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सदर अस्पताल में इलाज आसान, पर दवा लेना सहज नहीं, लौटना पड़ता है खाली हाथ

पूर्णिया : सदर अस्पताल में इन दिनों मरीजों का इलाज आसानी से हो जाता है लेकिन सबसे अधिक परेशानी दवा लेने में होती है. सदर अस्पताल में ओपीडी और इमरजेंसी में लगभग तीन हजार मरीजों की भीड़ रोजाना जुटती है पर इस हिसाब से यहां दवा का काउंटर नहीं है. नतीजतन रोगियों को दवा लेने […]

पूर्णिया : सदर अस्पताल में इन दिनों मरीजों का इलाज आसानी से हो जाता है लेकिन सबसे अधिक परेशानी दवा लेने में होती है. सदर अस्पताल में ओपीडी और इमरजेंसी में लगभग तीन हजार मरीजों की भीड़ रोजाना जुटती है पर इस हिसाब से यहां दवा का काउंटर नहीं है.

नतीजतन रोगियों को दवा लेने के लिए घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है. इसमें काफी समय लग जाता है जिससे दूरस्थ इलाकों से आने वाले रोगियों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं.
उन्हें घर वापसी के लिए सवारी नहीं मिलती. पूर्णिया सदर अस्पताल में दवा वितरण के लिए कुल तीन काउंटर बने हुए हैं. इसमें एक सीनियर सिटीजन के लिए आरक्षित है और एक-एक महिला व पुरुष के लिए है. पुर्जा कटाने के बाद रोगी डाक्टर को दिखाते हैं. चूंकि भीड़ अधिक रहती है इसलिए डाक्टर भी चट-पट में रोगी को देख कर दवा लिख देते हैं. इसके बाद परेशानी का दौर शुरू होता है.
डाक्टर का पुर्जा लेकर रोगी दवा काउंटर की ओर तेजी से भाग कर आते हैं पर यहां पहले से भीड़ लगी होती है. आलम यह है कि लाइन में खड़े रहने के घंटों बाद जब तक नंबर आता है तब तक फर्स्ट फेज में काउंटर बंद होने का समय हो जाता है.
दूसरे फेज में पहले वाले मरीज को तो दवा मिल जाती है पर उस फेज के रोगियों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं. यहां उल्लेख्य है कि सुबह ओपीडी का समय 8 से 12 और शाम 4 से 6 बजे तक होता है. चूंकि यहां दवा मुफ्त दी जाती है और औसतन मरीज गरीब तबके के होते हैं इसलिए वे अस्पताल की दवा ही लेना बेहतर समझते हैं.
काउंटर पर लगी भीड़.
यदि मरीज को तुरंत दवा की जरूरत पड़े तो यहां मुश्किल हो जाता है. दवा वितरण की त्वरित व्यवस्था नहीं है. डाक्टर द्वारा लिखी गयी दवा उपलब्ध भी नहीं रहती. घंटों लाइन में खड़ा रहने के बाद दवा नहीं मिलने से मायूस हो जाते हैं.
विमला देवी, अमौर, पूर्णिया
कहते हैं मरीज के परिजन
सदर अस्पताल में इलाज तो किसी तरह सही हो जाता है लेकिन दवा लेने में काफी परेशानी होती है. आधा घंटा से ज्यादा हो गया है फिर भी मेरा नंबर नहीं आया है. हम अपने रिश्तेदार को ओपीडी में दिखाने आये हैं पर दवा लेने में दिक्कतें हो रही हैं. दवा काउंटर बढ़ाने की आवश्यकता है.
मो. हसनैन, बरसौनी, पूर्णिया
दवा काउंटर में काफी भीड़ होती है. मेरे मरीज को फारबिसगंज से पूर्णिया सदर अस्पताल रेफर कर दिया है. दवा खत्म हो गयी है. दवा काउंटर पर लंबी लाइन से बहुत परेशानी हो रही है. यहां चार से पांच दवा काउंटर की जरूरत है. कभी-कभी बाहर से दवाई लेने को मजबूर हैं.
मो. नोशाद आलम, फारबिसगंज, अररिया
सदर अस्पताल में सरकारी दवा नि:शुल्क मिलती है. यहां दवा तो उपलब्ध रहती है पर काउंटर से प्राप्त करना कठिन हो जाता है. दवा लेने के लिए लंबी लाइन और भीड़ का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्र से अस्पताल पहुंचे हैं और दवा लेने के लिए 45 मिनट से खड़े हैं.
कंचन देवी, चंपानगर, पूर्णिया

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