पूर्णिया : सरकार की ओर से धान खरीद की घोषणा के बाद संबंधित महकमे में तैयारी आरंभ भी नहीं हुई है, लेकिन बिचौलियों की ओर से धान की खरीदारी कर स्टॉक का कारोबार व्यापक स्तर पर आरंभ हो गया है. हालांकि यह व्यापारिक मामला है, लेकिन इसका तार सीधा बीएसएफसी के क्रय केंद्र एवं पैक्सों से जुड़ा हुुआ है.
जानकार बताते हैं कि धान खरीद में देरी के कारण नयी फसल की तैयारी को लेकर किसान खुले बाजार में धान औने-पौने दाम में बेचने को विवश हैं. वहीं सरकारी दर एवं बोनस के लूट के खेल में माहिर खिलाड़ियों की ओर से खुले बाजार से धान खरीद कर स्टॉक का सिलसिला लगातार जारी है.
बताया जाता है कि प्रखंडों से लेकर व्यावसायिक मंडी गुलाबबाग के अंदर और बाहर सैकड़ों गोदामों में धान स्टॉक किये जा रहे हैं. गौरतलब है कि एक तरफ जहां सरकार ने धान खरीद दर 1410 रुपये से 1450 रुपये तय किया है, वहीं खुले बाजार में धान की कीमत महज 1050 से लेकर 1100 रुपया बतायी जा रही है.
पिछले वर्ष सरकार की ओर से 300 रुपये प्रति क्विंटल बोनस किसानों को दिया गया था. इस खेल के जानकारों की मानें तो प्रतिवर्ष करीब 20 से 25 हजार क्विंटल धान का उलटफेर स्टॉकिस्टों, पैक्स व क्रय केंद्रों के साठ-गांठ से किया जाता है. इसमें करीब 10 से 15 करोड़ की अवैध कमाई कर किसानों के हक की हकमारी होती है.
कैसे होता है लक्ष्य प्राप्ति का खेल : उपलब्ध जानकारी के अनुसार जैसे ही धान खरीद की घोषणा होती है, खुले बाजार में स्टॉकिस्टों की खरीदारी प्रारंभ हो जाती है. इन स्टॉकिस्टों का पैक्स एवं क्रय केंद्र प्रभारी से लिंक जुड़ा होता है. इतना ही नही, जानकार तो यह भी बताते हैं कि इस खेल में कई माहिर खिलाड़ी ऐसे भी हैं,
जो खेतिहर जमीन का रसीद भी आसानी से उपलब्ध करा लेते हैं. धान क्रय केंद्र के खुलने में हुई देरी इनके लिए वरदान साबित होता है. जब तक क्रय केंद्र खुलता है, तब तक क्षेत्र के 70 से 80 फीसदी किसान खुले बाजार में धान बेच कर अगली खेती की तैयारी में जुट जाते हैं. फिर शुरू होता है लक्ष्य प्राप्ति का सरकारी खेल और इस आड़ में वही धान क्रय केंद्र और पैक्स के गोदामों तक पहुंच जाता है. जाहिर है जो योजना सरकार की ओर से किसानों के हित में बनायी जाती है, वह बिचौलिये के लिए कामधेनु साबित होता है.
करोड़ों का होता है वारा-न्यारा : इस खेल में प्रतिवर्ष करोड़ों रुपयों का वारा-न्यारा होने की बात जानकार बताते हैं. बताते हैं कि जिला क्षेत्र में तीन फसलों का उत्पादन इस खेल के खिलाड़ियों के लिए वरदान साबित होता है. जिला क्षेत्र में जहां नवंबर से दिसंबर में धान की कटनी कर अगली फसल में किसान जुट जाते हैं,
वहीं अर्थाभाव में क्रय केंद्र के खुलने में देरी के कारण खुले बाजार में बेचने को विवश हो जाते हैं. ऐसे में बिचौलियों को मोटी कमाई का मौका मिल जाता है. यह कार्य आसान तब हो जाता है, जब पैक्स से लेकर क्रय केंद्र तक सुत्रवत लिंक जुड़ा होता है. महज कुछ रुपयों का प्रलोभन देकर बिचौलिये उसी किसान का रसीद भी ले लेते हैं, जो धान खुले बाजार में बेच चुका होता है.
नहीं होती जांच, उठती रही है मांग : धान खरीदारी को लेकर क्रय केंद्रों पर मनमानी एवं स्टॉकिस्टों की मिली भगत की जांच नहीं होने से यह कार्य और आसान हो जाता है. बताया जाता है कि जहां सरकार एवं विभाग की ओर से धान का ग्रेड बांट कर निर्धारण किया गया है, वहीं क्रय केंद्रों पर धान खरीदारी में की जाने वाली मनमानी के लेकर कोई जांच नहीं होने से इस कार्य में जुड़े लोगों का मनोबल बढ़ा रहता है.
जानकार बताते हैं कि जहां एक तरफ सही किसान की ओर से केंद्र पर धान बेचने के वक्त क्वालिटी पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर 05 से 10 किलो काट लिया जाता है, वहीं स्टॉकिस्टों की ओर से प्राप्त धान वैसे ही गोदामों में रख लिया जाता है. बताया जाता है कि इसको लेकर हर वर्ष आवाजें उठी है, लेकिन कार्रवाई नहीं होने से यह सिलसिला लगातार जारी है.