31.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

थाली से कम होने लगीं सब्जियां दिल्ली के बराबर पूर्णिया की मंडी

दिल्ली की मंडी में टमाटर 60 से 70 रुपये किलो बिक रहा है. दूसरी ओर उसकी बराबरी करते हुए पूिर्णया की मंडी में टमाटर की कीमत 50 से 60 रुपये तक पहुंच चुकी है. यही स्थिति कई अन्य सब्जियों की भी है. महंगाई थमने का नाम नहीं ले रही है. चाहे सब्जी की कीमत हो […]

दिल्ली की मंडी में टमाटर 60 से 70 रुपये किलो बिक रहा है. दूसरी ओर उसकी बराबरी करते हुए पूिर्णया की मंडी में टमाटर की कीमत 50 से 60 रुपये तक पहुंच चुकी है. यही स्थिति कई अन्य सब्जियों की भी है. महंगाई थमने का नाम नहीं ले रही है.
चाहे सब्जी की कीमत हो या खाद्यान्न की या अन्य जरूरत की चीज ही क्यों नहीं हो. इससे निम्न वर्ग तो दूर, मध्यम वर्ग व हरेक नौकरीपेशा लोग भी लगातार बढ़ती महंगाई से तंग आ चुके हैं. थाली से पहले ही पौष्टिक चीजें दूर हो गयी हैं. अब तो सामान्य भोजन भी थाली से दूर होता दिख रहा है. पहले गरीब-मजदूर सत्तू व रोटी के साथ प्याज खाकर अपना स्वाद बढ़ा लेते थे. प्याज की कीमत लगातार बढ़ती ही जा रही है. चावल के साथ टमाटर खाकर पोषक तत्व पूरा करते थे, लेकिन टमाटर का भाव भी गिरने का नाम नहीं ले रहा है.
पूर्णिया : पूिर्णया में सब्जियों की कीमत बेलगाम है और खरीदार बेहाल हैं. साइड इफेक्ट यह है कि किलो की भाव में बिकने वाली सब्जियां अब पाव में बिक रही है. सब्जी की कीमत सुनकर लोग खरीदने से पहले सोचने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
सब्जी की कीमत बढ़ने से सबसे ज्यादा परेशानी मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों को हो रही है. सब्जियों की कीमत में उबाल वैसे तो दीपावली के पूर्व से ही है. लोगों ने सोचा था कि दीपावली और छठ पर्व समाप्त हो जाने के बाद कीमत में गिरावट आयेगी लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. हैरानी की बात यह है कि शहर के हर हाट में एक ही सब्जी की कीमत अलग-अलग होती है. जाहिर है कि सब्जी की कीमत का निर्धारण बड़े कारोबारी कर रहे हैं और वे ग्राहकों से मनमानी कीमत वसूल रहे हैं.
हर हाट में होती है अलग-अलग कीमत : सब्जी का सबसे बड़ा थोक बाजार खुश्कीबाग को माना जाता है. यहां रानीपतरा, हरदा, केनगर के साथ-साथ अन्य जगहों से भी सब्जियां पहुंचती है.
जानकारों की माने तो सब्जी के आवक में कोई कमी नहीं है. बावजूद सब्जियों की कीमत टूटती नजर नहीं आ रही है. वजह साफ है कि सब्जी की कीमत थोक कारोबारी करते हैं और खुदरा बाजार में पहुंच कर खुदरा दुकानदार जमकर अपनी मनमानी करते हैं. यही वजह है कि थोक बाजार में कीमत कुछ और खुदरा बाजार में कुछ और है. सूत्र बताते हैं कि सब्जी के कारोबार में कुछ जमाखोर और कमीशनखोर भी संलिप्त है जो अपने हिसाब से कीमत तय करते हैं. जहां ग्राहक सब्जी की खरीदारी में कंगाल हो रहे हैं. वही मुनाफाखोर मालामाल हो रहे हैं. विडंबना यह है कि इन्हीं बाजारों में किसानों से कौड़ी के भाव में उनकी सब्जियां खरीदी जाती है और उन्हीं के सामने थोक कारोबारी मनमानी कीमत पर सब्जी को बेचते हैं.
किलो नहीं पाव में हो रही है सब्जी की खरीद : बाजार तरह-तरह की सब्जियों से अटा पड़ा है. वहीं दुकानदार भी उम्मीद लगाये बैठे रहते हैं. लेकिन जब ग्राहक सब्जी खरीदने पहुंचते हैं तो दुकानदारों की उम्मीदों पर पानी फिर जाता है. जो ग्राहक कल तक सब्जियां किलो में खरीदा करते थे वे अब टमाटर, आलू, प्याज, गोभी, बैंगन, परवल और अन्य सब्जियां पाव में खरीद रहे हैं. वजह यह है कि सब्जी की कीमत रसोई की बजट पर भारी पड़ रहा है. परिवार के लोग सब्जी को बहरहाल प्रसाद समझ कर ही ग्रहण कर रहे हैं.
गड़बड़ाने लगा है घर का बजट
प्रभात खबर की ओर से रिक्शा चालक, चाय वाला, स्टूडेंट व गृहिणी से उनके मासिक खर्च की जानकारी ली गयी. सभी का एक स्वर में यहीं कहना था कि बढ़ती महंगाई से घर का बजट गड़बड़ हो गया है. मासिक खर्च में चार से पांच हजार रुपये बढ़ गया है. लॉज में रहने वाले छात्र का मासिक खर्च भी 500 से 700 रुपये
रोज-रोज सब्जी का मुंह नहीं देख पाते
रोजाना 100 से 200 रुपये कमा पाते हैं. पहले जो चावल 30 रुपये किलो था, वहीं अब 35 रुपये हो गया. 10-15 रुपये वाला बैगन 30-40 रुपये किलो हो गया. ऐसे में कैसे रोजाना सब्जी खा सकेंगे. बच्चे का एक टाइम तो स्कूल में भोजन हो जाता है.
शंकर मंडल, रिक्शा चालक
15 से 20 हजार हुआ बजट
तीन लड़की व दो लड़के हैं. पहले घर का खर्च व बच्चों की पढ़ाई 15 हजार रुपये में हो जाता था. अब 20 हजार रुपये में भी पूरा नहीं होता. सब्जी, गैस से लेकर खाद्यान्न के भाव बढ़ गये. बचत तो दूर बजट ही गड़बड़ हो गया.
पूजा कुमारी, गृहिणी
कम हुआ मुनाफा, ग्राहक भी घटे
पहले चाय दुकान चलाने में मुनाफा दिखता था. अब दूध, चीनी व चाय पत्ती की कीमत बढ़ गयी है. 35 वाला चीनी 45 रुपये किलो, 250 रुपये का चाय पत्ती 350 रुपये एवं दूध 40 से 45-50 रुपये किलो हो गया. चाय का दाम बढ़ाने पर ग्राहक घटने का डर सता रहा है.
अर्जुन प्रसाद साह, चाय वाला
हर माह बढ़ा पांच से सात सौ खर्च
रामबाग स्थित लॉज में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. पहले 800 रुपये में गैस सिलिंडर आ जाता था, अब 900 रुपये हो गया. सब्जी, चावल, चीनी, तेल की कीमत भी बढ़ गये. इससे मंथली 500 से 700 रुपये खर्च बढ़ गये.
सत्यम सिंह, छात्र

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें