पूर्णिया : युवाओं के कैरियर मार्गदर्शन को लेकर रविवार को वीवीआइटी परिसर में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में अपने-अपने क्षेत्रों में सफलता का मिशाल कायम करने वाले प्रबुद्ध जन व अधिकारी शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने अपने कैरियर के दौरान घटित विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला.
साथ ही बच्चों को गांव से जुड़े रहने की सलाह दी. फैशन डीजाइनर नीतीश चंद्रा ने कार्यक्रम का संचालन किया. उन्होंने अतिथियों से एक-एक कर सवाल जवाब किये. इस दौरान छात्र-छात्राओं को भी सवाल पूछने का अवसर प्रदान किया गया. विशिष्ट अतिथियों में शिक्षविद डा रमेशचंद्र मिश्र, डा डी राम, पुलिस अधीक्षक निशांत कुमार तिवारी, सहायक समाहर्ता सौरभ जोरवाल, राजेश चंद्र मिश्र, वरीष्ठ पत्रकार सह लेखक गिरींद्र नाथ झा, डा मुकेश कुमार, अली खान, राजेश बैठा आदि शामिल थे.
जीवन में संतुष्टि मौत के समानडा डी राम ने अपने बचपन से लेकर बिहार स्वास्थ्य सेवा की नौकरी व उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने तक की कहानी सुनायी. कहा कि कैरियर के दौरान मैंने कभी अपने संस्कार नहीं भुलाये. अपनी माटी से प्रेम ने मुझे वापस पूर्णिया लाया और लोगों के प्यार और स्नेह ने इस मुकाम तक पहुंचाया. कहा कि अपने संस्कारों को भुला देना सबसे बड़ा अपराध है. जीवन में संतुष्टि मौत के समान है,
इसलिए हमेशा बेहतर करने की सोचना होगा. दुनिया में कुछ भी एक्सक्लूसिव नहींवरीष्ठ पत्रकार गिरींद्र नाथ झा ने कहा कि दिल्ली में पत्रकारिता से लेकर चनका में किसानी तक का सफर बेहद रोचक रहा है. दुनियां में कुछ भी एक्सक्लूसिव नहीं होता, बस तरीके अलग होते हैं. उन्होंने सोशल मीडिया के प्रयोग के वक्त गंभीर लेखन की सलाह दी.
नौकरी के बजाय चुना व्यवसायशिक्षविद रमेश चंद्र मिश्र ने कहा कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरे पास नौकरी का अवसर था. लेकिन मैंने व्यवसाय को चुना. इस दौरान कई छोटी-बड़ी परेशानियां भी आयी. लेकिन परेशानियों से पार पाना ही जिंदगी है. अपनी माटी का अपना ही महत्व है.
अभिभावक का करें सम्मान एसपी निशांत कुमार तिवारी ने विदेश में इंजीनियरिंग की नौकरी से लेकर आइपीएस बनने तक के सफर को साझा किया. कहा कि विदेश में अभिभावक की कमी सबसे अधिक खलती थी. उन्होंने छात्रों से अपने अभिभावक का सम्मान करने की अपील की.
गांव की शुद्धता कहां से लाओगेडा मुकेश कुमार ने बचपन से लेकर अब तक के अपने कैरियर से जुड़े पहलू पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि शहर के चका चौंध में शुद्धता गायब हो गयी है. अभी पानी खरीद कर पीते हैं, आगे हवा भी खरीदना होगा. इसलिए गांव की ओर लौटने की जरूरत है,
क्योंकि गांव की शुद्धता कहीं नहीं मिल सकती. उन्होंने नौकरी के लिए पढ़ाई करने के बजाय, बेहतर इंसान बनने के लिए पढ़ाई की सलाह दी.