19 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

22 महीने जेल में रहे थे इलियास हुसेन

हाइकोर्ट ने दिया था सीबीआइ जांच का आदेश अलकतरा घोटाले की जांच के लिए बनी थी राजो सिंह की अध्यक्षता में विस की कमेटी, बाद में देना पड़ा इस्तीफा पटना : नब्बे के दशक में लालू प्रसाद की सरकार पर दो सौ करोड़ रुपये के अलकतरा घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा था. तत्कालीन […]

हाइकोर्ट ने दिया था सीबीआइ जांच का आदेश
अलकतरा घोटाले की जांच के लिए बनी थी राजो सिंह की अध्यक्षता में विस की कमेटी, बाद में देना पड़ा इस्तीफा
पटना : नब्बे के दशक में लालू प्रसाद की सरकार पर दो सौ करोड़ रुपये के अलकतरा घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा था. तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री इलियास हुसेन निशाने पर थे.
विधानसभा में जबरदस्त हंगामा हुआ. तत्कालीन विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने सदन में इस मामले को उठाया था. सरकार के दबाव में विधानसभा अध्यक्ष देवनारायण यादव ने राजो सिंह की अध्यक्षता में विधानमंडल की संयुक्त कमेटी गठित कर दी. कमेटी में विधानसभा और विधान परिषद दोनों के सदस्य शामिल किये गये थे. राजो सिंह चारा घोटाले के अभियुक्त रहे थे. इसी कारण से दोनों सदनों में भाजपा के सदस्यों ने कमेटी से इस्तीफा दे दिया. बाद में अलग-अलग कारणों से कमेटी के वामपंथी सदस्यों ने भी इस्तीफा दे दिया.
लेकिन, राजो सिंह ने इस्तीफा नहीं दिया. वह कमेटी को लेकर राज्यभर में घूमते रहे. बाद में जन दबाव के चलते उन्हें भी कमेटी से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद विपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी और सरयू राय (वर्तमान में झारखंड सरकार के मंत्री) ने पटना हाइकोर्ट में लोकहित याचिका दायर कर अलकतरा घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग की. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार घोटाले को दबा रही है.
ऐसे में सीबीआइ ही इसकी सही जांच कर सकेगी. साथ उन लोगों ने कोर्ट से इस मामले की चारा घोटाले की तर्ज पर मॉनीटरिंग करने की मांग की. 1 फरवरी, 1997 को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीपी बधवा और एसजे मुखोपाध्याय की खंडपीठ ने अलकतरा घोटाले की सीबीआइ जांच का आदेश दिया. हालांकि, कोर्ट ने चारा घोटाले की तर्ज पर मानिटरिंग करने से इनकार कर दिया. सीबीआइ जांच चली तो आरोपितों की सूची में इलियास हुसेन का भी नाम आया.
सीबीआइ ने उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया, उन्हें जेल जाना पड़ा. बाद में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिल पायी.
सड़क निर्माण और मरम्मत का प्रतिशत घटता गया और अलकतरे की खरीद बढती गयी
अलकतरा घोटाले में पथ निर्माण विभाग में फरजी तरीके से अलकतरा मंगाने व मनमाने तरीके से नियुक्त ट्रासंपोर्टरों की मदद से बिक्री कर देने का आरोप लगा था. अलकतरे की आपूर्ति तेल कंपनियां करती है. राज्य सरकार कार्य प्रमंडलों की जरूरतों के आधार पर तेल कंपनियों को अलकतरा आपूर्ति का आदेश दिया जाता था. इसके एवज में केंद्र सरकार बिहार को देने वाली अनुदान राशि से पैसा काट लेती थी. 1991-95 के बीच सीधे मुख्यालय स्तर पर वैसे प्रमंडलों के लिए भी अलकतरा की मांग तय की जाने लगी जहां, उसकी जरूरत नहीं थी.
सीधे केंद्र से मंगाया जाने लगा. जानकारी के मुताबिक इस चार साल की अवधि में फरजी तरीके 93 हजार मीट्रिक टन अधिक अलकतरा मंगाये गये. जबकि सड़क चौड़ाई और मरम्मत का प्रतिशत 92 प्रतिशत से घट कर छह प्रतिशत रह गयी. अलकतरा खरीद 14 से 93 प्रतिशत बढ गयी थी. अलकतरा घोटाले में पथ निर्माण विभाग के कई पूर्व सचिवों को भी जेल जाना पड़ा था.
बाक्स:
सीबीअाइ करे ऊपरी कोर्ट में अपील : मोदी
इस मामले को पटना हाइकोर्ट ले जाने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि अलकतरा घोटाले में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सीबीआइ को उपरी अदालत में अपील करनी चाहिए. अलकतरा घोटाले में कई केस दर्ज है. किसी एक मामले में इलियास साक्ष्य के अभाव में बरी हो गये होंगे. इसका मतलब यह नहीं कि घोटाला नहीं हुआ. सीबीआइ को निचली अदालत के फैसले को हाइकोर्ट में चुनौती देनी चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें