बेकार पड़ा है प्रखंड मुख्यालय स्थित जलमीनार बैसा. प्रखंड मुख्यालय में करीब पांच वर्ष पूर्व जलमीनार का निर्माण इस उद्देश्य से हुआ था कि इस इलाके में आम लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब हो सकेगा. उस वक्त जलमीनार के साथ-साथ जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन भी बिछाये गये थे. तब स्थानीय लोगों को उम्मीद बंधी थी कि आयरनयुक्त पानी पीने से उन्हें निजात मिल सकेगी. लेकिन दिन और महीने बीत कर साल में तब्दील हो गये और स्वच्छ जल पीने का सपना अधूरा रह गया. अब तो हाल यह है कि बिछाये गये पाइप भी जंक की भेंट चढ़ चुके हैं. गौरतलब है कि परमान, कनकई और महानंदा से प्रभावित इस इलाके में स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता एक बड़ी समस्या रही है. खास कर बरसात के महीने में यह समस्या और भी गहरी हो जाती है. यहां के चापाकल से आयरन युक्त पानी निकलता है, जबकि बरसात के महीने में जल स्तर ऊंचा हो जाने की वजह से चापाकल से निकलने वाले पेयजल में कुछ अलग किस्म की दुर्गंध भी रहती है. इस इलाके के लोग जल जनित रोगों से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. लेकिन अधिकारी हो या राजनेता उनके एजेंडे में स्वच्छ पेयजल कभी शामिल नहीं हो पाया है. स्थानीय अजमल हुसैन, हसनैन आलम, मनोज कुमार प्रामाणिक, शगलुर रहमान, जुबेर आलम, महबूब आलम और जुनेद आलम ने अनुमंडल पदाधिकारी से हस्तक्षेप की मांग करते हुए जलमीनार के जीर्णोद्धार की मांग की है. फोटो: 18 पूर्णिया 2परिचय-जलमीनार
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बेकार पड़ा है प्रखंड मुख्यालय स्थित जलमीनार
बेकार पड़ा है प्रखंड मुख्यालय स्थित जलमीनार बैसा. प्रखंड मुख्यालय में करीब पांच वर्ष पूर्व जलमीनार का निर्माण इस उद्देश्य से हुआ था कि इस इलाके में आम लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब हो सकेगा. उस वक्त जलमीनार के साथ-साथ जलापूर्ति के लिए पाइप लाइन भी बिछाये गये थे. तब स्थानीय लोगों को उम्मीद बंधी […]
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