जनहित में लिए गये निर्णय के प्रति उदासीन है नगर निगम -अपने ही लिए गये फैसले की नगर निगम को परवाह नहीं -नियमों से हट कर हुए कई कार्य-बोर्ड सदस्यों के बिना सहमति हुए कार्य पर उठे सवाल ————————–पूर्णिया. जनहित के मामलों पर नगर निगम की कार्यशैली सवालों के घेरे में है. यहां सपने बेचे तो जाते हैं, लेकिन सरजमी पर नहीं उतर पाते. इसकी वजह यह है कि निगम जनहित कार्यों को लेकर फैसले तो लेता है, लेकिन वह फैसला क्यों और कैसे ठंडे बस्ते में चला जाता है, यह किसी को पता नहीं होता है. इतना ही नहीं महीनों बीत जाते हैं फैसलों पर मुहर नहीं लगती और जन हित पर लिया गया फैसला महज फाइलों तक सीमित रह जाता है. जानकारी के अनुसार विगत पांच महीने पहले 17 अगस्त को नगर निगम की स्थायी समिति ने बैठक कर तकरीबन डेढ़ दर्जन प्रस्ताव पर निर्णय लिया गया था. इसमें शहर एवं वार्डों में वेपर एवं बल्ब बदलने तथा रिपेयर पर निर्णय के साथ कार्यालय उपयोग, वेश्म कार्यालय के लिए सोफा-कुरसी के साथ खुश्कीबाग हाट की बंदोबस्ती, ऑटो पड़ाव की व्यवस्था, तेरहवीं एवं चौदहवीं वित्त आयोग की योजना से सड़क निर्माण, शहर में शौचालय एवं यूरिनल के निर्माण, शहर में आश्रय गृह का निर्माण, नाला तथा चलंत शौचालय को सुपुर्द करने की कार्यवाही पर सशक्त स्थायी समिति ने निर्णय लिया था. इस बैठक में स्टेयरिंग कमेटी के सदस्यों के साथ मेयर कनीज रजा, डिप्टी मेयर संतोष यादव के साथ नगर आयुक्त भी मौजूद थे. विडंबना तो यह है कि सशक्त स्थायी कमेटी के की ओर से लिये गये इस फैसले पर पांच महीने बाद भी कोई अमल नहीं हो पाया है. निगम की कार्यशैली का आलम यह है कि स्थायी समिति की ओर से लिये गये इस निर्णय पर अब तक बोर्ड की न तो बैठक हुई है न ही इस पर मुहर लग पाया है. जनहित को लेकर लिया गया यह फैसला पिछले पांच महीने से ठंडे बस्ते में बंद है. क्या है स्टेयरिंग कमेटी बताया जाता है कि बिहार नगर पालिका अधिनियम की धारा (10) के तहत इसके गठन का प्रावधान है. इस कमेटी में मेयर, डिप्टी मेयर, नगर आयुक्त के साथ पार्षदों की एक टीम सीमित संख्या में शामिल होती है. नगर निगम में विकासोन्मुखी कार्यों के संपादन के लिए इसका गठन होता है. जानकार बताते हैं कि इस कमेटी की ओर से लिए गये फैसले पर बोर्ड का मुहर लगने के उपरांत कार्य का निष्पादन किया जाता है. नहीं हुई बैठक, ठंडे बस्ते मे है फैसला विगत 17 अगस्त को स्थायी समिति की ओर से लिये गये फैसलों में कई ऐसे अहम फैसले शामिल है जो जनहित के लिए अतिआवश्यक है. लेकिन इस फैसलों को अमलीजामा पहनाने को लेकर सूरते हाल यह है कि इस पर बोर्ड की सहमति को लेकर अब तक कोई बैठक बोर्ड सदस्यों की नहीं हुई. हां यह जरूर दिखा कि स्थायी समिति के इस फैसलों में शामिल कुछेक प्रस्तावों को निगम ने अमलीजामा पहनाने की कवायद की लेकिन वह आधा-अधूरा है. जाहिर है जनहित का निर्णय फाइलों में दब कर रह गया है.टैक्स वृद्धि का अधर में मामला स्थायी समिति के बैठक के बाद 28 अगस्त 15 को बोर्ड की बैठक हुई थी. इस बैठक में शहर में टैक्स वृद्धि को लेकर पार्षदों ने जम कर हंगामा मचाया था. टैक्स वृद्धि वापस लेने को लेकर घंटों बहस और तर्क -वितर्क के बाद सहमति बनी थी, बैठक में सड़कों के वर्गीकरण पर पुन: विचार कर टैक्स निर्धारण की बात सामने आयी थी. इस बैठक में यह भी निर्णय लिया गया था कि बैठक के फैसले सर्वसम्मति से नगर विकास एवं आवास विभाग को भेज टैक्स वृद्धि पर प्रतिबंध लगाया जायेगा. लेकिन इस मामले में कोई खास प्रगति नहीं हुई और मामला अधर में लटका है. शहर वासियों के लिए दिवा स्वप्न है निर्णय नगर निगम के स्थायी समिति की ओर से जनहित में लिया गया फैसला स्वागत योग्य है लेकिन किसी दिवास्वप्न से कम नहीं है. वह इसलिए कि स्थायी समिति के प्रस्ताव संख्या 08 में शहर में शौचालय एवं यूरिनल लगाने की स्वीकृति दी गयी है. वहीं प्रस्ताव संख्या 14 में शहर के रजनी चौक पर आश्रय स्थल तथा विवाह भवन बनाने की स्वीकृति है. लेकिन शौचालय और यूरिनल के मामले में अब तक कोई पहल भी आरंभ नहीं हुई है. जबकि यह सीधे तौर पर जनहित से जुड़ा अत्यंत संवेदनशील मुद्दा है. प्रस्ताव संख्या 7 के अनुसार रवींद्र कुमार सिंह के घर से धीरेंद्र कु. धीरज के घर तक भाया वैजनाथ पासवान एवं राजीव सिंह के घर तक ईंट सोलिंग एवं पीसीसी सड़क वहीं संजीव सिंह के घर से विकास वर्मा के घर तक पीसीसी करण करना था. वहीं मौल बाबू हाता से गुजरने वाले नाला निर्माण मद में 15 लाख रुपये की प्रशासनिक स्वीकृति दी गयी थी. सवालों के घेरे में कार्यशैली निगम की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है. दरअसल 17 अगस्त की बैठक में लिये गये निर्णय में स्पर की ओर से नियुक्त एसडीसी श्रीमती नीलम दूवे की सेवा निगम से वापस करने की स्वीकृति सर्वसम्मति से दी गयी थी. लेकिन पांच महीने पहले के लिए गये स्थायी समिति के फैसले के बावजूद आज भी श्रीमती नीलम दूवे सेवा में कार्यरत है. इस बाबत वार्ड पार्षद सरिता राय कहती है कि लाभ के कार्यों के निष्पादन में नियम ताक पर रखना तथा जनहित के कार्यों को ठंडे बस्ते में डाल देना निगम की पुरानी कार्यशैली है. टिप्पणी चुनावी अधिसूचना जारी होने के कारण विभिन्न कार्यों में विलंब हुआ है. शीघ्र ही इस दिशा में पहल प्रारंभ की जायेगी. हर हाल में नगरवासियों को बेहतर सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी. सुरेश चौधरी, नगर आयुक्त पूर्णिया फोटो: 19 पूर्णिया 04 एवं 05परिचय-04- नगर निगम परिचय:- 05- नगर आयुक्त सुरेश चौधरी
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जनहित में लिए गये नर्णिय के प्रति उदासीन है नगर निगम
जनहित में लिए गये निर्णय के प्रति उदासीन है नगर निगम -अपने ही लिए गये फैसले की नगर निगम को परवाह नहीं -नियमों से हट कर हुए कई कार्य-बोर्ड सदस्यों के बिना सहमति हुए कार्य पर उठे सवाल ————————–पूर्णिया. जनहित के मामलों पर नगर निगम की कार्यशैली सवालों के घेरे में है. यहां सपने बेचे […]
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