दो माह बाद भी स्पष्टीकरण का जवाब नहीं, पंचायत सचिव के विरुद्ध कार्रवाई तय मामला श्रीनगर प्रखंड के सिंघिया पंचायत का, पंचायत सचिव पर योजना क्रियान्वयन में अनियमितता का आरोपउप मुखिया व वार्ड सदस्यों ने की थी शिकायत, डीडीसी ने श्रीनगर बीडीओ से करायी जांचजांच में बीडीओ ने की आरोपों की पुष्टिछह अक्तूबर को पूछा गया स्पष्टीकरण, अब तक नहीं दिया जवाबप्रतिनिधि, पूर्णिया स्पष्टीकरण के दो माह बाद भी योजना क्रियान्वयन में अनियमितता के बाबत अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं करने के कारण श्रीनगर प्रखंड अंतर्गत सिंघिया पंचायत के पंचायत सचिव के विरुद्ध कार्रवाई संभव है. दरअसल गत 06 अक्तूबर को श्रीनगर बीडीओ से प्राप्त जांच रिपोर्ट के आलोक में उप विकास आयुक्त राम शंकर ने पंचायत सचिव को तीन दिनों के भीतर स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया था, लेकिन अब तक पंचायत सचिव द्वारा इसका जवाब नहीं दिया गया है. गौरतलब है कि पंचायत के उप मुखिया व वार्ड सदस्यों ने इस बाबत परिवाद पत्र दायर किया था. जिसमें कहा गया है कि बीआरजीएफ, 12वीं एवं 13वीं वित्त सहित अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में पंचायत सचिव द्वारा अनियमितता बरती गयी. बाद में जांच के क्रम में श्रीनगर बीडीओ ने भी आरोपों की पुष्टि की.कागजों में ही क्रय हुई सामग्रीश्रीनगर बीडीओ द्वारा सौंपे गये जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि 13वीं वित्त योजना के तहत पंचायत योजना संख्या 02/2010-11 में फर्नीचर क्रय हेतु 1.95 लाख, योजना संख्या 01/2012-13 में उपस्कर क्रय हेतु 2.40 लाख तथा योजना संख्या 02/2012-13 में वेपर लाइट क्रय हेतु 80 हजार रुपये का खर्च दिखाया गया है.लेकिन वास्तव में इस प्रकार के किसी भी सामग्री का क्रय नहीं किया गया.मतलब यह कि सामानों की खरीद केवल कागजों तक ही सीमित रह गयी.इसके अलावा चतुर्थ वित्त योजना के तहत योजना संख्या 01/2012-13 में 189950 रुपये की लागत से 50 चापाकल क्रय दर्शाया गया है, लेकिन वितरण नहीं हुआ है.योजना संख्या 02/2012-13 में 09 स्थानों पर सोलर लाइट के लिए 2.565 लाख रुपये खर्च दर्शाया गया है, लेकिन वितरण पंजी में सोलर लाइट लगाने के लिए पंजी में स्थल का जिक्र नहीं है.हैरत की बात तो यह है कि योजना संख्या 03/2012-13 के तहत 85 हजार रुपये की लागत से जिन तीन स्थानों पर सोलर लाइट लगाने की बात कही गयी है, वहां वर्ष 2007-08 में ही लाइट लगायी गयी थी.बीआरजीएफ में भी घालमेलजांच रिपोर्ट के अनुसार बीआरजीएफ योजना के क्रियान्वयन में भी काफी घालमेल किया गया है.पंचायत योजना संख्या 02/2011-12 के तहत 01 लाख रुपये की लागत से चापाकल की खरीद दर्शायी गयी है, लेकिन इसका वितरण सूची उपलब्ध नहीं है.वही योजना संख्या 03/2011-12 में 42 लाभुकों के लिए 1.57 लाख की लागत से चापाकल की खरीद दर्शा कर 35 का वितरण किया गया.इसके अलावा योजना संख्या 01/2012-13 में 1.29 की लागत से 35 चापाकल की खरीद की गयी, लेकिन वितरण नहीं किया गया.वही 13 वीं वित्त योजना के तहत जेनेरेटर, आलमीरा, पलंग, सोफा एवं अन्य उपस्करों की खरीद भी केवल कागजों पर हुई है. समग्री क्रय के लिए 1.95 लाख के प्रस्तावना के आलोक में 237210 रुपये का बाउचर उपलब्ध कराया गया.जांच में यह तथ्य भी उभर कर सामने आया कि चापाकल, सोलर लाइट, पलंग, कुरसी सहित अन्य सामग्रियों की खरीद एक ही दुकान से की गयी और सब कुछ केवल कागजों पर ही हुआ.कर ली निकासी, नहीं बना आंगनबाड़ी केंद्रजांच के दौरान पाया गया कि 13वीं वित्त की राशि से आंगनबाड़ी केंद्र भवन का निर्माण कराया जा रहा है, जबकि 12वीं वित्त में इस मद से राशि का उठाव किया गया और निर्माण नहीं हुआ.इसके अतिरिक्त जांच अधिकारी को 10 मार्च 2013 से पूर्व के दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराये गये. कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत लाभुकों को योजना लाभ वितरण नहीं किया गया. जांच के क्रम में यह भी सामने आया कि कार्यकारिणी की आखिरी बैठक मई 2014 को हुई थी.वार्षिक कार्य योजना तैयार करने के पूर्व उप मुखिया तथा वार्ड सदस्यों के स्थान पर बिचौलियों की मदद ली जाती है.मुखिया द्वारा भी किसी को योजना की जानकारी नहीं दी जाती है.तीन दिनों में देना था जवाबजांच रिपोर्ट के आलोक में डीडीसी ने 06 अक्तूबर को सिंघिया के पंचायत सचिव को पत्र जारी कर तीन दिनों के अंदर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था.पंचायत सचिव को स्पष्ट करने को कहा गया कि क्यों न उनसे गबन किये गये राशि की वसूली की जाये तथा विधि सम्मत कार्रवाई हेतु विभागीय कार्रवाई की जाये.गौरतलब है कि जांच प्रतिवेदन में योजनाओं के क्रियान्वयन के अलावा दस्तावेजों के संधारण में भी लापरवाही बरतने की बात सामने आयी है.लेकिन अब तक पंचायत सचिव द्वारा इस पत्र का जवाब डीडीसी कार्यालय को उपलब्ध नहीं कराया गया है.कहते हैं डीडीसी उप मुखिया व वार्ड सदस्यों के आवेदन के आलोक में जांच करायी गयी थी. श्रीनगर बीडीओ से प्राप्त जांच प्रतिवेदन के आलोक में पंचायत सचिव से कारण पृच्छा की गयी. शीघ्र ही विधि सम्मत कार्रवाई भी की जायेगी.राम शंकर, उप विकास आयुक्त, पूर्णिया.
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दो माह बाद भी स्पष्टीकरण का जवाब नहीं, पंचायत सचिव के विरुद्ध कार्रवाई तय
दो माह बाद भी स्पष्टीकरण का जवाब नहीं, पंचायत सचिव के विरुद्ध कार्रवाई तय मामला श्रीनगर प्रखंड के सिंघिया पंचायत का, पंचायत सचिव पर योजना क्रियान्वयन में अनियमितता का आरोपउप मुखिया व वार्ड सदस्यों ने की थी शिकायत, डीडीसी ने श्रीनगर बीडीओ से करायी जांचजांच में बीडीओ ने की आरोपों की पुष्टिछह अक्तूबर को पूछा […]
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