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शराब के शौकीन, युवकों की भीड़ में रहते थे अभियंता!
पूर्णिया : बुधवार की रात बसंत बिहार स्थित सेवानिवृत्त अभियंता योगेंद्र प्रसाद मंडल की हत्या किसी सस्पेंस व थ्रीलर फिल्म की पटकथा जैसी प्रतीत होती है. शुक्रवार को एसडीपीओ राजकुमार साह व मरंगा थानाध्यक्ष शिवशंकर कुमार ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर हत्या से जुड़े विभिन्न बिंदुओं की गहन पड़ताल की. न केवल बाथरूम जहां […]
पूर्णिया : बुधवार की रात बसंत बिहार स्थित सेवानिवृत्त अभियंता योगेंद्र प्रसाद मंडल की हत्या किसी सस्पेंस व थ्रीलर फिल्म की पटकथा जैसी प्रतीत होती है. शुक्रवार को एसडीपीओ राजकुमार साह व मरंगा थानाध्यक्ष शिवशंकर कुमार ने भी घटनास्थल पर पहुंच कर हत्या से जुड़े विभिन्न बिंदुओं की गहन पड़ताल की.
न केवल बाथरूम जहां से शव बरामद हुआ, बल्कि घर के बाहर और छत का मुआयना कर भी इस मर्डर मिस्ट्री को पुलिस ने सुलझाने की कोशिश की. लेकिन सूत्र बतलाते हैं कि यह हत्याकांड समय के साथ उलझता ही जा रहा है. इसकी वजह यह है कि मृतक अभियंता की निजी जिंदगी सवालों के घेरे में है.
आसपास के लोगों की मानें तो योगेंद्र न केवल शराब के शौकीन थे, बल्कि उनकी निमूछिया मित्रों की भी बड़ी संख्या थी. लिहाजा कयास यह भी लगाये जा रहे हैं कि क्या किसी निमूछिया मित्र ने ही योगेंद्र मंडल की हत्या तो नहीं कर दी.
रिक्की, अंकु और मृत्युंजय पर अनुसंधान केंद्रित : अब तक के पुलिसिया अनुसंधान और परिस्थितिजन्य साक्ष्य से मृतक का दत्तक पुत्र रिक्की सिंह, भतीजा अंकु और पड़ोस में रह रहा रिश्तेदार मृत्युंजय मंडल संदेह के घेरे में है.
हालांकि कॉल डिटेल जैसे वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिये भी मामले की तहकीकात की जा रही है और उम्मीद जतायी जा रही है कि वैज्ञानिक अनुसंधान से हत्याकांड का खुलासा हो जायेगा. मृतक के परिजनों की मानें तो रिक्की द्वारा स्व मंडल पर बसंत बिहार की संपत्ति उसके नाम किये जाने का दबाव डाला जा रहा था. इसके अलावा अंकु के साथ आ जाने से भी रिक्की को भविष्य में कुछ हासिल नहीं होने का डर सताने लगा था.
अंकु के अनुसार रसोईघर में सब्जी काटने वाला चाकू का सेट रहता था, जो हत्या के घटना के बाद गायब देखा गया. शुक्रवार को जांच के लिए पहुंची पुलिस ने चाकू का सेट ढूंढ़ने की काफी कोशिश की. यहां तक कि घर के बाहर परिसर में भी ढूंढ़ा गया परंतु एक भी चाकू पुलिस के हाथ नहीं लगे.गौरतलब है कि सेवानिवृत्त अभियंता की चाकू गोद कर ही हत्या की गयी थी.
संदेहास्पद है पटना आने-जाने की कहानी : रिक्की ने पुलिस के समक्ष खुद को बेकसूर बताते हुए तर्क दिया था कि घटना के दिन वह पटना गया हुआ था. मृत्युंजय मंडल की पत्नी की मानें तो बुधवार को दिन के 12 बजे मृत्युंजय, उसका बेटा मानस व रिक्की सिंह किराये के एक बोलेरो से पटना के लिए रवाना हुआ था.
जबकि मृतक के ही एक दूसरे रिश्तेदार उत्तम सिंह ने बताया कि दोपहर 01:30 बजे उक्त तीनों व्यक्ति को एक बोलेरो पर नेवालाल चौक के निकट देखा गया था. वहीं गुरुवार की सुबह ही 07:30 बजे उक्त तीनों व्यक्ति पटना से वापस बसंत बिहार लौट गये. इस प्रकार कुल 15 घंटे में ही सभी लोग अपना काम निबटा कर पटना से पूर्णिया लौट आये, जो सवालों के घेरे में है.
कम उम्र के युवकों की जमती थी चौकड़ी : मृतक योगेंद्र मंडल अजीबो-गरीब शख्सियत के व्यक्ति थे. वे पूरी जिंदगी अपनी पत्नी के साथ नहीं रहे. सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने गांव की जगह पूर्णिया में रहना आरंभ किया, जबकि उनकी पत्नी राधा देवी गांव में रहती थी.
दूसरी ओर पूर्णिया में उनके हमउम्र उनके मित्र नहीं हुआ करते थे, जबकि कम उम्र के युवक उनके मित्रों में शामिल थे. ऐसे नये-नये लड़कों का जमावड़ा उनके घर लगता था, जहां शराब और मांस का दौर चला करता था. यह हर दिन की कहानी थी. स्व मंडल के मकान में तीन कमरे हैं. लेकिन योगेंद्र मंडल रिक्की सिंह के साथ एक कमरे में रहते थे, जबकि दूसरे कमरे में अंकु रहा करता था.
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