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शराबबंदी की तरफ मुड़ गया सम्राट अशोक विवाद, BJP प्रदेश अध्यक्ष ने JDU को निशाने पर लेकर बोला हमला

सम्राट अशोक के विवाद ने भाजपा और जदयू के बीच अब तल्खी बढ़ा दी है. इधर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने शराबबंदी को लेकर फिर सवाल खड़े कर दिये हैं.

सम्राट अशोक के ऊपर एक लेखक के द्वारा की गयी विवादित टिप्पणी को लेकर जदयू और भाजपा के बीच जमकर बवाल कटा हुआ है. जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने ये मुद्दा छेड़ा तो संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने इसे लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को निशाने पर ले लिया और जमकर हमला बोला. इधर जदयू के प्रवक्ता ने भी जब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष पर हमला बोला तो संजय जायसवाल ने जेडीयू प्रवक्ता के बहाने शराबबंदी कानून पर ही सवाल खड़ा दिया और राजनीति अब एनडीए के अंदर गरमा गयी है.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया है. जिसमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा के द्वारा अपने उपर किये हमले का जवाब दिया. संजय जायसवाल ने इस दौरान शराबबंदी कानून पर फिर सवाल खड़ा किया और कहा कि अगर उनके लोकसभा क्षेत्र में शराब के कारण किसी की जान जाती है तो उसके परिजन से मिलने और मदद करने वो जाते रहेंगे.

संजय जायसवाल ने शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े किये. उन्होंने कहा कि वो शराबबंदी कानून के 100 प्रतिशत समर्थक हैं लेकिन जिस श्रेणी का अपराध हो उसी श्रेणी की सजा इसमें होनी चाहिए. संजय जायसवाल ने फिर से समीक्षा की बता उठाई. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि अगर कोई परिवार लेकर दिल्ली से दार्जलिंग जाता है और बिहार में उसकी गाड़ी से एक बोतल शराब पकड़ी जाती है उस परिवार की गाड़ी नीलाम हो जाती है.

संजय जायसवाल ने उदाहरण देते हुए यह भी दावा कर दिया कि ऐसी कम से कम 5 घटनाएं वो व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं. वहीं शराबबंदी कानून में पुलिस अधिकारियों की मंशा पर भी उन्होंने सवाल खड़े किये और कहा कि 10 साल जेल का प्रावधान उन पुलिस अधिकारियों के लिए होना चाहिए जिन्होंने सीएम नीतीश के अच्छे सोच को नुकसान पहुंचाया. संजय जायसवाल ने मीडिया की दुनिया से बाहर आकर शराबबंदी और पुलिस की भूमिका को जानने की सलाह दी.

उधर भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि एनडीए के घटक दलों को सम्राट अशोक को लेकर बयानबाजी बंद करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक पर आधारित उस पुरस्कृत नाटक में उनकी महानता की चर्चा भरी पड़ी है, औरंगजेब का कहीं जिक्र तक नहीं है, लेकिन दुर्भाग्यवश इस मुद्दे को तूल दिया जा रहा है. 86 वर्षीय लेखक दया प्रकाश सिन्हा 2010 से किसी राजनीतिक दल में नहीं हैं.उनके एक इंटरव्यू को गलत ढंग से प्रचारित कर एनडीए को तोड़ने की कोशिश की गयी.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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