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परिवार की महिला मुखिया की जमीन भी पति या ससुरालियों के नाम
राज्य के आठ फीसदी परिवारों की मुखिया महिलाएं हैं महज 6.8 फीसदी महिलाओं के नाम है भू-स्वामित्व लैंडेसा के सर्वे ने उठाये आधी आबादी की भूमिहीनता पर कई सवाल भू-स्वामित्व के मसले से भी अनजान हैं बड़ी संख्या में महिलाएं पुष्यमित्र पटना : राज्य में आज भी जमीन का मालिकाना हक अधिकतर पुरुषों के नाम […]
राज्य के आठ फीसदी परिवारों की मुखिया महिलाएं हैं
महज 6.8 फीसदी महिलाओं के नाम है भू-स्वामित्व
लैंडेसा के सर्वे ने उठाये आधी आबादी की भूमिहीनता पर कई सवाल
भू-स्वामित्व के मसले से भी अनजान हैं बड़ी संख्या में महिलाएं
पुष्यमित्र
पटना : राज्य में आज भी जमीन का मालिकाना हक अधिकतर पुरुषों के नाम से ही हैं. टैक्स और काला धन बचाने के लिए जरूर महिलाओं के नाम दिखावे के लिए जमीन के कुछ कागजात बनाये जाते हैं, मगर वास्तविक स्वामित्व उनके पास नहीं होता है. यह बात इस सर्वे से और पुष्ट होती है, जिसके मुताबिक राज्य के ऐसे परिवार जिनकी मुखिया महिला हैं या जिनमें अकेली महिला रहती हैं, उनमें से 6.8 फीसदी के पास ही भू-स्वामित्व है. शेष 93.2 फीसदी महिलाएं अपने घरों की मालकिन होने के बावजूद जिस जमीन पर रहती हैं, उसकी मालकिन नहीं होतीं. उन्हें हमेशा यह डर परेशान करता रहता है कि उन्हें कभी भी आसानी से घर से बेघर किया जा सकता है.
यह सर्वेक्षण भू-राजस्व विभाग की नोडल एजेंसी लैंडसा ने राज्य के 18 जिलों में ऐसी 2143 महिलाओं के बीच किया है, जो या तो अकेली रहती हैं या अपने घर की मुखिया हैं. इनमें से 994 महिलाएं अपने घर की मुखिया हैं, जबकि 1194 अकेली महिलाएं हैं. इस सर्वेक्षण में 32 प्रखंडों की 42 पंचायतों को शामिल किया गया है. इस सर्वेक्षण का मकसद यह पता करना था कि राज्य में ऐसी कितनी महिलाएं हैं जो अकेली हैं या अपने घर की मुखिया हैं.
और यह भी कि मौजूदा सामाजिक व्यवस्था में इनके पास भू-स्वामित्व है या नहीं. सर्वेक्षण में पाया गया कि राज्य के कुल परिवारों में से सिर्फ आठ फीसदी परिवारों की मालकिन महिला है या वे एकल महिला वाले हैं. साथ ही ऐसी महिलाएं जिनके नाम से अपनी जमीन है, उनकी संख्या भी नगण्य (6.8 फीसदी) है.
इस सर्वेक्षण में एक दिलचस्प तथ्य यह भी सामने आया है कि जिन घरों की मालकिन महिलाएं हैं, उनमें से 25.9 फीसदी महिलाओं की जमीन पतियों के नाम है, 38.2 फीसदी ससुराल के रिश्तेदारों के नाम है, 7.3 फीसदी अपने पिता के नाम और 15.1 फीसदी महिलाओं को यह भी नहीं मालूम कि उनके पास जो जमीन है उसका स्वामित्व किसके पास है.
वहीं अकेली महिलाओं के मामले में 29.5 फीसदी महिलाओं की जमीन उनके पति के नाम है, 43.3 फीसदी ससुराल के रिश्तेदारों के नाम, 8.9 फीसदी अपने पिता के नाम. लैंडेसा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि चूंकि महिलाओं के नाम जमीन नहीं के बराबर है, इसलिए अमूमन वे कई सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित रह जाती हैं.
वे हमेशा इस बात को लेकर भयभीत रहती हैं कि कहीं उनसे उनकी जमीन छीन न ली जाये. इसके अलावा एक और बात इस सर्वेक्षण में सामने आयी कि बड़ी संख्या में महिलाएं इस बात से अनभिज्ञ रहती हैं कि वे जिस जमीन पर रह रही हैं, उनके कागजात किसके नाम हैं. सर्वेक्षण में ऐसी महिलाओं की संख्या 11 फीसदी से अधिक बतायी गयी है.
राज्य के 18 जिलों के 32 प्रखंडों की 42 पंचायतों में हुआ सर्वेक्षण
2143 महिलाओं से बातचीत हुई, इनमें 994 महिलाएं अपने घर की मुखिया हैं, जबकि 1194 अकेली महिलाएं हैं.70 फीसदी मामलों में जमीन या तो पति या ससुराल वालों के नाम है, जबकि वे साथ नहीं रहते 11.2 फीसदी महिलाओं को नहीं मालूम है कि उनकी जमीन का स्वामित्व किसके पास है 08 फीसदी मामलों में जमीन महिला के पिता या भाई के नाम से है
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