पूर्णिया : किसानों के हित में सरकार ने कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के माध्यम किसानों के कृषि उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने एवं संपन्नता के लिए स्वयं सहायता समूह गठित की है. इसके तहत जिले के 14 प्रखंड में आत्मा के मार्गदर्शन में अब तक 765 समूहों गठित की गयी है.
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कृषि उत्पाद के लिए जिले में 765 स्वयं सहायता समूह गठित
पूर्णिया : किसानों के हित में सरकार ने कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के माध्यम किसानों के कृषि उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ाने एवं संपन्नता के लिए स्वयं सहायता समूह गठित की है. इसके तहत जिले के 14 प्रखंड में आत्मा के मार्गदर्शन में अब तक 765 समूहों गठित की गयी है. इसमें सर्वाधिक संख्या मक्का […]
इसमें सर्वाधिक संख्या मक्का उत्पादन के क्षेत्र में 271 समूह एवं अन्न उत्पादन के क्षेत्र में 270 स्वयं सहायता समूह गठित की गयी है. जबकि सबसे कम समूह बकरी पालन के क्षेत्र में मात्र दो ही गठित किये गये है. बिहार सरकार ने कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के माध्यम से कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में राज्य के विभिन्न जिलों में 24 प्रकार के समूह बनाने की अनुमति प्रदान की है.
जिसमें जैविक खेती, सब्जी खेती, वर्मी कंपोष्ट, समेकित खेती, मशरूम उत्पादन, बकरी पालन,बटेर पालन, पशु पालन, केला उत्पादन,दुग्ध उत्पादन, मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, धान उत्पादन,मक्का उत्पादन,सुगंधित पौधा, पुष्प उत्पादन, डेयरी, मधुमक्खी पालक, पान उत्पादन, प्याज उत्पादन,तेलहन,दलहन एवं अन्न उत्पादन समूह को शामिल किया गया है.
आत्मा में होता है निबंधन : समूह गठित करने की सूचना गांव से संबद्ध पंचायत के विषय वस्तु विशेषज्ञ को दी जाती है. वे पूरा समूह का प्रारूप तैयार कराते हैं और फिर आत्मा में समूह का रजिस्ट्रेशन किया जाता है.
दिया जाता है प्रशिक्षण : आत्मा द्वारा संबंधित समूह को विशेषज्ञों की टीम द्वारा प्रशिक्षण दिलाया जाता है ताकि वे अपने समूह के माध्यम से कृषि उत्पाद व उनकी गुणवत्ता को बढ़ा सके. उदाहरण स्वरूप समूह अगर पशु पालकों का समूह है, तो पशु पालन की आधुनिक जानकारी विशेषज्ञ प्रशिक्षक किसान समूह को देते हैं. इसका लाभ उन्हें अपने पशुपालन की पद्धति में करेंगे.
समूह बनाने की क्या है प्रक्रिया
किसी भी गांव में किसानों द्वारा बैठक कर एक समूह का गठन करने का निर्णय लेते हैं. बैठक में यह भी निर्णय लिया जाता है कि गांव में किस प्रकार के कार्य में आर्थिक लाभ अधिक है, उसी प्रकार पर समूह बनया जाता है. उदाहरण के लिए अगर किसी पंचायत में मत्स्य पालन क्षेत्र में फायदा है, तो मत्स्य पालकों का समूह बनया जाता है.
कहते हैं अधिकारी
किसानों की आर्थिक उन्नति के लिए समूहों के गठन की योजना का क्रियान्वयन किया गया है. जिले में अब तक 765 विभिन्न समूहों का गठन किया गया है. जो आत्मा से निबंधित है तथा समूह संचालन में आने वाली समस्याओं का निदान तत्काल किया जा रहा है.
हरिमोहन मिश्रा, उप निदेशक,आत्मा,पूर्णिया.
190 किसानों से खरीदी गयी 1434.3 मीट्रिक टन धान
95 पैक्स व 2 व्यापार मंडल को मिली धान अधिप्राप्ति करने की स्वीकृति
जिले के 14 प्रखंड अंतर्गत 60 हजार मीट्रिक टन धान खरीदारी का लक्ष्य
पूर्णिया : अब तक जिले के 190 किसानों से 1434.3 मीट्रिक टन धान की खरीदारी की गयी है. गौरतलब है कि धान अधिप्राप्ति का कार्य पैक्स चुनाव के कारण काफी विलंब से दिसंबर के मध्य में शुरू किया गया. जिले में प्रथम चरण में 95 पैक्स व 02 व्यापार मंडल कसबा व अमौर द्वारा धान की खरीदारी की जा रही है.
सहकारिता प्रसार पदाधिकारी के अनुसार किसानों को अपने धान का समर्थन मूल्य प्राप्त करने में कोई परेशानी नहीं हो रही है. धान बिक्री करने के 48 घंटे के अंदर धान का समर्थन मूल्य किसानों के बैंक खाता में हस्तानांतरित कर दिया जाता है.
क्या है समर्थन मूल्य :
सरकार ने किसानों को अपने फसल का सही मूल्य मिले इसके लिए धान का समर्थन मूल्य की घोषणा की है. इसके तहत साधारण धान का मूल्य 01 हजार 815 रुपये प्रति क्विंटल एवं ग्रेड ए धान का मूल्य 01 हजार 835 निर्धारित की है. पूर्णिया जिला में ग्रेड ए धान की खेती कम होने से धान क्रय केंद्र पर उपलब्ध नहीं होते है.यहां प्राय: साधारण धान की ही बिक्री की जाती है.
क्या है खरीदारी का लक्ष्य :
पूर्णिया जिला को 60 हजार मिट्रिक टन धान की खरीदारी का लक्ष्य निर्धारित की गयी है. इसमें प्रत्येक पैक्स को सांकेतिक रूप से 230 मिट्रिक टन धान की खरीदारी करनी है.
जबकि व्यापार मंडल एवं मिलर वाले पैक्स को 500 मिट्रिक टन धान की खरीदारी करने का लक्ष्य दिया गया है. किसानों को धान बिक्री करने के लिए पहले कृषि विभाग व सहकारिता विभाग के वेवसाइट पर ऑनलाइन निबंधन कराना पड़ता है. निबंधित किसान के नाम ही धान की खरीदारी की जाती है.
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