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आजादी से पहले राजेंद्र प्रसाद हुए थे म्युनिसिपैलिटी अध्यक्ष
डॉ राजेंद्र प्रसाद म्युिनसिपैलिटी अध्यक्ष अनिकेत त्रिवेदी पटना : पटना नगर निगम का इतिहास काफी पुराना है. अभी जो नगर निगम का प्रारूप है. इसकी स्थापना 15 अगस्त, 1952 में हुई थी, लेकिन उससे पहले भी पटना में म्युिनसिपैलिटी हुआ करती थी. गुलाम भारत में भी म्युिनसिपैलिटी का काम पानी की सप्लाइ, सफाई और लोगों […]
डॉ राजेंद्र प्रसाद
म्युिनसिपैलिटी अध्यक्ष
अनिकेत त्रिवेदी
पटना : पटना नगर निगम का इतिहास काफी पुराना है. अभी जो नगर निगम का प्रारूप है. इसकी स्थापना 15 अगस्त, 1952 में हुई थी, लेकिन उससे पहले भी पटना में म्युिनसिपैलिटी हुआ करती थी. गुलाम भारत में भी म्युिनसिपैलिटी का काम पानी की सप्लाइ, सफाई और लोगों से होल्डिंग टैक्स की वसूली थी. उस समय पटना शहर न होकर पटना सिटी म्युिनसिपैलिटी होती थी.
वर्तमान पटना नगर निगम का कार्यालय पटना सिटी अंचल में हुआ करता था. पटना सिटी के हाजीगंज के रहनेवाले 82 वर्षीय विश्वनाथ शुक्ल चंचल बताते हैं कि अभी जो नगर निगम का चुनाव होता है या मेयर का चुनाव होता है. उस समय का प्रारूप बिल्कुल अलग हुआ करता था.
म्युिनसिपैलिटी में शहर की कई समितियां होती थी. मसलन आम आदमी की समिति, अधिवक्ताओं की समिति, चैंबर ऑफ कॉमर्स से लेकर अन्य सम्मानित समितियां म्युिनसिपैलिटी में हस्तक्षेप करती और अपने समिति से एक सदस्य को अध्यक्ष के लिए मनोनित करती. अधिवक्ता समिति ने ही राजेंद्र प्रसाद का नाम अध्यक्ष पद के लिए प्रास्तावित किया था. तब उनके नाम पर मुहर लगी थी. शुल्क जी के अनुसार राजेंद्र प्रसाद 1934 के लगभग पटना सिटी म्युिनसिपैलिटी के अध्यक्ष बने थे. पटना सिटी अंचल में आज भी उनके काम करनेवाला टेबल मौजूद है.
तब जाड़े के मौसम में गरम पानी की सप्लाइ करती थी म्युिनसिपैलिटी : तब म्युिनसिपैलिटी का काम बहुत सीमित था. विश्वनाथ शुक्ल बताते हैं कि उस समय पानी की सप्लाइ के लिए शहर में मात्र दो टंकी थी. उसमें एक खाजेकलां में था व दूसरी टंकी वर्तमान मिलर स्कूल के पास निगम के जल पर्षद कार्यालय में थी. जो आज भी मौजूद है. उस समय जाड़े के दिनों में नगर निगम गरम पानी की सप्लाइ करता था. अशोक राजपथ की सफाई दो बार होती थी और गरमी के दिनों में दो बार पानी का छिड़काव किया जाता था.
जब गिरेगा बम का गोला, छुप जाना हौज में : अशोक राजपथ पर महेंद्रु से पटना सिटी की तरफ सड़क के किनारे म्युिनसिपैलिटी के नल लगे हुए करते थे. उसमें पानी आने का समय तय हुआ करता था. नल के साथ जानवरों के पानी पीने के लिए हौज भी बना रहता था. टमटम पड़ाव पर भी एक बड़ा हौज था.
राजेंद्र प्रसाद शहर की जानकारी लेने के लिए टमटम से ही घुमा करते थे. बाद में जब आजादी की लड़ाई 1942 में तेज हो गयी, ताे हौज को लेकर एक लोकोक्ति प्रचलित हुई. उस समय पटना के लोग कहा करते थे.जिंदगी है मौज में,भरती हो जा फौज में,जब गिरेगा बम का गोलाछुप जाना हौज में.
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