पटना: बिहार मानवाधिकार आयोग के नवनियुक्त अध्यक्ष व ओडिशा हाइकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश बिलाल नाजकी ने कहा कि वे बिहार की सेवा करने आये यहां आये हैं. अगर वे यहां अपने मकसद में कामयाब नहीं होते हैं, तो वे वापस श्रीनगर लौट जायेंगे. श्री नाजकी ने सोमवार को बिहार मानवाधिकार के अध्यक्ष पद का कामकाज संभालने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे.
इस मौके पर आयोग के कार्यकारी अध्यक्ष नीलमणि और पिछले दिनों आयोग में सदस्य का कार्यभार संभालने वाले न्यायमूर्ति मंधाता सिंह समेत आयोग के सभी वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. श्री नाजकी ने कहा कि मैं पहली बार बिहार आया हूं और मुङो यहां की समस्याओं को समझने के लिए कम से कम 15 दिनों का समय चाहिए. मैं बिहार की सामाजिक व प्रशासनिक संरचनाओं का अध्ययन करूंगा. श्री नाजकी मूल रूप से जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के रहने वाले हैं.
उन्होंने कहा कि मैं आयोग के अध्यक्ष के रूप में 24 घंटे लोगों की सेवा में उपलब्ध हूं और जल्द ही अपना मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक कर दूंगा, ताकि लोग सीधे मुझसे संपर्क कर सकें. संविधान में आम लोगों को दिये गये किसी भी अधिकार का अगर हनन होता है, तो संबंधित व्यक्ति को पूरा अधिकार है कि वह आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करा सकें. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य मानवाधिकार कभी भी हाइकोर्ट का विकल्प नहीं हो सकता. दोनों के अधिकार क्षेत्र में बहुत बडा अंतर है.
हाइकोर्ट जहां किसी भी मामले में सरकार को आदेश दे सकता है, वहीं आयोग केवल सरकार से अनुशंसा करने की ताकत ही रखता है. अब यह सरकार पर निर्भर है कि वह आयोग की अनुशंसा को कितनी गंभीरता से लेती है. उन्होंने कहा कि ऊपर वाले ने मुङो बिहार की सेवा करने का मौका दिया है और मैं अपनी पूरी ईमानदारी व लगन से यहां के लोगों की सेवा करूंगा. उन्होंने मीडिया से कहा कि आप आयोग के अच्छे कार्यो की अगर सराहना करते हैं, तो हमारे गलत कार्यो की आलोचना करने का आपको पूरा अधिकार है.