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गुलाबबाग मंडी. नजर-ए-इनायत हो, बदलेगी सूरत

पूर्णिया: एक बार फिर से गुलाबबाग मंडी के अच्छे दिन आने के संकेत मिल रहे हैं. जाहिर है उम्मीद मात्र से व्यवसायियों के सपने को पंख लगने लगा है. जिस तरह बीते दिनों अपराध पर लगाम लगाने को लेकर पुलिस कप्तान ने मंडी की सुरक्षा पर ठोस कदम उठाया, उसके बाद सांसद संतोष कुशवाहा ने […]

पूर्णिया: एक बार फिर से गुलाबबाग मंडी के अच्छे दिन आने के संकेत मिल रहे हैं. जाहिर है उम्मीद मात्र से व्यवसायियों के सपने को पंख लगने लगा है. जिस तरह बीते दिनों अपराध पर लगाम लगाने को लेकर पुलिस कप्तान ने मंडी की सुरक्षा पर ठोस कदम उठाया, उसके बाद सांसद संतोष कुशवाहा ने सदर एसडीएम सह नोडल पदाधिकारी रवींद्र नाथ प्रसाद सिंह एवं व्यवसायियों के साथ बैठक कर मंडी की बेहतरी के लिए कई घोषणाएं की उसके बाद गुलाबबाग के विकास की उम्मीदें बढ़ गयी है. इतना ही नहीं पदस्थापना के फौरन बाद डीएम पंकज कुमार पाल के द्वारा मंडी की समस्याओं को लेकर दिये गये बयान के बाद मंडी के कारोबारियों की उम्मीदें पुख्ता हुई है.
मंडी के व्ययसायी डीएम के साथ बैठक आयोजित होने के इंतजार में हैं. इसमें कोई शक नहीं कि बीते कुछ वर्षों में मंडी का विकास थम सा गया है और बदहाली के बीच मंडी सांसें ले रही है. जिस कदर मंडी को लेकर घोषणाएं और वायदे हुए हैं, गर.. नजरे इनायत हो जाये तो इसमें कोई शक नहीं की मंडी का कायाकल्प हो जायेगा.
बना था 116 करोड़ रुपये का मॉडल प्रोजेक्ट
तत्कालीन डीएम मनीष कुमार वर्मा एवं एसडीएम राज कुमार के संयुक्त प्रयास ने रंग दिखाया था. श्री वर्मा ने व्यवसायियों के साथ बैठक कर मंडी का जायजा लिया और सर्वे के बाद इंजीनियर बुला कर करीब एक सौ सोलह करोड़ का प्रोजेक्ट मंडी को मॉडल मंडी में बदलने के लिए तैयार करवाया था. इतना ही नहीं श्री वर्मा के प्रयास से प्रोजेक्ट का फाइल सरकार के विभागीय मंत्रालय तक भी पहुंचा था. लेकिन श्री वर्मा के स्थानांतरण के बाद प्रोजेक्ट पर भी ग्रहण लग गया. महासंघ अध्यक्ष बबलू चौधरी, उपाध्यक्ष रूपेश डुंगरवाल, मनोज पुगलिया, सचिव वीरेंद्र जैन सहित सैकड़ों व्यवसायियों ने तत्कालीन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह को मंडी समिति ने आमंत्रित कर मंडी की स्थिति से अवगत कराया था. मंत्री जी ने भी प्रोजेक्ट पर मुहर लगा कर मंडी के विकास का आश्वासन दिया था.
धूल और गंदगी के बीच होता है कारोबार
हालात यह है कि टूटी सड़कों पर गुजरती गाड़ियों से उड़ते धूल का धुंध दिन में रात का नजारा बना जाता है. इसी धूल भरे धुंध के बीच से गुजर कर किसान, व्यापारी, कारोबारी तथा मजदूर अपनी आजीविका के लिए खरीद फरोख्त करने को विवश हैं. सड़कों पर बने गड्ढों में हर रोज कृषि जिंस लदी गाड़ियां पलटती है. कई घायल होते हैं तो कई को धूल भरे धुंध से सांस की बीमारी हो चुकी है. इतना ही नहीं मंडी में हजारों लोगों एवं सैकड़ों दुकानदारों द्वारा उत्पन्न कचरा निस्तारण नहीं होने के कारण यहां का वातावरण भी दूषित हो चला है.
दो तिहाई हिस्से में होता है जलजमाव
बरसात के दिनों में जल निकासी की व्यवस्था ध्वस्त होने के कारण मंडी के दो तिहाई हिस्से में जल जमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. मंडी के आलू पट्टी, मक्का पट्टी, लहसुन पट्टी के अलावा बिहार राज्य खाद्य निगम की सड़कों के हालात तो यह है कि यह बरसाती पानी छह-छह माह जमा रहता है जिससे निकला सड़ांध बीमारियों को दावत देता है. विडंबना यह है कि पिछले नौ वर्षों में विभाग द्वारा न तो मंडी में कारोबारियों की सुध ली गयी न ही व्यवस्था सुधारने के दिशा में कोई पहल हो सका.
जर्जर है भवन व चहारदीवारी
देखभाल एवं पूरक व्यवस्था के अभाव में मंडी की सूरत यह है कि 68 एकड़ में फैली मंडी की चहारदीवारी कई स्थानों पर ध्वस्त हो चुकी है. शेष भी ध्वस्त होने के कगार पर है. जहां दीवार टूट चुका है, वहां अब लोगों ने आवागमन के लिए शॉर्ट कट रास्ता बना लिया है. इतना ही नहीं परिसर में बना अस्पताल भी अब ध्वस्त हो चुका है. अधिकारियों के लिए निर्मित गेस्ट हाउस क्षतिग्रस्त हो चुका है.
2006 के बाद थम गया मंडी का विकास
वर्ष 2006 में कृषि उत्पादन बाजार समिति के विघटन के बाद मंडी समिति में किसी भी तरह के विकास एवं जन सरोकार से संबंधित कोई भी कार्य नहीं हो सका है. परिणाम यह हुआ कि जल निकासी के लिए बना नाला जमींदोज हो गया, सड़कें टूट कर बिखर गयी और गड्ढे में तब्दील हो गयी. बिजली के खंभे भी नदारद हैं.
एक बार फिर जगी उम्मीद
बीते दिन मंडी में घटी डाका कांड की घटना के बाद पुलिस कप्तान निशांत कुमार तिवारी द्वारा जिस तरह ऑन द स्पॉट सुरक्षा व्यवस्था को लेकर योजना बनायी गयी है, उससे मंडी के कारोबारियों में असुरक्षा की भावना दूर हुई है. इतना ही नहीं सांसद व सदर एसडीएम के साथ हुई बैठक में व्यापारियों के समक्ष सड़क निर्माण कार्य दस दिनों में आरंभ किये जाने के आश्वासन से भी उम्मीदें बढ़ी है. वहीं नवपदस्थापित डीएम पंकज कुमार पाल ने जिस तरह मंडी के विकास के प्रति अपनी चिंता जतायी है, उससे भी एक बार फिर व्यवसयियों के बीच उम्मीद जगी है.

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