बिहार में यूरिया-डीएपी को लेकर अब राजनीति गरमा गयी है. कृषि मंत्री सुधाकर सिंह द्वारा केंद्र पर जरूरत के अनुसार उर्वरक की आपूर्ति न करने का आरोप लगाये जाने के बाद भाजपा ने भी अब पलटवार किया है. पूर्व कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बुधवार को केंद्र से बिहार को मिली आपूर्ति और जिलावार उपलब्धता के आंकड़े पेश कर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है.
पूर्व कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप ने कहा कि राज्य में धान की रोपनी 40 फीसदी हुई है. लेकिन यूरिया की आपूर्ति 87 फीसदी हो चुकी है. फिर खाद का संकट क्यों है. सरकार इसका जवाब दे कि बिहार में 30 अगस्त तक 6 लाख 71525 हजार टन की आपूर्ति के बाद भी कमी क्यों बनी हुई है. यदि 100 फीसदी खेती होती तब सात लाख 70 हजार टन की जरूरत थी. किसानों को खाद की हुई किल्लत के लिए केंद्र सरकार पर आरोप मढ़ने से पहले सुधाकर सिंह अपने काम की समीक्षा करें.
पूर्व कृषि मंत्री ने आरोप लगाते हुए कि राज्य में उर्वरक की कालाबाजारी बढ़ी है. माफिया खाद स्टॉक कर रहे हैं इस कारण कृतिम किल्लत बनी हुई है. पूर्व कृषि मंत्री का कहना था कि हम लोगों ने केंद्र सरकार के साथ बैठक की और आपूर्ति को सुनिश्चित कराया था. किसान हित में भारत सरकार द्वारा उर्वरक पर दी गयी सब्सिडी का जिक्र करते हुए कहा कि जिला कृषि अधिकारियों पर कार्रवाई करने की जरूरत है.
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गौरतलब है कि मंगलवार को कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा था कि खरीफ 2022 मौसम में धान का आच्छादन 86 प्रतिशत तक हो चुका है. भारत सरकार द्वारा 7.70 लाख टन के मुकाबले 6.71525 टन यूरिया भेजा गया. डीएपी की 2.50 लाख टन की जगह 1.72033 लाख टन ही भेजी है.