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राज्य में 23 हजार लोग ले चुके नीरा का लाइसेंस
अकेले पटना जिले में 1700 लाइसेंस लिये गये हैं नीरा का पटना. राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद ताड़ी पर भी प्रतिबंध लग गया है. परंतु सुबह की ताड़ी (खमीर मुक्त) से तैयार होने वाले ‘नीरा’ के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग इसके लिए लाइसेंस […]
अकेले पटना जिले में 1700 लाइसेंस लिये गये हैं नीरा का
पटना. राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून के लागू होने के बाद ताड़ी पर भी प्रतिबंध लग गया है. परंतु सुबह की ताड़ी (खमीर मुक्त) से तैयार होने वाले ‘नीरा’ के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग इसके लिए लाइसेंस जारी कर रहा है. इसके तहत राज्य में अब तक 23 हजार लोगों को नीरा बेचने का लाइसेंस दिया जा चुका है.
अकेले पटना जिला में 1700 से ज्यादा लाइसेंस जारी किये जा चुके हैं. इसके अलावा अन्य जिलों में भी लाइसेंस देने दिये जा रहे हैं. गया, नवादा के अलावा उत्तर बिहार के कई जिलों में लाइसेंस लेने वालों की संख्या ज्यादा है. तय मानकों का पालन करने वालों को ही लाइसेंस दिया जाता है. इसके अलावा इसके ताड़ के पेड़ से निकालने, संरक्षित करने से लेकर सूर्य की किरणों से बचाने समेत अन्य तमाम प्रक्रिया की जानकारी देने के लिए उद्योग विभाग की तरफ से विशेष तौर पर ट्रेनिंग भी दी जाती है. ट्रेनिंग प्राप्त करने के इच्छुक लोग विभाग से संपर्क करके निर्धारित स्थान पर पहुंच कर प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं.
ग्रामीण अंचलों में जीविका की दीदीयों को इसके लिए खासतौर से प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ताकि वे अपने इलाके में लोगों को प्रशिक्षित कर सकती हैं. नीरा का लाइसेंस लेने वाले व्यक्ति को इसके लिए जिला उत्पाद एवं मद्य निषेध कार्यालय में जाकर आवेदन करना होगा. इसके लिए कोई लाइसेंस फीस या अन्य किसी तरह का शुल्क सरकार नहीं लेती है.
इसके लाइसेंस से सरकार कोई राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य नहीं रखी है. इसका लाइसेंस प्राप्त करने वाले को पेड़ पर चढ़ने की जानकारी होनी चाहिए या उनके पास खुद का पेड़ होना चाहिए. अगर किसी के पास खुद का पेड़ नहीं है, तो वह पेड़ मालिक से एकरारनामा बनाकर जमा करेगा.
लाइसेंस धारकों को दी जाती ट्रेनिंग भी
उद्योग विभाग नीरा के उत्पादन और संरक्षण के लिए लाइसेंस धारकों को ट्रेनिंग भी देता है. इसमें इन्हें सूर्योदय के पहले ताड़ी को पेड़ से उतारने, फिर इसे रखने, उतारने के बाद सूर्य की किरणों से इसे बचाने के अलावा अन्य कुछ जरूरी बातों का प्रशिक्षण दिया जाता है. ताड़ी को लंबे समय तक बिना खमीर उत्पन्न हुए रखने की विधि भी बतायी जाती है.
इस तरह के प्रशिक्षण देकर नीरा के उद्योग को प्रोत्साहित करने की योजना है
नीरा का लाइसेंस लेकर कई स्थानों पर ताड़ी बेचने की कुछ शिकायत भी मिल रही है. इस तरह की शिकायत आने पर इसकी तुरंत जांच की जाती है. हालांकि विभागीय स्तर पर ऐसे किसी मामले में अभी तक कार्रवाई नहीं की गयी है. कुछ स्थानों से लोग यह भी शिकायत कर रहे हैं कि नीरा को पेड़ से उतारने के बाद इन्हें संग्रह करके कलेक्शन या प्रोसेसिंग सेंटर भेजने का उचित बंदोबस्त नहीं होने के कारण यह ताड़ी का रूप ले लेता है. नयी-नयी व्यवस्था में इस तरह की समस्या सामने आ रही है. नीरा सेंटर पर ताड़ी बेचने की शिकायतों की जांच की जा रही है.
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