिकल कॉलेज में सत्र संचालन हेतु प्राध्यापक भी नियुक्त किये गये थे. प्राचार्य डॉ डॉ एपी सिंह के अनुसार स्थल निरीक्षण हेतु एमसीआई को शुल्क भी जमा किया गया था. किंतु शुल्क जमा होने के बाद भी एमसीआई टीम स्थल निरीक्षण हेतु नहीं पहुंच पायी. बताया जाता है कि इन्हीं कारणों से मेडिकल कॉलेज का मामला अधर में लटक गया. वैसे कॉलेज प्रबंधन ने वर्ष 2015 में ही सत्र संचालन की तैयारी कर ली थी. लेकिन पता नहीं क्यों इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. जैसे जैसे अपग्रेडेशन की रफ्तार धीमी होती गयी, लोगों का उत्साह भी कम पड़ता चला गया.