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प्रेमचंद के ‘पूस की रात’ हो सकती है गुजरे जमाने की बात, सिमट रही सर्दी

पूर्णिया : कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘पूस की रात’में ठंड की पराकाष्ठा की बानगी है. इसका पात्र हल्कू कहता है-‘किस तरह रात कटे,आठ चीलम तो पी चुका हूं.’ ‘कंपकपाने वाली ठंड की काली रात गुदड़ी के सहारे कैसे कटे, ऐसन ठंड में तो अलाव ही सहारा है पर का करें यहां तऽ लकड़ी […]

पूर्णिया : कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘पूस की रात’में ठंड की पराकाष्ठा की बानगी है. इसका पात्र हल्कू कहता है-‘किस तरह रात कटे,आठ चीलम तो पी चुका हूं.’ ‘कंपकपाने वाली ठंड की काली रात गुदड़ी के सहारे कैसे कटे, ऐसन ठंड में तो अलाव ही सहारा है पर का करें यहां तऽ लकड़ी और गोईठा पर पईसा ने पाला मार दिया है.’

मगर, बदलते दौर में पूस की रात जैसे हालात अब रहने वाले नहीं. सर्द मौसम और शीतलहर के कारण हाड़ कंपा देने वाली ठंड अब आने वाले दिनों में गुजरे जमाने के बात हो सकती है. यह पहला साल है जब नवंबर बिना सर्दी के निकल गया और दिसंबर के दूसरे सप्ताह में भी सामान्य ठंड का अहसास किया जा रहा है. मौसम के जानकार बताते हैं कि यह जलवायु परिवर्तन का संकेत है.
दरअसल, एक साल पूर्व तक पूर्णिया समेत पूरे सीमांचल में नवंबर माह से कड़ाके की ठंड शुरू हो जाती थी और दिसंबर में ठंड पूरे शवाब पर होती थी. इस साल पहली दफे नवंबर बिना ठंड के निकल गया और दिसंबर के दूसरे सप्ताह में भी वह ठंड नहीं है जिससे बचाव के लिए लोग पहले से तैयारी करते थे. यदि तापमान का पिछला रिकार्ड देखा जाये तो मध्य दिसंबर तक न्यूनतम तापमान 6 डिसे. से 8 डिसे.
तक रहा है. वर्ष 2010 से 2014 तक का न्यूनतम तापमान बहुत कम अंतर से इन्हीं आंकड़ों के दायरे में रहा है. वर्ष 2015 और 2016 में तापमान इस दायरे से निकला पर 2017 में 10 से 12 डिसे. के बीच यह घूमता रहा. मौसम के जानकारों की मानें तो 2018 से सर्द मौसम धीरे-धीरे खिसकने लगा और इस वर्ष यानी 2019 में एक माह तक खिसक गया. इस वर्ष 2019 के दिसंबर में अब तक न्यूनतम तापमान 11.8 से 12.2 से नीचे नहीं गया है.
मौसमविदों की मानें तो इस बार सामान्य से भी कम ठंड पड़ेगी क्योंकि ठंड के सीजन में अधिकतम तापमान का आंकड़ा नीचे गिरने में कमी आ रही है जबकि न्यूनतम तापमान लुढ़कने का आंकड़ा नीचे जा रहा है.
पटना मौसम केन्द्र से मिली जानकारी के मुताबिक इस बार 20 दिसंबर से 18 जनवरी के बीच कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है. जानकारों का कहना है कि अक्सर मकर संक्रांति यानी 14 जनवरी से ठंड की विदाई शुरू हो जाती है और इस दिन से मौसम चेंज होने लगता है. इस हिसाब से देखा जाये तो इस बार ठंड शुरू होते-होते ही खत्म भी हो जाएगी.
हालांकि मौसम विभाग ने जनवरी तक ठंड रहने की बात बतायी है पर मौसम के इस बदलाव को क्लाईमेट में परिवर्तन का संकेत माना जा रहा है. जलालगढ़ कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डा. अभिषेक सिंह बताते हैं कि हम इसे पर्यावरण असंतुलन के नजरिये से देख सकते हैं और यह कहना भी गलत नहीं होगा कि यह बदलाव ग्लोबल वार्मिंग के कारण भी दिख रहा है.
कहते हैं पर्यावरणविद
यह स्वाभाविक है कि जिस वर्ष वर्षा अधिक होगी उस वर्ष ठंड कम होगी. इस साल ठंड का मौसम शुरू होने से पहले सितंबर के अंतिम सप्ताह में काफी बारिश हुई थी. इसे हम सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन नहीं कह सकते पर इसे पर्यावरण संतुलन से भी अलग नहीं किया जा सकता. ग्लोबल वार्मिंग का असर तो पूरे देश में है.
डा. पारसनाथ, प्राचार्य, कृषि कालेज, पूर्णिया
कहते हैं अधिकारी
इस बार देर तक मानसून और बिहार से सटे साइक्लोन आने के चलते ठंड का असर दिसंबर के दूसरे सप्ताह में कम है. बढ़ते प्रदूषण और तापमान में बढ़ोतरी के वजह से भी ठंड कम है. अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस और न्यूतम 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहने के बाद शीतलहर शुरू होता है. पछिया हवा तेज बहेगी तो ठंड का असर जारी रहेगा. 20 दिसंबर से 20 जनवरी तक ठंड काफी पड़ेगी और शीतलहर भी रहेगा.
सुमन कुमार, अधिकारी, मौसम विभाग

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