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तूफान के साथ तबाही, 52 मौत
फरवरी-मार्च में ओलावृष्टि और तूफान से मिले ‘जख्म’ अभी भरे भी नहीं कि एक बार फिर इस प्राकृतिक आपदा ने तबाही मचा दी. बीती रात राज्य के उत्तर व पूर्वी हिस्से में आये तूफान व ओलावृष्टि से 52 लोगों की मौत हो गयी, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हो गये. मरनेवालों में पूर्णिया में […]
फरवरी-मार्च में ओलावृष्टि और तूफान से मिले ‘जख्म’ अभी भरे भी नहीं कि एक बार फिर इस प्राकृतिक आपदा ने तबाही मचा दी. बीती रात राज्य के उत्तर व पूर्वी हिस्से में आये तूफान व ओलावृष्टि से 52 लोगों की मौत हो गयी, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हो गये.
मरनेवालों में पूर्णिया में 33, मधेपुरा में सात, मधुबनी में पांच, कटिहार, सीतामढ़ी व दरभंगा में दो-दो और सुपौल में एक लोग शामिल हैं. इस दौरान बड़े पैमाने पर लोगों का आशियाना ध्वस्त हो गया. जगह-जगह पर पेड़ और बिजली के तार व खंभे गिर गये, जिससे बिजली आपूर्ति ठप हो गयी. गेहूं, मक्का, दलहन, आम व लीची की फसलों में भारी नुकसान पहुंचा है.
पूर्णिया : पूर्णिया में मंगलवार की रात आये चक्रवाती तूफान ने तबाही मचा दी. लगभग 30 मिनट के तूफान में सब कुछ बरबाद हो गया. अलग-अलग प्रखंडों में 30 लोगों की मौत हुई है. यह सरकारी आंकड़ा है. हालांकि लोगों के मुताबिक मृतकों की संख्या 33 है. केवल सदर अस्पताल में 83 घायल भरती हुए हैं. तबाही का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि सैकड़ों मोटे-मोटे वृक्ष धराशायी हो गये. टीन व छप्पर के बने घर गिर गये.
मुख्य मार्गो पर पेड़ गिरने से आवागमन बाधित हो गया. बुधवार की दोपहर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी क्षति का जायजा लेने पूर्णिया पहुंचे. उन्होंने इलाके का हवाई सर्वेक्षण किया. इस तबाही में खेत में लगी फसलें, आम व लीची पूरी तरह बरबाद हो गये. सबसे अधिक तबाही पूर्णिया सदर प्रखंड व डगरुआ प्रखंड में हुई है. इसके अलावा अन्य प्रखंडों में भी क्षति हुई है.
गिरे हुए घरों की संख्या का आकलन जिला प्रशासन जारी नहीं कर सका है, लेकिन यह हजारों में बताया जा रहा है. डगरुआ प्रखंड के अधखेली पंचायत में सबसे अधिक पांच मौतें हुई हैं. रामपुर पंचायत का कोढ़ैली गांव, कोयला पंचायत का मझुआ गांव, बभनी पंचायत का बगान सबसे अधिक प्रभावित है.
मंगलवार की रात 80 किमी की रफ्तार से आयी तेज हवा स्क्वाल थी. मौसम विभाग के अनुसार यह चक्रवात से कुछ कम होता है, और यह कम जगहों पर ही क्षति पहुंचाता है लेकिन क्षति तो करोड़ों में हुई. मौसम विभाग को इसकी पूर्व से कोई सूचना नहीं थी. रात साढ़े नौ बजे आयी अचानक तेज हवा व बारिश से लोग जब तक संभल पाते तब तक क्षति शुरू हो चुका था. मोटे-मोटे वृक्ष गिर गये थे. इस कारण पूर्णिया-सहरसा मार्ग, पूर्णिया-धमदाहा मार्ग पर आवागमन शाम तक बाधित रहा. मुख्य मार्ग पर भी कई वृक्ष गिरे थे.
इसे हटाने के बाद आवागमन चालू किया जा सका. लगभग आधे घंटे के बाद तेज हवा व बारिश कम हुई तो तबाही सामने आयी. कृषि विभाग के अनुसार फसलों को 98 फीसदी नुकसान हुआ है.
क्षति का आकलन किया जा रहा है. आंधी-बारिश के कारण बिजली व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गयी. कई जगहों पर पोल व तार गिर जाने से पूरे जिले में बिजली गुल हो गयी जो देर शाम तक नहीं ठीक हो सकी. विभाग की मानें तो जो क्षति है उसे दुरुस्त करने में कम से कम एक सप्ताह लग सकता है. देर रात से ही सदर अस्पताल में घायलों का पहुंचना शुरू हो गया. हालांकि आंधी-बारिश में रात में ही मुख्य द्वार पर ओपीडी के सामने भी एक पेड़ गिर गया था, जिस कारण एंबुलेंस को अंदर ले जाने में परेशानी हो रही थी. रात में ही अस्पताल उपाधीक्षक ने डीएम व एसपी ने गुहार लगायी. पेड़ हटाया गया. इसके बाद आवागमन बहाल हो सका.
पटना से आज आयेगी वरीय अधिकारियों की टीम
पूर्णिया : मुख्यमंत्री ने पूर्णिया में हुई क्षति को गंभीरता से लिया है. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार गुरुवार को दो दर्जन विभिन्न विभागों के सचिव सहित बिजली विभाग के सीएमडी व अन्य अधिकारी पूर्णिया पहुंचेंगे. सूत्रों की मानें तो सीएम ने हर हाल में गुरुवार तक बिजली व्यवस्था सुचारू करने का निर्देश दिया है. जिला प्रशासन ने वरीय अधिकारियों को ठहराने की व्यवस्था की है. सूत्रों की मानें तो बुधवार को चूनापुर एयरपोर्ट पर बैठक के दौरान सीएम को अधिकारियों ने तूफान से हुई क्षति का विस्तृत ब्योरा दिया. इसके बाद मुख्यमंत्री के द्वारा यह दिशानिर्देश जारी किया गया है.
अभी मृतकों की संख्या बढ़ सकती है. कई घायल अस्पताल में भरती हैं. जिला प्रशासन की प्राथमिकता है कि पहले घायलों का इलाज कराया जाये. मृतक को चार-चार लाख का मुआवजा दिया जायेगा. सभी विभागों को क्षति आकलन का निर्देश दिया गया है. बीडीओ व सीओ को भी दिशा-निर्देश दिया गया है.
राजेश कुमार, डीएम, पूर्णिया
हिमालय क्षेत्र के मैदानी भाग में इस मौसम में निम्न दाब अधिक होता है. इस कारण यह डिप्रेशन का क्षेत्र बन जाता है. हवा हमेशा उच्च दाब जोन से निम्न दाब क्षेत्र की ओर चलती है. इस क्षेत्र में निम्न दाब अधिक होने की वजह से इस तरफ समुद्र से हवा काफी तेजी से आती है. इसी कारण सीमांचल का इलाका कमोबेश हर साल अधिक प्रभावित हो जाता है.
प्रो एसएन पांडेय, विभागाध्यक्ष, भूगोल विभाग, टीएमबीयू
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