31.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

जीवंत हो उठी 450 साल पुरानी गाथा

पूर्णिया : उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद, संस्कृति मंत्रालय तथा जिला प्रशासन के संयोग से स्थानीय कला भवन में आयोजित लोक नाट्य उत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को बेगूसराय के कलाकारों ने ‘बहुरा गोडिन ‘ के लोककथा की प्रस्तुति की. कलाकारों ने लोककथा के माध्यम से नटुआ दयाल सिंह की गाथा का वर्णन किया. […]

पूर्णिया : उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद, संस्कृति मंत्रालय तथा जिला प्रशासन के संयोग से स्थानीय कला भवन में आयोजित लोक नाट्य उत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को बेगूसराय के कलाकारों ने ‘बहुरा गोडिन ‘ के लोककथा की प्रस्तुति की.

कलाकारों ने लोककथा के माध्यम से नटुआ दयाल सिंह की गाथा का वर्णन किया. कलाकारों के प्रदर्शन से एक बार फिर बिहार की 450 वर्ष पुरानी लोक कथा के पात्र जीवंत हो उठे.

दरअसल बहुरा गोडिन की कथा में वर्णन है कि बखरी गांव के विशंभर वनकरी गांव तथा राजभोरा गांव के दुखहरन साहनी, जो पेशे से व्यवसायी हैं तथा अनाज मंडी में अक्सर मिलते हैं, के बीच मित्रता हो जाती है दोनों इस मित्रता को रिश्ते में बदलना चाहते हैं कुछ समय के पश्चात विशंभर को पुत्र (दयाल) तथा दुखहरन को पुत्री (अमरौती)की प्राप्ति होती है.

बच्चों की शादी की उम्र होने तक दोनों मित्रों की मृत्यु हो जाती है. कथा के अनुसार विशंभर का भाई भीममल अपने भतीजे की शादी का प्रस्ताव दुखहरन की विधवा बहुरा के समक्ष लेकर जाता है. तब बहुरा ने शादी के लिए कमला नदी में पुन: पानी लाने की शर्त रखी जो राजभोरा से होकर बहता है. कहा कि नदी को बखरी में भी बहना होगा. भीममल के शर्त कबूल करने के बाद दयाल बरात लेकर राजभोरा पहुंचता है.

लेकिन शर्त याद दिला कर बहुरा शादी रोक देती है तथा काला जादू कर बरातियों को पशु पक्षियों में बदल दिया जाता है. इसके उपरांत काम-काज और व्यापार के लिए बंगाल पहुंच कर दयाल जादू सिखता है और वापस लौट कर अपनी पत्नी की विदाई हेतु ससुराल पहुंचता है. लेकिन उसकी सास बहुरा एक बार फिर वचन की याद दिला कर उसे रोक देती है.

तब राजा द्वारा दोनों पक्षों में सुलह कराया जाता है और दयाल अपनी जादू से बरातियों को वापस जीवित कर दुल्हन सहित घर आ जाता है. कथा मंचन के माध्यम से कलाकारों ने ईर्ष्या और द्वेष से होने वाले क्षति को दर्शाने का भरसक प्रयास किया साथ ही लगन, परिश्रम और प्रेम भाव की महानता की विशेषता भी लोगों के समक्ष रखी गयी.
दर्शकों ने भी कलाकारों की प्रदर्शन को खूब सराहा. नाटक का निर्देशन पवन पासवान ने किया जबकि कलाकारों में ब्रह्मदेव पासवान,मोती पासवान, महेश्वर सहनी, अरविंद राय, पिंटू राय, जगदीश दास, रंजीत राय, मनोज दास, विनोद यादव, रामबली पासवान आदि शामिल थे. इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ नाट्य कला भवन के संगीत गुरु पंडित वीरेंद्र घोष व मुख्य अतिथि पवन पासवान ने किया.
वही केंद्र के कार्यक्रम प्रभारी मधुकांत मिश्रा ने केंद्र से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला.धन्यवाद ज्ञापन नाट्य कला भवन के सचिव सह कार्यक्रम के नोडल पदाधिकारी विश्वजीत कुमार सिंह ने किया.इस अवसर पर नाट्य कला भवन के निदेशक कुंदन कुमार सिंह सहित अन्य रंगकर्मी मौजूद थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें