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आधा केंद्रीय अनुदान नहीं आने से कम हुआ योजना आकार

समस्या. नये वित्तीय वर्ष का बजट भी नहीं बढ़ा ज्यादा पटना : बीते वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान राज्य को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत केंद्र की तरफ से मिलने वाली केंद्रीय अनुदान में रुपये की कटौती के कारण योजना आकार को छोटा करना पड़ा. पैसे की कमी के कारण 71 हजार 500 करोड़ रुपये के […]

समस्या. नये वित्तीय वर्ष का बजट भी नहीं बढ़ा ज्यादा
पटना : बीते वित्तीय वर्ष 2016-17 के दौरान राज्य को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत केंद्र की तरफ से मिलने वाली केंद्रीय अनुदान में रुपये की कटौती के कारण योजना आकार को छोटा करना पड़ा.
पैसे की कमी के कारण 71 हजार 500 करोड़ रुपये के योजना आकार को कम करके 64 हजार करोड़ करना पड़ा. हालांकि राज्य की सभी विभागों ने इसमें 62 हजार 697 करोड़ रुपये (97.77 प्रतिशत) खर्च किया है. केंद्रीय मदद में बड़ी कटौती की वजह से ही राज्य सरकार ने नये वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में पिछले बजट से महज 14 हजार करोड़ की बढ़ोतरी करते हुए इसे एक लाख 60 हजार 85 करोड़ का रखा. अगर बीते वित्तीय वर्ष के बजट में केंद्र से सभी रुपये आ जाते, तो नये बजट आकार में 10 हजार करोड़ की अतिरिक्त बढ़ोतरी हो सकती थी. परंतु राज्य सरकार ने ऐतिहातन इसे कम करके ही रखा.
बीते वित्तीय वर्ष में केंद्रीय मदद में हुई बड़ी कटौती का सीधा असर योजना आकार पर पड़ा और पिछले चार-पांच वित्तीय वर्ष में यह पहली बार है, जब योजना आकार को कम करना पड़ा है.
नोटबंदी के कारण राज्य के आंतरिक स्रोतों से भी इस बार टैक्स कलेक्शन में करीब 13 फीसदी की कमी आयी है. इसमें संशोधन के बाद 29 हजार 88 करोड़ का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें 25 हजार 325 करोड़ का कलेक्शन हुआ है. इसका असर सीधे तौर पर वित्तीय वर्ष 2016-17 की अंतिम तिमाही में रुपये के संग्रह पर पड़ा है. पैसे की कमी के कारण राज्य योजना आकार सिकुड़ गया. इसका असर समूचे बजट पर भी पड़ा है. एक लाख 45 हजार करोड़ के बजट आकार में करीब 18 हजार करोड़ कम हो गये.
केंद्रीय अनुदान के मामले में केंद्र प्रायोजित योजनाओं में करीब 16 हजार करोड़ और बीआरजीएफ (बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड) में करीब 4300 करोड़ की सीधे तौर पर कटौती हुई. इससे सबसे बड़ा नुकसान राज्य योजना आकार पर हुआ है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्र सरकार ने पहले से केंद्र और राज्य का शेयरिंग पैटर्न बदलते हुए अधिकांश योजनाओं में इसे 60-40 कर दिया. ऊपर से कई बड़ी केंद्र प्रायोजित योजनाओं में पैसे ही निर्धारित लक्ष्य से कम दिया है. इनका सीधा असर राज्य के योजना आकार पर पड़ा है.
दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने केंद्रीय टैक्स पुल से मिलने वाले राज्य टैक्स शेयर के तहत निर्धारित 58 हजार 359 करोड़ में सभी रुपये दे दिये हैं. जबकि योजना मद में आधे रुपये नहीं दिये. वहीं, कुछ केंद्रीय योजनाएं मसलन इंदिरा आवास योजना, मनरेगा, मध्याह्न भोजन, आइसीडीएस जैसी कुछ ही योजनाओं में पूरे पैसे दिये हैं.
इन केंद्र प्रायोजित योजनाओं में बड़ी कटौती
योजना इतना लक्ष्य इतना आया
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीआय) 2268 906
पीएम कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाय) 600 216
राष्ट्रीय पशुधन प्रबंधन कार्यक्रम (एनएलएमपी) 150 0
ओबीसी के लिए प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना 102 85
ओबीसी की पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना 727 539
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) 800 349
सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) 44,660 27,068
राष्ट्रीय माध्यम शिक्षा अभियान (आरएमएसए) 800 200
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) 27,190 9,386
कामगार बीमा योजना 2,858 0
राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना 21 0
कौशल विकास योजना 304 0
निर्मल भारत अभियान 3,450 1,318
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना 3,000 29,583
अमृत योजना 3,328 977
जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन 227 0
सड़क और सेतु की योजना 170 0
(सभी आंकड़े करोड़ में)

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