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राष्ट्रीय सम्मेलन : गंगा की अविरलता जरूरी : सीएम

फरक्का बराज की हो समीक्षा नयी दिल्ली : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अविरल बनाये बिना गंगा निर्मल नहीं हो सकती है. गंगा निर्मल कैसे हो, इसे लोग जानते हैं और इसके लिए किसी अध्ययन की जरूरत नहीं है. जैसे बाघ का संबंध जंगल से है, वैसे ही गंगा की निर्मलता का संबंध डॉल्फिन […]

फरक्का बराज की हो समीक्षा
नयी दिल्ली : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि अविरल बनाये बिना गंगा निर्मल नहीं हो सकती है. गंगा निर्मल कैसे हो, इसे लोग जानते हैं और इसके लिए किसी अध्ययन की जरूरत नहीं है. जैसे बाघ का संबंध जंगल से है, वैसे ही गंगा की निर्मलता का संबंध डॉल्फिन से हैं. डॉल्फिन को राष्ट्रीय वन्य जीव घोषित किया गया है.
इसकी गिनती होनी चाहिए आैर अगर यह संख्या बढ़ती है, तो माना जाना चाहिए कि गंगा निर्मल हो रही है. वह गुरुवार को नयी दिल्ली में गंगा में गाद की समस्या पर बिहार के जल संसाधन विभाग
की ओर से अायोजित ने दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबाेधित कर रहे थे. इसमें अलग-अलग क्षेत्र के लोगों ने भी अलग-अलग राय रखी.
नीतीश कुमार ने कहा कि फरक्का बराज के कारण गंगा में गाद की समस्या गंभीर हुई है. इसके कारण गंगा की धार कम हो गयी है, जिससे बिहार और पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों में स्थिति बेहद खराब होती जा रही है.
इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले पांच साल में कटाव निरोधक काम में राज्य सरकार को 1058 करोड़ रुपये खर्च करना पड़ा है. गंगा, प्रकृति और पर्यावरण से छेड़छाड़ का खामियाजा हमें भुगतना पड़ रहा है. गांधी जी ने कहा था कि लालच की पूर्ति नहीं हो सकती है, जरूरत की पूर्ति हो सकती है. बिहार सरकार कई मौकों पर इस समस्या को उठाती रही है. गाद की समस्या के लिए केंद्र सरकार ने चिंतले कमेटी गठित की. कमेटी ने भी माना कि गाद के कारण प्रवाह पर असर पड़ा है.
सम्मेलन के पहले दिन पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, सांसद हरिवंश, बिहार के जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज वी गोपालगौड़ा, सामाजिक कार्यकर्ता संत जीडी अग्रवाल, जल सेवक राजेंद्र सिंह ने भी अपने विचार रखे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हम फरक्का बराज को तोड़ने की मांग नहीं कर रहे हैं, लेकिन गाद की समस्या को देखते हुए इसकी समीक्षा करना आवश्यक हो गया है. हमें यह समझना होगा कि गंगा नदी का इतिहास और मिजाज अन्य नदियों से अलग है अौर इसे अविरल बनाये रखने के लिए दूसरे कदम उठाने की जरूरत है.

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