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20 पंचायतों में मात्र तीन राजस्व कर्मचारी नहीं कट रहा लगान-रसीद

पूर्णिया : चार जिलों की सीमा से सटे उग्रवाद व आतंकवाद के रूप में चर्चित रह चुके जिले का रूपौली प्रखंड का हाल अच्छा नहीं है. पंचायतों व जनसंख्या में समृद्ध इस अंचल में कुल 20 पंचायत हैं. लेकिन रास्व कर्मचारी महज तीन हैं. ऐसे में ना तो मोटेशन में ही सहूलियत है और ना […]

पूर्णिया : चार जिलों की सीमा से सटे उग्रवाद व आतंकवाद के रूप में चर्चित रह चुके जिले का रूपौली प्रखंड का हाल अच्छा नहीं है. पंचायतों व जनसंख्या में समृद्ध इस अंचल में कुल 20 पंचायत हैं. लेकिन रास्व कर्मचारी महज तीन हैं. ऐसे में ना तो मोटेशन में ही सहूलियत है और ना ही सहजता से राजस्व रसीद ही कटती है. ज्ञात हो कि इस अंचल में किसानों की संख्या सर्वाधिक है और यहां की अर्थव्यवस्था भी खेती पर ही निर्भर है.

दुखद है कि जमीन के कई टुकड़े हो गये मगर उसका सही मालिकाना का हिसाब पूरा नहीं हो पा रहा है. ऐसे में छोटे किसानों की परेशानी बढ़ी हुई है. अलग-अलग हिस्से के अनुसार मोटेशन नहीं हो रहा है. जिन किसानों की तमीन उनके दादा-परदाद के नाम से है वे अपनी जमीन पर कानूनन हक नहीं बना पा रहे हैं.
ऐसे में कुछ किसानों को छोड़कर अधिकांश किसानों व भूधारियों को सरकारी लाभ नहीं मिल रहा है. कृषि ऋण भी इनके लिए सपना सा ही है. राजस्व कर्मचारी की कमी की वजह से किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. लगान रसीद से लेकर दाखिल खारिज के लिए अंचल कार्यालय का चक्कर काटने को मजबूर हैं. रसीद कटाने के लिए कर्मचारियों को ढूंढने में ही कई दिन लग जाते हैं.
हड़बड़ा गये हैं भू-धारी
इन दिनों बिहार में जमीन के सर्वे की बात हो रही है. ऐसे में किसान व भूधारी अपने हिस्से की जमीन का पेपर अपडेट रखना चाहते हैं. सभी जरूरतमंद रोजाना अंचल व हल्का का दौड़ लगा रहे हैं और बेरंग वापस भी हो रहे हैं. इस बीच कई भूधारी दलालों के चक्कर में भी फंस रहे हैं. इधर, राजस्व कर्मचारी भी मनमानी करते हैं और आवामी शिकायत है कि लगान के नाम पर अतिरिक्त राशि भी वसूल लेते हैं.
कहते हैं अधिकारी
कार्यरत बलों की घोर कमी है. अभी जिले में 57 राजस्व कर्मचारी हैं. एक साथ दो से तीन पंचायतों को जोड़कर वहां राजस्व कर्मचारियों को लगाया गया है.
मो तारिक इकबाल, एडीएम, पूर्णिया.
नहीं हो रही राजस्व वसूली
रूपौली में तीन करोड़ आठ लाख 92 हजार 284 रुपये का बकाया चल रहा है. अभी तक महज 10 फीसदी वसूली कह बात बतायी गयी है. ऐसा नहीं कि भू-धारी लगान देना नहीं चाहते. उनसे लगान वसूलने वाला कोई ताकीद नहीं करता. अगर कोई भी भू-धारी अपने से वहां जाता है तो काफी मशक्कत के बाद ही उन्हें लगान रसीद मिल पाता है.

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