15 को मकर संक्रांति, तिलकुट बाजार में आयी रौनक पूर्णिया. वाराणसी पंचांग के अनुसार 15 जनवरी शुक्रवार की सुबह 07 बज कर 46 मिनट पर सूर्य उत्तरायण हो रहा है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार धनु राशि से निकल कर इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करती है. अलबत्ता मकर संक्रांति का त्योहार शुक्रवार को मनाया जायेगा. मकर संक्रांति को लेकर बाजारों में भीड़ उमड़ने लगी है. तिल, चीनी, गुड़ से लेकर वस्त्र और तिल से बने सामानों की दुकानों पर खरीदारों की दिन भर भीड़ जमी रही. तप-त्याग, तपस्या और दान पुण्य का पर्व मकर संक्रांति कल मनाया जायेगा. शहर के आस्था मंदिर के आचार्य ज्योतिषाचार्य धर्मेश तिवारी के अनुसार सुबह 07 बज कर 46 मिनट पर सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के बाद सूर्य उत्तरायण होगा और खरमास की विदाई होगी. सूर्य के उत्तरायण होते ही शिशिर ऋतु का आगमन होगा, जो शुभ कार्यों के लिए उत्तरदायी है. हालांकि मकर संक्रांति का त्योहार मनाने वालों में संक्रांति की तारीख को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. लेकिन वेद पुराणों के अनुसार मकर राशि में सूर्य के प्रवेश के बाद संक्रांति का त्योहार मनाने की प्रथा है. अलबत्ता पुराणों के अनुसार शुक्रवार को संक्रांति मनायी जायेगी. क्यों बदली मकर संक्रांति की तिथि ज्योतिषाचार्य धर्मेश तिवारी के अनुसार पृथ्वी की गति प्रतिवर्ष दो मिनट पीछे रह जाती है और सूर्य संक्रमण आगे बढ़ जाता है. इस दौरान सूर्य संक्रमण में 22 से 24 मिनट में अंतर आ जाता है. 80 वर्ष में यह अंतर 24 घंटे का फासला पूरा कर लेता है. इसी कारण मकर संक्रांति की तिथि एक दिन आगे बढ़ जाती है. इस वर्ष भी यह एक दिन आगे 15 जनवरी को हो रहा है. हालांकि जब भी लीप ईयर आयेगा यह 14 जनवरी को मनाया जायेगा. इस प्रकार अगले वर्ष अर्थात वर्ष 2017 में 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनायी जायेगी. बताया जाता है कि यह सिलसिला 2070 तक जारी रहेगा. खुल जाते हैं शुभ कार्यों के सभी दरवाजे सूर्य के उत्तरायण होते ही शुभ कार्यों के लिए सभी रास्ते खुल जाते हैं. पूजा, पाठ, शादी समारोह, गृह प्रवेश आदि शुभ कार्यों के आयोजन प्रारंभ हो जाता है. पुराणों के अनुसार सूर्य के उत्तरायण होते ही देवताओं का दिन और दैत्यों का रात्रि काल प्रारंभ हो जाता है. इस दिन गंगा स्नान कर दान-पुण्य के बाद खरमास दोष खत्म होने के साथ ही मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाता है. आर्धशक्ति और सूर्य उपासना का है व्रत पुराणों के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व ब्रह्म, विष्णु, महेश, गणपति, आध्यशक्ति और सूर्य के उपासना का पावन व्रत है. यह व्रत तन, मन और आत्म को शक्ति प्रदान करता है. संत महर्षियों के अनुसार इसके प्रभाव से आत्मा की शुद्धि होती है, संकल्प शक्ति बढ़ने के साथ-साथ ज्ञान और चेतना विकसित होता है. धर्म पुराणों में ऐसा उल्लेख है कि मकर संक्रांति का दिन सूर्य को प्रसन्न करने का दिन होता है. जो भी व्यक्ति उनसे सूर्य मंत्र उन्हें ध्यान रख 11 बार पढ़ कर उनकी पूजा-अर्चना करें और अपनी मनोकामना मन में बोले, उसे सूर्य देव द्वारा मन चाहा फल प्राप्त होता है. जुड़ी है पौराणिक कथाएं मकर संक्रांति को लेकर कई कथाएं इससे जुड़ी है. कहा जाता है कि इसी दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि देव से मिलने जाते थे. शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं. इसलिए इस त्योहार का नाम मकर संक्रांति है. वहीं इन कथाओं में महाभारत काल में भीष्म के प्राण त्यागने से लेकर इसी दिन गंगा जी भागीरथ के साथ चल कर कपिल मुनि के आश्रम होते हुए सागर में मिली थी. यह भी कहा जाता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर दैत्य देव संग्राम की समाप्ति की थी. इस तरह की कई कथाओं से जुड़ा है मकर संक्रांति का पर्व. किसे करना चाहिए क्या दान धर्माचार्य के अनुसार मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान के साथ तिल, कपड़ा, अन्न, गुड़, कंबल आदि दान करने की परंपरा है. इस दिन गंगा स्नान से जहां पापों का लय होता है, वहीं दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है, लेकिन दान ग्रह और राशि पर प्रभावी नक्षत्रों के अनुरूप हो तो यह विशेष फलदायी होता है. मेष राशि- गुड़, मूंगफली के दाने तथा तिल का दाना वृषभ राशि- सफेद कपड़ा, दही एवं तिल का दानमिथुन राशि- मूंग दाल, चावल या कंबल का दानकर्क राशि- चावल, चांदी या सफेद तिलसिंह राशि- गेहूं या मोतीकन्या राशि- खिचड़ी, कंबल या हरे कपड़े का दानतुला- सफेद डायमंड, शक्कर या कंबलवृश्चिक- लाल मूंगा, कपड़ा या तिलधनु- पीला कपड़ा, काली उड़द या तेलमकर- काला कंबल, तेल या काली तिलकुंभ- काला कपड़ा, काली उड़द या खिचड़ीमीन- रेशमी कपड़ा, चने का दाल या चावल तिलकुट बाजार में उमड़ी भीड़ मकर संक्रांति को लेकर खुदरा बाजार में बुधवार को लोगों ने जम कर खरीदारी की. सुबह से जहां शहर के चौराहों, नुक्कड़ पर तिलकुट सहित तिल से बने सामानों की दुकानें सजी रही, वहीं खरीदारों की भीड़ भी दिन भर बल्कि देर शाम तक दुकानों पर जमी रही. वहीं दूसरी तरफ बाजारों में तिल, तेल, कपड़ा, गुड़, चावल सहित दान पुण्य के सामानों के खरीदारों ने भी जम कर खरीदारी की. हालांकि मकर संक्रांति शुक्रवार को मनाया जायेगा, लेकिन त्योहार मनाने वाले पहले ही खरीदारी कर निश्चिंत होने के मूड में दिखे. शहर के भट्ठा बाजार, आरएनसाह चौक, गिरजा चौक, मधुबनी, खुश्कीबाग, गुलाबबाग में तिलकुट की दुकानों पर खरीदारों की भीड़ जुटी रही. फोटो:- 13 पूर्णिया 13परिचय:- तिलकुट की खरीदारी करते लोग
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15 को मकर संक्रांति, तिलकुट बाजार में आयी रौनक
15 को मकर संक्रांति, तिलकुट बाजार में आयी रौनक पूर्णिया. वाराणसी पंचांग के अनुसार 15 जनवरी शुक्रवार की सुबह 07 बज कर 46 मिनट पर सूर्य उत्तरायण हो रहा है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार धनु राशि से निकल कर इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करती है. अलबत्ता मकर संक्रांति का त्योहार शुक्रवार को मनाया […]
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