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चुनावी गपशप : नॉमिनेशन शुरू होने से पहले ही रूठना-मनाना कर लीजिए
पटना : देखिए पटना में अभी नॉमिनेशन करने में देर है. उसके पहले जैसे मनाना है मना लीजिए. पटना के सबसे पॉश इलाके में से एक प्रत्याशी मानसिक रूप से परेशान चल रही हैं. अब क्या करें जिस देवर के सहारे पिछली वैतरणी पार हुई थीं, अब उसी देवर की पत्नी यानी गोतनी ने इस […]
पटना : देखिए पटना में अभी नॉमिनेशन करने में देर है. उसके पहले जैसे मनाना है मना लीजिए. पटना के सबसे पॉश इलाके में से एक प्रत्याशी मानसिक रूप से परेशान चल रही हैं.
अब क्या करें जिस देवर के सहारे पिछली वैतरणी पार हुई थीं, अब उसी देवर की पत्नी यानी गोतनी ने इस बार बगावत की राह पकड़ ली है. ऊ कह रही हैं कि चाहे जो भी हो हम तो चुनाव लड़वे करेंगे. उनका मरद सारा सेटिंग गेटिंग करता है, तो दोसरा को काहे सारा लाभ हो. उनकी इसी मानसिकता की उलझन ने सारी परेशानी खड़ी कर दी है. वह सोच रही हैं कि यह बैठ जायें मतलब नॉमिनेशन न करें तो उनकी राह पहले की तरह खाली हो जाये.
इस बार भी चुनावी बेड़ा पार हो जाये. इसी उलझन को एक मित्र हालिया दिनों में सुलझाने में लगे हुए थे. अरे देखिये न सारा युक्ति तो भिड़ा लिए, लेकिन यह समझे तब न? रिश्तेदारी से भी लोग आये, बिहार से ही नहीं झारखंड से भी लोगों को बुलाया गया, अब करें तो क्या करें? देवर जी भी पहले बिगड़े हुए थे, लेकिन उन्होंने बात मान ली है. लेकिन, पत्नी से कह ही नहीं पा रहे हैं. अब गृहस्थी में कौन बखेड़ा खड़ा करे? इसके बाद भी हम लगे हुए हैं. सबकी दुहाई दे रहे हैं.
कह रहे हैं कि इस बार सारा राजकाज देवर जी और उनकी पत्नी मिल कर ही चलायेगी, लेकिन वह टस से मस नहीं हो रही हैं. अब दोस्त सांत्वना देते हैं कि अब दस दिन भी समय नहीं रहा है, मैनेजमेंट का तीसरा एंगल लगाइए नहीं तो मुश्किल होगी. इसके बाद फिर नाम वापसी की तारीखों में उलझे, तो परेशानी होगी. यही हाल बाइपास के एक वार्ड का है, वहां भी रिश्तों का रगड़ा है. इसे सुलझाने में सब लगे हुए हैं, लेकिन कुछ गांठे ऐसी हैं, जो सुलझ कम और उलझ ज्यादा रही हैं.
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