दो दिवसीय सेमिनार का उद्घाटन पटना एम्स के डायरेक्टर डॉ पीके सिंह और हैदराबाद से आये डॉ नागेश्वर रेड्डी ने किया. डॉ अमरेंद्र ने बताया कि दो दिवसीय सम्मेलन में बिहार के अलावे पूरे नार्थ इस्ट से 300 गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर जुटे थे.
कॉन्फ्रेंस के दौरान एक वर्कशॉप का आयोजन किया गया. इसमें हैदराबाद के डॉ नागेश्वर रेड्डी ने एक मरीज की लाइव सर्जरी कर ओपन डिस्कशन किया. ये सभी ऑपरेशन इंडोस्कोपी की सहायता से किये गये. इंडोस्कोपी विशेष डॉ नागेश्वर ने इंडोस्कोपी की सहायता से पित्त की थैली में फंसे 4 एमएम की पथरी को तोड़ कर बाहर निकाला. वहीं विशेषज्ञ डॉक्टरों ने सर्जरी की एक-एक बिंदु पर गहनता से चर्चा की और उसे छात्रों को समझाया. बाहर से दो ट्रेनर भी आये थे, जिन्होंने लाइव सर्जरी को देखने के दौरान इंडोस्कोपी को किस तरह इस्तेमाल किया जाता है, उसे डेमों के माध्यम से समझाया. इसमें डॉ वीएम दयाल भी मौजूद थे. लखनऊ एसजीपीजीआइ से आये डॉ प्रवीण राय ने अल्ट्रासाउंड इंडोस्कोपी के बारे में बताया. डॉ राय ने कहा कि इस तकनीक से पित की थैली में छोटी-से-छोटी भाग को आसानी से देख सकते हैं. आइजीआइएमएस के डॉ वीएम दयाल ने बताया कि इंडोस्कोपी के आ जाने से अब एक्लेसिया जैसी बीमारी का इलाज भी संभव हो गया है.