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बिल्डरों व फ्लैट खरीदनेवालों को करना होगा और इंतजार

पटना : राज्य में रियल स्टेट रेगुलेशन अधिनियम (रेरा) 2017 पहली मई से लागू हो गया है. अब तक इस अधिनियम के तहत किसी भी किसी भी अपार्टमेंट का पंजीकरण नहीं किया गया है. इसके लिए अभी राज्य के बिल्डरों और फ्लैट खरीदने वालों को इंतजार करना होगा. अधिनियम के तहत रियल स्टेट रेगुलेटरी ऑथिरिटी […]

पटना : राज्य में रियल स्टेट रेगुलेशन अधिनियम (रेरा) 2017 पहली मई से लागू हो गया है. अब तक इस अधिनियम के तहत किसी भी किसी भी अपार्टमेंट का पंजीकरण नहीं किया गया है. इसके लिए अभी राज्य के बिल्डरों और फ्लैट खरीदने वालों को इंतजार करना होगा. अधिनियम के तहत रियल स्टेट रेगुलेटरी ऑथिरिटी और रियल स्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण की स्वतंत्र रूप से स्थापना की जानी है. दोनों ही संगठनों का गठन नहीं किया गया है.

रेरा को लागू करने के लिए सभी कार्य ऑनलाइन किये जायेंगे, जिसमें बिल्डरों को अपना पंजीकरण से लेकर हर गतिविधियों का ऑनलाइन किया जाना है. ऑनलाइन किये गये अपार्टमेंटों की स्थिति कोई भी खरीददार उसकी स्थिति कहीं से भी ऑनलाइन देख सकता है और बुकिंग कर सकता है. राज्य में एक रियल स्टेट नियामक प्राधिकार (रियल स्टेट रेगुलेटरी अथाॅरिटी) के समक्ष आवासीय व व्यवसायिक दोनों तरह की नयी परियोजनाओं की सूचना देनी होगी.

अचल संपदाओं को प्राधिकार में निबंधित करना है : ऑनगोइंग प्रोजेक्ट जिनको पूरा करने का प्रमाणपत्र अब तक नहीं लिया गया है, उन पर भी यह अधिनियम लागू हो गया है. सभी अचल संपदाओं को प्राधिकार में निबंधित करना है. भूमि का आकार 500 वर्ग मीटर से अधिक हो अथवा अपार्टमेंट में फ्लैट की संख्या 8 या उससे अधिक हो. इस तरह की अचल संपदा की परियोजनाओं का निबंधन प्राधिकार के साथ करने के बाद ही कोई डेवलपर उक्त परियोजना को प्रचारित-प्रसारित कर सकता है. इसके बाद ही उसकी खरीद-बिक्री करने में सक्षम होगा. परियोजनाओं के निबंधन के लिए डेवलपर को परियोजना का पूर्ण विवरण का प्रारूप जमा करना होगा और प्राधिकार की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जायेगा.
अधिनियम में डेवलपर को परियोजना में जो भी राशि प्राप्त होती है, उसका 70% एक अलग बैंक खाता में जमा करना है. परियोजना के अभियंता, वास्तुविद एवं चार्टर्ड एकाउंटेट के प्रमाणपत्र के आधार पर उसी अनुपात में राशि की निकासी करनी है जिस अनुपात में परियोजना का औसत काम पूरा हुआ होगा. अधिनियम का एक महत्वपूर्ण शर्त यह भी है कि डेवलपर द्वारा काॅरपोरेट क्षेत्र के आधार पर ही किसी भी परियोजना के अपार्टमेंट को बेचा जा सकेगा.
यदि परियोजना में विलंब होता है, तो डेवलपर को उपभोक्ता को उसके द्वारा दी गयी राशि पर ब्याज भी देना पड़ेगा. डेवलपर किसी भी अपार्टमेंट के प्लान में तब तक कोई परिवर्तन नहीं कर सकेंगे, इसके लिए उपभोक्ताओं से लिखित अनुमति लेनी होगी.
. उपभोक्ता अपार्टमेंट में किसी तरह की त्रुटि के लिए कब्जे के एक वर्ष के बाद भी उसे ठीक करने की मांग कर सकता है. बिहार अचल संपदा (विनियमन और विकास) अधिनियम 2017 के माध्यम से रियल स्टेट नियामक प्राधिकार के पूर्णकालिक स्थापना तक नगर विकास और आवास विभाग के तत्काल प्रधान सचिव को प्राधिकार के रूप में नामित किया गया है. रियल स्टेट अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना तक राज्य में प्रभावी भूमि न्यायाधीकरण को तत्काल अपीलीय न्यायाधिकरण के रूप में नामित किया गया है. अभी रियल स्टेट रेगुलेटरी कोष का गठन किया जाना है.

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