प्राइवेट अस्पताल. भ्रष्ट हो गये हैं धरती के ‘भगवान’, गरीब करें भी तो क्या करें
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सेवा के बदले ली जा रही मनमानी फीस
प्राइवेट अस्पताल. भ्रष्ट हो गये हैं धरती के ‘भगवान’, गरीब करें भी तो क्या करें यूं तो डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन जब भगवान ही भ्रष्ट हो जायें, तो कोई क्या कर सकता है. पूर्णिया : नर्सिंग शब्द सेवा भाव से जुड़ा हुआ है. लेकिन नर्सिंग सिर्फ शब्द तक सीमित रह […]
यूं तो डॉक्टरों को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन जब भगवान ही भ्रष्ट हो जायें, तो कोई क्या कर सकता है.
पूर्णिया : नर्सिंग शब्द सेवा भाव से जुड़ा हुआ है. लेकिन नर्सिंग सिर्फ शब्द तक सीमित रह गया है. कुछ लोगों ने नर्सिंग सेवा को व्यापार बना लिया है. शहर में बड़े-बड़े आलीशान मकानों में निजी नर्सिंग होम और अस्पताल खुल तो गये हैं, लेकिन सेवा और सुविधा नदारद है. बीमारी से ग्रस्त लोग बड़ी उम्मीद और विश्वास के साथ अस्पताल में इलाज कराने आते हैं, लेकिन अस्पताल के रवैये से मायूस होकर उन्हें लौटना पड़ता है. डॉक्टर अपनी पढ़ाई और अस्पताल बनाने तक का खर्च मरीज और उनके परिजनों के उपर थोप कर मोटी रकम की वसूली कर रहे हैं. इस पेशे का जन सरोकार से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है. लिहाजा यह लूट-खसोट का यह सफेद धंधा बन गया है.
क्या है मोटी फीस के निहितार्थ : जब भी बात मोटी फीस की होती है तो चिकित्सक या फिर उसके पैरोकार अजीबो-गरीब तर्क देते हैं. सीधे तौर पर कह दिया जाता है कि डॉक्टरी की पढ़ाई में लाखों रूपये खर्च होते हैं, करोड़ों की लागत से नर्सिंग होम तैयार होता है और क्लिनिक तथा नर्सिंग होम के संचालन में अच्छा-खासा खर्च आता है. लेकिन इस सवाल का कोई जवाब नहीं होता है कि चिकित्सक बनने के साथ-साथ क्या कोई सामाजिक सरोकार भी होता है. दरअसल इस पेशे में बिचौलिये की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गयी है और चिकित्सकों को बिचौलिये के बीच मोटी राशि कमीशन के तौर पर देनी पड़ती है. लिहाजा मोटी फीस की वसूली के बाद ही सभी खर्च की भरपाई संभव है.
निजी अस्पतालों में एक रेट हो तो कम होगी परेशानी : शहर में तीन दर्जन से अधिक निजी अस्पताल संचालित हैं. सभी अस्पताल का अपना-अपना रेट है. कोई ज्यादा सुविधा देने के नाम पर फीस वसूल करता है तो कोई पड़ोसी अस्पताल की देखादेखी में फीस वसूली करता है. किसी भी अस्पताल में पैथोलॉजी जांच, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, इसीजी, डायलिसिस, सिटी स्कैन का रेट एक समान नहीं है. जिससे मरीजों को काफी परेशानी होती है और दलाल के चक्कर में पड़ कर ठगी का शिकार होना पड़ता है. किसी भी अस्पताल में फीस का रेट लिस्ट नहीं टांगा गया है. यदि सभी अस्पतालों की फीस रेट एक समान कर दिया जाये तो मरीज दलालों के चक्कर से बच सकते हैं. अस्पतालों में एक ही बात की समानता है, वह है मरीज के परिजनों का येन-केन-प्रकारेण जेब खाली कराना. जनहित से जुड़ी इस आम समस्या के प्रति स्वास्थ्य विभाग से लेकर राजनीतिक नुमाइंदे खामोश हैं.
सुनिये डॉक्टर साहब जनता की आवाज मरीज की स्थिति देख तय होती है फीस
प्रभात खबर के हेल्पलाइन नंबर 9155423396 पर प्रभात कॉलोनी के अनिल कुमार ने बताया कि चार महीना पूर्व उनके पिता का एक्सीडेंट हो गया था. जिसमें उनके सिर और पेट पर गहरा जख्म था. सदर अस्पताल में ले जाने पर मौत होने की बात कही. वहीं खड़े एक शख्स ने निजी अस्पताल में जाने की सलाह दिया और निजी अस्पताल में ले जाने पर जिंदा होने की बात कह कर भर्ती कर लिया और आइसीयू में रखा गया. चार दिन के बाद डॉक्टर ने पहले तो 1.5 लाख फीस वसूल किया और बाद में पिता को मृत घोषित कर लाश थमा दिया. वहीं श्रीनगर के मो इसहाक कहते हैं कि हर साल डॉक्टरों द्वारा फीस बढ़ा दी जाती है और पहले एक महीना में दोबारा फीस लगता था तो अब 15 दिन में और तीन सप्ताह में लगने लगा है.
लाइन बाजार कुंडी पुल कप्तानपाड़ा रोड स्थित निर्जला नर्सिंग होम एक ही परिवार के दो व्यक्ति द्वारा संचालित है. अस्पताल में सफाई की मुकम्मल व्यवस्था है. अस्पताल में सफाई पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया है. मरीज व उनके परिजनों के बैठने के लिए काफी बड़ा जगह बना हुआ है. रिसेप्शन में टीवी लगा हुआ है. अस्पताल नवनिर्मित होने से सीसीटीवी कैमरा वर्तमान में नहीं लगाया गया है. रिसेप्शन में रेट लिस्ट टांगा हुआ नहीं है. सिर्फ आइएमए द्वारा जारी सुरक्षा संबंधी निर्देश टंगा हुआ है. अस्पताल कर्मी ने बताया कि यहां मरीज की स्थिति देख कर फीस तय की जाती है.
लाइन बाजार शिव मंदिर रोड में यासिन क्लिनिक स्थित है. यहां जेनरल सर्जरी एवं लेप्रोस्कोपी की व्यवस्था है. अस्पताल में सफाई की मुकम्मल व्यवस्था नहीं है. अस्पताल के वार्ड में भी सफाई की कमी है. मरीज व उनके परिजनों को बैठने के लिए जगह बना हुआ है, लेकिन नाकाफी है. भीड़-भाड़ अधिक होने से मरीज के परिजन खड़े पाये गये. रिसेप्शन में टीवी लगा हुआ है. रिसेप्शन में रेट लिस्ट टंगा हुआ नहीं पाया गया. सिर्फ आइएमए द्वारा जारी सुरक्षा संबंधी सूचना संबंधी लिस्ट टांगा हुआ था. अस्पताल के कर्मियों ने बताया कि फीस का रेट डॉक्टर स्वयं तय करते हैं.
लाइन बाजार कुंडी पुल स्थित शहनाज मोडर्न आयुर्वेदिक हॉस्पीटल है. अस्पताल में साफ-सफाई की मुकम्मल व्यवस्था पायी गयी. यह अस्पताल शहनाज नाम के संस्था द्वारा संचालित है. मरीज व उनके परिजनों के बैठने के लिए स्थान बना हुआ है. रिसेप्शन में टीवी नहीं है. अस्पताल में सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है. रिसेप्शन में फीस संबंधी रेट लिस्ट नहीं लगा हुआ था. सिर्फ आइएमए द्वारा जारी सुरक्षा संबंधी नोटिस लगा हुआ है. अस्प्ताल कर्मी ने बताया कि इलाज और बीमारी के हिसाब से फीस तय किया जाता है.
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