पूर्णिया : जिले के लगभग एक हजार शिक्षक प्रवरण वेतनमान से वंचित हैं. इनमें से कई शिक्षक प्रवरण वेतनमान का लाभ लिये बगैर रिटायर हो चुके हैं तो कई अब स्वर्गवासी भी हो चुके हैं. जबकि नियम यह है कि 12 साल पर शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान का लाभ देना है. लिहाजा विभाग के प्रति […]
पूर्णिया : जिले के लगभग एक हजार शिक्षक प्रवरण वेतनमान से वंचित हैं. इनमें से कई शिक्षक प्रवरण वेतनमान का लाभ लिये बगैर रिटायर हो चुके हैं तो कई अब स्वर्गवासी भी हो चुके हैं. जबकि नियम यह है कि 12 साल पर शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान का लाभ देना है. लिहाजा विभाग के प्रति लोगों में गुस्सा है.
शिक्षक संघों ने भी इस मसले पर अधिकारियों का ध्यान आकृष्ट कराया है, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा है. शिक्षक नेता अरविंद कुमार सिंह कहते हैं कि कई बार विभागीय अधिकारियों को इस बाबत ज्ञापन दिया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. हैरानी की बात यह है कि स्थापना के डीपीओ चंद्रशेखर शर्मा को यह भी पता नहीं है कि कितने वर्षों से शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान का लाभ नहीं मिला है और इसकी वजह क्या है.
मुझे नहीं मालूम कि शिक्षकों को कितने साल से प्रवरण वेतनमान नहीं मिला है और प्रवरण वेतनमान क्यों नहीं मिला है, इसकी भी जानकारी नहीं है. इसके लिए बैठक होती है, जिसका इंतजार है और बैठक कब होगी, कुछ नहीं कहा जा सकता है.
चंद्रशेखर शर्मा, डीपीओ, स्थापना
अिधकािरयों की चौखट पर देते रहे हैं दस्तक
प्रवरण वेतनमान के लिए संघर्षरत शिक्षकों ने बताया कि करीब 20 साल से शिक्षक प्रवरण वेतनमान के लिए अधिकारियों की चौखट पर दस्तक देते रहे हैं. वर्ष 1993 की नियमावली के आधार पर 12-12 साल पर प्रवरण वेतमान देने की व्यवस्था की गई है. इसमें वित्तीय लाभ साढ़े 12 प्रतिशत दिये जाने का प्रावधान है. नियमावली बनने के बाद पांच साल बाद का समय तो यूं ही गुजर गया. वर्ष 1998 से प्रवरण वेतनमान देने की सुगबुगाहट शुरू हुई, लेकिन तब से आज तक प्रवरण वेतनमान के लिए आवाज उठती रही है और आवाज नक्कारखाने में तूती साबित हो रही है.
पांच साल पहले हुई थी सूची तैयार
शिक्षकों ने बताया कि पांच साल पहले प्रवरण वेतमान के लिए सूची का अनुमोदन विभाग द्वारा किया गया था. इसके बाद अनुमोदित सूची पर मुहर लगाने के लिये दो बार प्रोन्नति समिति की बैठक में प्रस्ताव लिया गया. हालांकि कोरम पूरा नहीं होने के कारण इसपर निर्णय नहीं लिया जा सका. पिछले साल प्रोन्नति समिति की बैठक हुई और कोरम भी पूरा हुआ मगर प्रवरण वेतनमान पर कोई विचार नहीं किया गया. जाहिर है कि आलाधिकारी प्रवरण वेतनमान देने के प्रति गंभीर नहीं हैं.