21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रोक के बावजूद जारी है शक्षिा विभाग में प्रतिनियोजन का खेल

रोक के बावजूद जारी है शिक्षा विभाग में प्रतिनियोजन का खेल – वर्ष 2012 में उच्च न्यायालय ने प्रतिनियोजन पर लगाया था रोक -जिले में जारी है अवैध प्रतिनियोजन -डीएम के नाम का हो रहा है इस्तेमाल पूर्णिया. शिक्षा निदेशक का आदेश भी है और शिक्षा के अधिकार अधिनियम की अवहेलना भी, बावजूद इसके प्रतिनियोजन […]

रोक के बावजूद जारी है शिक्षा विभाग में प्रतिनियोजन का खेल – वर्ष 2012 में उच्च न्यायालय ने प्रतिनियोजन पर लगाया था रोक -जिले में जारी है अवैध प्रतिनियोजन -डीएम के नाम का हो रहा है इस्तेमाल पूर्णिया. शिक्षा निदेशक का आदेश भी है और शिक्षा के अधिकार अधिनियम की अवहेलना भी, बावजूद इसके प्रतिनियोजन मामले में जिले के शिक्षा विभाग के आला अधिकारी निर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. दरअसल प्राथमिक शिक्षा निदेशक ने गत 05 दिसंबर 2014 को आदेश जारी कर सभी नियोजित शिक्षकों का प्रतिनियोजन रद्द करने का आदेश जारी किया था. सभी अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि अविलंब शिक्षकों का प्रतिनियोजन समाप्त कर मूल विद्यालय में योगदान कराया जाये. लेकिन आदेश का अब तक शत प्रतिशत अनुपालन नहीं किया जा सका है. खानापूर्ति करते हुए विभाग ने कुछ शिक्षकों का प्रतिनियोजन जरूर रद्द कर दिया, लेकिन प्रतिनियोजन का धंधा अभी भी बदस्तूर जारी है. प्रतिनियोजन उन्हीं शिक्षकों का रद्द हुआ जो पैरवी मामले में निरीह माने जाते हैं. जिले के विभिन्न प्रखंडों में शिक्षक विद्यालय के बजाय प्रतिनियोजन पर विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत हैं. वहीं मूल विद्यालय को छोड़ अन्य विद्यालयों में प्रतिनियोजन कराने वालों की भी कमी नहीं है, बावजूद विभाग खामोश तमाशा देख रहा है. इस खामोशी की वजह यह है कि प्रतिनियोजन के खेल में अधिकारी मालामाल होते हैं. उच्च न्यायालय का है सख्त आदेशप्रतियोजन को लेकर प्राथमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी आदेश उच्च न्यायालय की सख्ती का नतीजा है. दरअसल उच्च न्यायालय में दायर सीडब्लूजेसी 6724/2008 में निर्णय देते हुए उच्च न्यायालय ने 23 जनवरी 2012 को यह आदेश पारित किया था. न्यायालय ने कहा था कि शिक्षकों का शिक्षा के अलावे किसी अन्य कार्य में उपयोग शिक्षा के अधिकार अधिनियम का खुला उल्लंघन है. लिहाजा प्रतिनियोजन की अनुमति नहीं दी जा सकती है. साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा था कि नियोजन पर बहाल किसी भी शिक्षक को प्रधानाध्यापक का प्रभार नहीं सौंपा जा सकता है. विद्यालय में वित्तीय कार्य के लिए भी नियोजित शिक्षकों को प्रभार नहीं सौंपने का आदेश दिया गया था. शिक्षा निदेशक ने न्यायालय के इसी आदेश के आलोक में निर्देश जारी किया था. निदेशक के आदेश का खुला उल्लंघन प्राथमिक शिक्षा निदेशक का आदेश जारी हुए भी अभी एक वर्ष से अधिक का समय बीत चुका है. लेकिन शिक्षक अब तक अपने मूल पदस्थापन स्थल नहीं लौटे हैं. कई शिक्षक अपने मूल विद्यालय के स्थान पर अन्य विद्यालयों में प्रतिनियोजित हैं. वही जानकारों की मानें तो कुछ शिक्षकों का प्रतिनियोजन अभी भी विभिन्न कार्यालयों में बरकरार है. प्रतिनियोजित शिक्षकों की दिलचस्पी भी इस बात में कतई नहीं है कि वे विद्यालय पहुंच कर बच्चों का पठन-पाठन कार्य संभालें. लिहाजा स्थानीय स्तर पर जुगाड़ टेक्नोलॉजी से वे प्रतिनियुक्ति वाले कार्यालयों में ही कार्य संपादित कर रहे हैं. चर्चा है कि इसके लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को मोटी रकम दी जाती है. आरटीइ का है खुला उल्लंघनशिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत देश के सभी नागरिक के लिए शिक्षा को मौलिक अधिकार में शामिल किया गया. इसके तहत शिक्षकों के लिए भी कार्यक्षेत्र का निर्धारण किया गया. आरटीइ एक्ट के तहत यह निर्देशित किया गया कि शिक्षकों का उपयोग शिक्षा के अलावे कुछ कार्यों को छोड़ अन्य कार्यों के लिए नहीं किया जा सकता है. शिक्षकों की नियुक्ति केवल बच्चों के पठन-पाठन कार्य के लिए किया जाना है. इसके तहत जिन कार्यों की अनुमति दी गयी वे सभी निर्वाचन से जुड़े हुए हैं. इसमें 10 वर्षीय जनगणना, स्थानीय, प्रादेशिक व संघ के निकाय चुनाव आदि शामिल है. निर्वाचन को छोड़ अन्य कार्यों के लिए शिक्षकों का प्रयोग वर्जित किया गया. इसके अलावा शिक्षकों की नियुक्ति में छात्र-शिक्षक अनुपात भी ख्याल रखना है. 40 छात्रों के अनुपात में एक शिक्षक की नियुक्ति होनी है. लेकिन यहां नियम और कायदों की परवाह किसको है. जुगाड़ टेक्नोलॉजी के माध्यम से हर गलत काम भी जायज हो रहा है. वही पहले से ही शिक्षकों की कमी झेल रहे विद्यालयों में शिक्षकों की संख्या प्रतिनियोजन के कारण कम हो रही है, जिसका असर छात्रों के पठन-पाठन पर पड़ रहा है. विभागीय उपेक्षा की सजा भुगत रहे हैं बच्चेशिक्षकों का प्रतिनियोजन समाप्त करने की दिशा में विभागीय उदासीनता की सजा स्कूली बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. दरअसल कई विद्यालय ऐसे हैं जहां शिक्षकों की संख्या काफी कम है. ऐसे में पदस्थापित शिक्षकों के प्रतिनियोजन से पठन-पाठन कार्य प्रभावित हो रहा है. वही बच्चों के कैरियर के साथ खिलवाड़ जारी है. जाहिर है जब पढ़ाने को शिक्षक ही नहीं होंगे, तो बेहतर और गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की बात करना भी बेमानी ही साबित होगी. प्रतिनियुक्ति में हो रहा डीएम के नाम का इस्तेमालरोक के बावजूद जिले में शिक्षक प्रतिनियोजन का मामला रूकने का नाम नहीं ले रहा है. वही अधिकारी ऐसे मामले में जिलाधिकारी को घसीटने से भी नहीं चूक रहे हैं. ऐसा ही एक मामला बायसी प्रखंड मुख्यालय स्थित +02 उच्च विद्यालय बायसी का है. जहां पदस्थापित जीव विज्ञान शिक्षिका बीनू उपाध्याय का प्रतिनियोजन प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय रानीपतरा कर दिया गया है. शिक्षिका के प्रतिनियोजन के बाद से यहां जीव विज्ञान के शिक्षक का पद रिक्त है. उनका प्रथम प्रतिनियोजन जुलाई 2015 में तीन माह के लिए किया गया था. इसके उपरांत 09 सितंबर और फिर 08 दिसंबर को पुन: उनका प्रतिनियोजन जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा तीन माह के लिए रानीपतरा विद्यालय में किया गया. वही शिक्षक नहीं रहने के कारण विद्यालय में जीव विज्ञान विषय में नामांकित 08 छात्र निजी ट्यूशन लेने को मजबूर हैं. टिप्पणी-1संबंधित शिक्षिका का प्रतिनियोजन जिलाधिकारी के मौखिक आदेश से किया गया है. शिक्षिका जिलाधिकारी की रिश्ते में बहन बतायी जाती है. मो मंसूर आलम, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पूर्णियाटिप्पणी – 2शिक्षा निदेशक द्वारा जारी आदेश के तहत शिक्षकों का प्रतिनियोजन प्रतिबंधित है. फिलहाल मामले की जानकारी नहीं है. जांच कर अग्रेतर कार्रवाई की जायेगी. डा चंद्रप्रकाश झा, क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, पूर्णियाटिप्पणी – 3ऐसे किसी भी मामले की जानकारी नहीं है. कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है. मामले की जांच कर कार्रवाई की जायेगी. पंकज कुमार पाल, जिलाधिकारी, पूर्णियाफोटो: 1 पूर्णिया 14परिचय-डीएम पंकज कुमार पाल

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें