पूर्णिया. दो वक्त की रोटी के लिए पहिये की तरह जिंदगी चलायमान है. लेकिन विडंबना यह है कि सामाजिक आर्थिक पायदान पर सबसे निचले क्रम पर खड़े रिक्शा चालकों के लिए पूरे शहर में कहीं कोई आशियाना नहीं है. तेज धूप हो या बरसात या फिर कड़ाके की ठंड इन्हें सिर छुपाने की जगह भी मयस्सर नहीं होती है. इन्हें चंद लम्हों का आराम देने के लिए शहर में रैन बसेरा तो बना लेकिन वह भी दबंग अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ़ गया. ऐसे में दूर-दराज गांव से शहर पहुंचे रिक्शा चालकों की मुश्किलों को समझा जा सकता है. दर्द तो तब और बढ़ जाता है जब आंखों के सामने अपने ही बसेरे पर अवांछित तत्वों का कब्जा देखते हैं.
आर्थिक रूप से विपन्न होने की वजह से प्रतिकार की ताकत भी क्षीण हो चुकी है. फरियाद करें तो करें किससे, यहां तो कानून व्यवस्था भी स्टेटस का कायल है. महज दो सप्ताह पहले की बात है जब नगर निगम के आयुक्त ने प्रभात खबर से कहा था कि शीघ्र ही रैन बसेरे को अतिक्रमण मुक्त कराया जायेगा. दो दिन पहले रिक्शा चालकों ने डीएम से मिल कर अपनी विवशता और मजबूरी से अवगत कराया. डीएम साहब को बात समझ में आयी और कहा कि शीघ्र ही वे रैन बसेरा को अतिक्रमण मुक्त करायेंगे. आश्वासन के 48 घंटे बीत चुके हैं, रैन बसेरा पर अवांछित तत्वों का कब्जा बरकरार है. शनिवार की शाम 05:10 बजे जब तेज हवा के साथ बारिश की कुछ बूंदे गिरनी शुरू हुई तो टैक्सी स्टैंड के पास बने रैन बसेरा के सामने रिक्शा के साथ खड़े कुछ रिक्शाचालक बेबस नजरों से अपने रैन बसेरा को देख रहे थे. आइये हम बतलाते हैं कि नगर निगम क्षेत्र में स्थित रैन बसेरों का सूरत-ए-हाल क्या है.
टैक्सी स्टैंड
इस बसेरा का हाल यह है कि इसकी दिवारों पर बड़े और मोटे अक्षर में रैन बसेरा अंकित है. लेकिन इस पर पूरी तरह गैर रिक्शा चालकों का कब्जा है. स्थिति यह है कि रैन बसेरा भवन बन गया है और आगे का परिसर टीन और टाटी के दीवार से बाउंड्री वाल में तब्दील हो गया है. जबकि इसके ठीक सामने प्रतिदिन सैकड़ों रिक्शा खड़ी रहती है. लेकिन रिक्शा चालकों के लिए जगह नहीं है.
सदर अस्पताल
सदर अस्पताल के मुख्य गेट से सटे बना रैन बसेरा अब होटल में तब्दील हो गया है. रैन बसेरा के आधे हिस्से में होटल चलाया जा रहा है. वहीं आधा हिस्सा सैलून चलाने वाले के कब्जे में है. यहां न तो यात्रियों के बैठने की जगह है न ही रिक्शा और ऑटो चालकों के लिए विश्रम करने का जगह है.
खुश्कीबाग का रैन बसेरा
जिला मुख्यालय का पूर्वी इलाका जहां से व्यावसायिक मंडी गुलाबबाग और कटिहार के लिए सड़क निकलती है.यहां सैकड़ों रिक्शा चालक स्थायी रूप से सवारी का इंतजार करते हैं. यहां तो रैन बसेरा, रिक्शा चालकों एवं यात्रियों के लिए बना है लेकिन चाय दुकानदार एवं अन्य लोगों द्वारा इस पर कब्जा कर लिया गया है. अलबत्ता यात्री सड़कों पर और रिक्शा चालक रिक्शा पर ही विश्रम करने को विवश हैं.
लाइन बाजार
स्वास्थ्य नगरी लाइन बाजार से बिहार टॉकिज रामबाग जाने वाली सड़क के किनारे लायंस क्लब द्वारा निर्मित रैन बसेरा भी अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है. हालांकि यहां लोहे का गेट लगा कर पूर्ण कब्जा नहीं किया गया है. लेकिन रैन बसेरा के आगे जैसे ही दुकानें सजती है यात्रियों के लिए बना रैन बसेरा फुटपाथी दुकानदारों के कब्जे में चला जाता है.
गिरजा चौक
गिरजा चौक पड़ाव स्थित रैन बसेरा अब पूरी तरह निजी भवन में तब्दील हो गया है. यहां स्थिति यह है कि इस रैन बसेरा का दरवाजा तक लोहे का गेट लगा कर बंद कर दिया जाता है. इस रैन बसेरा पर होटल चलाने वाले शख्स का कब्जा है. कहने को तो यह रैन बसेरा है लेकिन यहां दिन रात रहने वाले रिक्शा चालकों एवं यात्रियों को चैन की सांस लेने के लिए एक पल का भी आसरा इस रैन बसेरा से नहीं है.