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एक मनोरोग विशेषज्ञ के भरोसे विभाग

परेशानी. बढ़ रहे मानसिक रोगी, सदर अस्पताल में मुकम्मल व्यवस्था नहीं सदर अस्पताल में प्रति दिन औसतन 04-05 मानसिक रोगी पहुंचते हैं इलाज कराने संपन्न तो बाहर करा लेते हैं इलाज, गरीबों को होती है परेशानी पूर्णिया : जिले में मानसिक रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. मानसिक रोगियों के आंकड़े चौंकाने […]

परेशानी. बढ़ रहे मानसिक रोगी, सदर अस्पताल में मुकम्मल व्यवस्था नहीं

सदर अस्पताल में प्रति दिन औसतन 04-05 मानसिक रोगी पहुंचते हैं इलाज कराने
संपन्न तो बाहर करा लेते हैं इलाज, गरीबों को होती है परेशानी
पूर्णिया : जिले में मानसिक रोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. मानसिक रोगियों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं. महज जनवरी 2018 में अब तक 98 मानसिक रोगियों की पहचान की जा चुकी है. यह आंकड़ा तो सदर अस्पताल पहुंचने वाले रोगियों की है. जाहिर है कि यह संख्या और भी अधिक हो सकती है. क्योंकि संपन्न लोग ऐसे मामले में हाइयर सेंटर का रुख करना पसंद करते हैं. लेकिन विडंबना यह है कि जिस सदर अस्पताल में औसतन प्रति दिन 04-05 मानसिक रोगी इलाज के लिए पहुंचते हैं, वहां इनके इलाज की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. सदर अस्पताल महज परामर्श केंद्र बना हुआ है और यहां चिकित्सक से लेकर अन्य कर्मियों की भारी कमी है. ऐसे में गरीब तबके के मरीजों को यहां पहुंच कर भी मानसिक सुकून नहीं मिल पाता है.
रोगियों के साथ-साथ विभाग की भी जिम्मेदारी: सदर अस्पताल स्थित मानसिक रोग विभाग में केवल एक मनोरोग विशेषज्ञ पदस्थापित हैं. चिकित्सक डाॅक्टर राजेश कुमार भारती ही यहां नोडल पदाधिकारी के रूप में कार्यरत हैं. उन्हें इलाज के साथ-साथ विभाग का भी काम देखना पड़ता है. जानकार बताते हैं कि यहां कम से कम 04 मनोरोग विशेषज्ञ पदस्थापित होना चाहिये. बहरहाल यहां नैदानिक वैज्ञानिक, मनोसमाजिक कार्यकर्ता समेत तीन अन्य कर्मी पदस्थापित हैं. मात्र एक मनोचिकित्सक को विभागीय काम के साथ जिले के सभी प्रखंड स्थित स्वास्थ्य केंद्र और उपस्वास्थ्य केंद्रों में जाकर मनोरोगियों का इलाज करना पड़ता है.
मनोरोग विभाग की स्थापना के बाद से जिले में अब तक 3491 मानसिक रोगियों की हो चुकी है पहचान
मनोरोग विभाग की स्थापना के बाद अब तक 3491 मानसिक रोगियों की जिले में पहचान हो चुकी है. जानकारों की मानें तो हाल के वर्षों में मानसिक रोगियों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से इजाफा हुआ है. दिसंबर 2015 में 50 रोगियों की पहचान हुई थी. वहीं वर्ष 2016 में रोगियों की संख्या बढ़ कर 1334 हो गयी. जबकि वर्ष 2017 में और भी रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ और यह संख्या बढ़कर 2011 तक पहुंच गया. इस प्रकार देखा जा सकता है कि वर्ष 2016 में औसतन प्रति माह 111 से अधिक रोगी चिह्नित हुए, जबकि वर्ष 2017 में औसतन प्रतिमाह 160 से अधिक रोगी की पहचान हुई. मरीजों की लगातार बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए सदर अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में महज परामर्श की व्यवस्था होना नाकाफी प्रतीत हो रहा है.
जिले में वर्षवार मानसिक रोगियों की संख्या
वर्ष कुल मरीज
2015 50
2016 1334
2017 2011
2018 (अबतक) 96
कुल मरीज 3491
जिले में लगातार मानसिक रोगियों की संख्या का बढ़ना चिंता की बात है. सदर अस्पताल में प्राथमिक उपचार व सलाह की व्यवस्था है. बहुत जल्द मानसिक रोगियों को भर्ती कर इलाज करने की सुविधा भी उपलब्ध होने लगेगी.
डॉ राजेश कुमार भारती, नोडल पदाधिकारी, मानसिक रोग विशेषज्ञ

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