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अस्पताल प्रकरण में नप सकते हैं सीएस

पूर्णिया : बाइक से शव ले जाने के मामले में एडीएम द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इस मामले को लेकर अस्पताल परिसर में चर्चा जोरों पर रही. हालांकि प्रशासन ने जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई की सिफारिश करते हुए राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज दी है. ऐसे में अब राज्य सरकार क्या कार्रवाई करती है, […]

पूर्णिया : बाइक से शव ले जाने के मामले में एडीएम द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इस मामले को लेकर अस्पताल परिसर में चर्चा जोरों पर रही. हालांकि प्रशासन ने जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई की सिफारिश करते हुए राज्य सरकार को रिपोर्ट भेज दी है. ऐसे में अब राज्य सरकार क्या कार्रवाई करती है, इस पर सबकी नजर है.

सीएस ने दो परिचारी को किया निलंबित : घटना के तूल पकड़ने के बाद सिविल सर्जन मृतका के परिजनों से मिले. उसके बाद दो चतुर्थवर्गीय कर्मियों उदय शंकर पासवान व वीरेंद्र प्रसाद ठाकुर को निलंबित कर दिया. जबकि घटना के दिन ड्यूटी पर मौजूद दो फार्मासिस्ट राजीव कुमार व प्रभात कुमार का भी तबादला कर दिया गया. स्वास्थ्य विभाग में सीएस की यह गतिविधि चर्चा का विषय बनी हुई है. चर्चा यह है कि चूंकि सीएस को हफ्तेभर के अंदर सरकार के समक्ष अपना पक्ष रखना है इसलिए वे लगातार उस तरह की कार्रवाई कर रहे हैं
जिससे वे खुद का बचाव कर सकें. हालांकि सिविल सर्जन डॉ वसीम ने बताया कि वे नियमानुकूल कार्रवाई कर रहे हैं.पूरे प्रकरण में हॉस्पीटल मैनेजर शिंपी कुमारी का भी बचाव करने का आरोप सिविल सर्जन पर लग रहा है. वह भी तब जब इस मामले प्रकरण में निलंबित डॉ एस के वर्मा ने स्पष्टीकरण के जवाब में सीधे तौर पर मामले के लिये हॉस्पीटल मैनेजर को जिम्मेवार ठहराया है. शो कॉज के जवाब में डॉ वर्मा ने सीएस को बताया कि मृतका के परिजन द्वारा शव वाहन मांगे जाने पर उन्हें हॉस्पीटल मैनेजर से संपर्क करने कहा गया था. हालांकि एचएम शिंपी कुमारी का कहना है कि उनसे इस बारे में परिजन ने संपर्क नहीं किया. आखिर यह कैसे मुमकिन है कि जिस परिजन को शव वाहन की इतनी दरकार थी कि वह डॉक्टर तक पहुंच गये तो एचएम के पास कैसे नहीं पहुंच पाये. फिलहाल इस मामले में एचएम को भी राज्य सरकार ने जवाबतलब किया है.
निजी प्रैक्टिस को लेकर पहले से है विवाद : सिविल सर्जन डॉ एम एम वसीम पर निजी प्रैक्टिस करने का भी आरोप है. यह आरोप क्षेत्रीय अपर निदेशक डॉ जगदीश प्रसाद सिंह ने पूर्व में लगाया था जिसे लेकर दोनों अधिकारियों में ठन गई थी. उस वक्त आरएडी ने सीएस के निजी प्रैक्टिस पर सवाल उठाये थे और कहा था कि निजी प्रैक्टिस के कारण सीएस सरकारी काम पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. इसके कारण जिले की स्वास्थ्य सेवा प्रभावित हो रही है. दरअसल, रुपौली रेफरल अस्पताल में दो डॉक्टरों के बीच हुए विवाद पर सीएस ने ध्यान नहीं दिया था जिससे वहां कानून व्यवस्था की समस्या आ गई थी. तब आरएडी ने जाकर यह मामला सुलझाया था.
प्रशासन के रूख से जतायी जा रही कार्रवाई की आशंका
क्या है मामला
श्रीनगर प्रखंड के खोखा दक्षिण पंचायत के रानीबाड़ी के निवासी शंकर साह की पत्नी सुशीला देवी दमा और हृदय रोग से पीड़ित थी. सदर अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मां की मौत हो गई. उसकी मौत के बाद अस्पताल से शव वाहन नहीं मिलने पर रुपयों के अभाव में बाइक से ही मां के शव को लेकर दोनों पिता-पुत्र गांव लौट गये. मीडिया में यह खबर आने के बाद जिलाधिकारी पंकज कुमार पाल ने मामले की जांच के आदेश दिये. जांच का जिम्मा एडीएम को बनाया गया है.

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