पूर्णिया: पिछले करीब एक साल से हजारों आंखों में तैरते अपने आशियाने के सपनों को विभागीय पेच के कारण मुकाम नहीं मिल पा रहा है. शहर में आशियाना बनाने की राह में निगम के वास्तुविद की ओर से बनाये जाने वाला नक्शा रोड़ा साबित हो रहा है. हालात यह है कि खुद के आशियाना के निर्माण को लेकर शहर में लोग परेशान हैं. न तो नगर निगम में वास्तुविद मौजूद हैं न ही नक्शा के लिए आवेदन लेने को ही कोई तैयार है. ऐसे में बीते एक वर्ष में मकान बनाने के इच्छुक लोगों के सपनों को न तो पंख लग पाया है और न ही इस दिशा में कोई प्रयास निगम की ओर से होता दिख रहा है.
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आशियाने की राह में नक्शा बना रोड़ा
पूर्णिया: पिछले करीब एक साल से हजारों आंखों में तैरते अपने आशियाने के सपनों को विभागीय पेच के कारण मुकाम नहीं मिल पा रहा है. शहर में आशियाना बनाने की राह में निगम के वास्तुविद की ओर से बनाये जाने वाला नक्शा रोड़ा साबित हो रहा है. हालात यह है कि खुद के आशियाना के […]
45 थे आवेदक, कार्यरत एक भी नहीं : वर्षो पूर्व महज तीन वास्तुविद के सहारे समूचे शहर में भवन, मकान, होटल दुकान उठ खड़े हुए थे. लेकिन बीते एक वर्ष पूर्व नगर निगम और पूर्णिया शहर के महत्व के अनुरूप वास्तुविद की नियुक्ति की निविदा निकली तो तीन की संख्या पैंतालीस में बदल गयी, लेकिन इस दिशा में कोई कारगर कदम नहीं उठाये जाने के कारण वर्तमान समय में नगर निगम में वास्तुविदों की संख्या शून्य बनी हुई है.
नक्शा के अभाव में बैंकों की ना : वास्तुविद का अभाव और निगम से नक्शा की स्वीकृति पर लगी रोक से घर बनाने वालों के सपनों को करारा झटका लगा है. दरअसल मध्यम वर्गीय तथा निमA मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों को अपने आशियाने के लिए बैंकों से लोन का सहारा लेना पड़ता है. तमाम कागजी खानापूर्ति के बावजूद अब नक्शा के अभाव में बैंक उन्हें राशि देने से इनकार कर रहा है. ऐसे में चाह कर भी लोगों की अपने आशियाने की उम्मीद हकीकत से कोसों दूर है.
क्या है नगर विकास विभाग का आदेश
नगर विकास एवं आवास विभाग पटना ने बिल्डिंग बाइलॉज में संशोधन कर 08 दिसंबर 2014 को बिहार नगर पालिका 2007 की धारा 321 के तहत एक अधिसूचना जारी कर भवन निर्माण में नये नियमों से संबंधित बिहार भवन उपविधि 2014 को लागू किया. बताया जाता है कि तब नगर निगम में वास्तुविद के लिए निविदा भी निकाली गयी थी, जिसके आलोक में तकरीबन 40 से 45 लोगों ने वास्तुविद के लिए आवेदन भी किया था. दिन महीना और साल गुजर गये, लेकिन अब तक निगम में न तो वास्तुविद की बहाली हुई न ही भवन निर्माण का रास्ता खुला. दरअसल शहर में घर बनाने के सपनों को साकार करने के लिए निगम से बिल्डिंग बाइलॉज के तहत नक्शा का पास होना जरूरी है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार नगर विकास एवं आवास विभाग की ओर से तकरीबन तीन माह पहले नया बाइलॉज नगर निगम को भेज दिया गया है. लेकिन इस दिशा में निगम की ओर से कोई सकारात्मक पहल प्रारंभ नहीं किये जाने से हालात जस के तस बने हुए हैं.
कहते हैं अधिकारी
बयालिस वास्तुविदों को शनिवार को ट्रेनिंग करायी गयी है. बाइलॉज के नियमों के अनुरूप कुछ ही दिनों में उनकी नियुक्ति कर नक्शा स्वीकृति का कार्य प्रारंभ कर दिया जायेगा.
सुरेश चौधरी, नगर आयुक्त, नगर निगम, पूर्णिया
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