पूर्णिया : गत वर्ष हुए तीन हत्याकांड लोगों के लिए आज भी रहस्य बना हुआ है. एक ओर जहां चर्चित गीता देवी हत्याकांड, बौआ झा हत्याकांड जैसे उलझे मामले को सुलझाने में पुलिस ने कामयाबी हासिल की वहीं दूसरी ओर फानूस, दिलवर व अभियंता हत्याकांड पर आज भी पर्दा पड़ा हुआ है. जानकीनगर थाना क्षेत्र के विनोबा ग्राम में नोट डबलर मो फानूस, सहायक खजांची थाना क्षेत्र के सज्जाद नगर में इंटर के छात्र दिलवर आलम एवं मरंगा थाना क्षेत्र के बसंत बिहार के रिटायर्ड इंजीनियर योगेंद्र मंडल की हत्या का पुलिस ने न तो खुलासा किया बल्कि अनुसंधान कार्य को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है.
अहम सवाल यह है कि हत्या जैसे बड़े अपराध भी क्यों पुलिस की ओर से ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है. वैज्ञानिक अनुसंधान का दावा करने वाली पुलिस उन मामलों में सफलता हासिल कर लेती है, जो हाई प्रोफाइल होते हैं. लेकिन यही वैज्ञानिक अनुसंधान आम लोगों के मामले में क्यों दम तोड़ देता है, यह सवाल उठना लाजिमी है. हत्या के इन तीनों घटनाओं से इतना कहा जा सकता है कि पुलिस गंभीर अपराध के मामले को भी नफा-नुकसान के नजरिये से देखती है.