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1202 मामलों की जांच के लिए एसआइटी गठित

धान अधिप्राप्ति घोटाले का मामला पटना : राज्य में धान अधिप्राप्ति और मिलरों से चावल की खरीद में हुए व्यापक घोटाले की जांच की जिम्मेवारी सीआइडी को सौंपी गयी है. इसके लिए सीआइडी के एडीजी विनय कुमार के नेतृत्व में सात सदस्य एसआइटी (विशेष अन्वेषण दल) का गठन किया गया है. गृह विभाग की तरफ […]

धान अधिप्राप्ति घोटाले का मामला
पटना : राज्य में धान अधिप्राप्ति और मिलरों से चावल की खरीद में हुए व्यापक घोटाले की जांच की जिम्मेवारी सीआइडी को सौंपी गयी है. इसके लिए सीआइडी के एडीजी विनय कुमार के नेतृत्व में सात सदस्य एसआइटी (विशेष अन्वेषण दल) का गठन किया गया है.
गृह विभाग की तरफ से इस मामले की जांच के लिए एसआइटी पर मुहर लगने के बाद पूरे मामले की जांच जल्द ही नये सिरे से शुरू होने जा रही है. गौरतलब है कि इस मामले की जांच सीआइडी से कराने का आदेश हाइकोर्ट ने 10 मार्च 2017 को जारी किया था. इसके बाद गृह विभाग के स्तर पर यह कार्रवाई की गयी है. पूरे राज्य में अब तक धान की खरीद और चावल की सप्लाइ करने के मामले में अलग-अलग थानों में 1202 एफआइआर दर्ज हो चुकी है. इनमें से अधिकतर मिलरों ने सरकार से धान प्राप्त करने के बाद बदले में सरकार को चावल नहीं लौटाया या काफी कम लौटाया है. इस पूरी प्रक्रिया में काफी बड़े स्तर पर घपला हुआ है.
जिसमें विभागीय अधिकारियों के अलावा बड़े स्तर पर मिलर शामिल हैं. जैसे-जैसे मामले सामने आये.इसे लेकर राज्य के सभी थानों में बारी-बारी से एफआइआर दर्ज होते गयी. अब इस घोटाले से जुड़े पूरे मामले की जांच सीआइडी करने जा रही है. ये सभी 1202 मामले आठ करोड़ से कम वाले हैं. एसआइटी में जिन अधिकारियों को शामिल किया गया है, उनमें सीआइडी के आइजी अजिताभ कुमार, एसपी (सी) नवीन चंद्र झा, पुलिस अधीक्षक (डी) संजय कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार सिन्हा, डीएसपी बिरेन्द्र कुमार और डीएसपी सोने लाल सिंह शामिल हैं. कोर्ट के आदेश के मुताबिक, जब तक जांच चलेगी एडीजी को छोड़कर इस एसआइटी के अन्य किसी अधिकारी को कोई अतिरिक्त प्रभार नहीं दिया जायेगा. इनका स्थानांतरण भी कोर्ट की अनुमति के बिना नहीं होगा.
राज्य में धान खरीद घोटाला के बड़े मामले या आठ करोड़ से अधिक के मामले की जांच की इओयू (आर्थिक अपराध इकाई) कर रहा है. इस तरह के नौ मामले अब तक सामने आ चुके हैं, जिनमें कुल 92 करोड़ का घोटाला का मामला है. हाल में इस घोटाले के सबसे बड़े मामले 22 करोड़ रुपये की सरकारी राशि का गबन वाला मुख्य अभियुक्त तजनीलुर रहमान को तीन साल बाद इओयू की विशेष टीम ने दबोचा है. इसके अलावा अन्य बड़े मामलों की जांच चल रही है.

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