पूर्णिया : राजनीतिक सफर में पार्टी रूपी बटवृक्ष के महत्व से इनकार नहीं किया जा सकता है. यही वजह है कि चुनावी अखाड़े के हर पहलवान की दिली तमन्ना रहती है कि उसे पार्टी का झंडा और सिंबल मिल सके, ताकि वह जनता से सीधी बात कर सके. दलों से निराशा मिलने के बाद ही प्रत्याशी निर्दलीय होना पसंद करता है.
कुछ ऐसा ही वाकया पूर्णिया में देखने को मिल रहा है, जहां दो प्रत्याशियों ने पहले निर्दलीय और फिर बाद में दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन का परचा दाखिल किया है. सदर विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी कर्नल अक्षय यादव को अब समाजवादी पार्टी का साथ मिल गया है, तो दिवाकर चौधरी को एनसीपी का सहारा मिल गया है.
इस राजनीतिक घटनाक्रम से तीसरे मोरचे के गंठबंधन के औचित्य पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं. तीसरा मोरचा के घटक दलों में समाजवादी पार्टी, जन अधिकार पार्टी, एनसीपी और अन्य कुछ पार्टियां शामिल हैं.
लेकिन प्रत्याशियों की घोषणा के समय से ही तीसरे मोरचे में अनबन की बातें सामने आ रही थी. अब तो बाकायदा एनसीपी नेता तारिक अनवर ने तीसरे मोरचे से अलग हटने की घोषणा भी कर दी है. सदर विधानसभा क्षेत्र में सबसे पहले जन अधिकार पार्टी ने अरविंद कुमार साह भोला को अपना प्रत्याशी घोषित किया. तत्काल ही समाजवादी पार्टी ने नीरज कुमार सिंह उर्फ छोटू सिंह को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. उस समय भी समाजवादी पार्टी के इस निर्णय पर सवाल उठे थे.
एक नाटकीय घटनाक्रम में सपा उम्मीदवार श्री सिंह ने अपना सिंबल वापस करते हुए कहा कि धर्मनिरपेक्ष वोटों के बिखराव को रोकने के लिए वे चुनाव नहीं लड़ेंगे. तत्काल ही एक और नाटकीय घटनाक्रम में श्री सिंह की जगह कर्नल अक्षय यादव को समाजवादी पार्टी ने अपने सिंबल पर मैदान में उतार दिया. गौरतलब है कि श्री यादव ने नौ अक्तूबर को बतौर निर्दलीय प्रत्याशी नामांकन दाखिल किया था. पार्टी प्रत्याशी घोषित होने के बाद उन्होंने पुन: 15 अक्तूबर को सपा प्रत्याशी के रूप में नामांकन का परचा भरा. वहीं 15 अक्तूबर को ही दिवाकर चौधरी ने अचानक एनसीपी उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल कर दिया. श्री चौधरी ने इससे पूर्व 12 अक्तूबर को बतौर निर्दलीय प्रत्याशी नामांकन दाखिल किया था.
इस प्रकार पूर्णिया विधानसभा में अब तीसरा मोरचा के तीनों प्रमुख घटक दल के प्रत्याशी आमने-सामने मैदान में हैं. कुछ ऐसी ही स्थिति अमौर विधानसभा क्षेत्र में देखने को मिल रही है, जहां एनसीपी के शाहबुज्जमा और जन अधिकार पार्टी के बाबर आजम आमने-सामने होंगे. बहरहाल चुनावी मौसम में यह पहला राजनीतिक यू-टर्न है और आने वाले दिनों में बहुत कुछ देखने को मिल सकता है.