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शराबबंदी ने बदल दी प्रदेश की सूरत, फिर से जुड़ने लगे रिश्ते
कल शराब के साथ बिहार था, आज पूर्ण शराबमुक्त बिहार है. सूबे में पूर्ण शराबबंदी का आज पांच अप्रैल को एक साल पूरा हो गया है. इस एक साल के दौरान केवल तारीख और महीने ही नहीं बदले, साथ में पूरा प्रदेश बदला है. मुख्यमंत्री के गत वर्ष एक अप्रैल को पहले शराबबंदी और फिर […]
कल शराब के साथ बिहार था, आज पूर्ण शराबमुक्त बिहार है. सूबे में पूर्ण शराबबंदी का आज पांच अप्रैल को एक साल पूरा हो गया है. इस एक साल के दौरान केवल तारीख और महीने ही नहीं बदले, साथ में पूरा प्रदेश बदला है. मुख्यमंत्री के गत वर्ष एक अप्रैल को पहले शराबबंदी और फिर पांच अप्रैल को पूर्ण शराबबंदी के फैसले का एक साल में किस कदर असर हुआ, इसका अंदाजा इन कहानियों को पढ़ कर लगा सकते हैं, जो आज हम आपके लिए लेकर आये हैं. पढ़ें अनुपम कुमारी की यह रिपोर्ट.
1. एश्वर की जिंदगी में आया सुधार
यूनेस्को द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में विजेता बनने के बाद संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान के हस्ताक्षर वाला प्रमाणपत्र वाले एश्वर की कहानी भी आपको जाननी चाहिए. करीब 32 साल के इस युवक में प्रतिभा इस कदर भरी है कि यह जिस कार्यक्रम में भाग लेता था, अपनी छाप छोड़ ही देता था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भूतपूर्व सरसंघचालक राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया ने भी इन्हें एक बार स्वामी विवेकानंद की जयंती पर एक प्रतियोगिता में अव्वल रहने पर सम्मानित किया था. समृद्ध जमींदार परिवार से नाता रखने वाले एश्वर मवाड़ ने ज्यादा पढ़ाई नहीं की और कंस्ट्रक्शन के बिजनेस में उतर आये.
नियति को शायद कुछ और ही मंजूर था. बचपन में मां का साया सिर से उठ जाने के बाद पिता भी उन्हें इस दुनिया में अकेला छोड़ कर चल बसे. एश्वर धीरे-धीरे 17 साल की उम्र में ही शराब के आदी हो गये और उनके अंदर की सारी प्रतिभाएं, जीवन का लक्ष्य, सब कुछ सो गया. नशे ने उन्हें अपमान भरी जिंदगी जीने को धकेल दिया. आखिरकार 15 वर्षों तक शराब के नशे में डूबे रहने के बाद जब राज्य में पूर्ण शराबबंदी हुई, तो एश्वर ने भी खुद को एक मौका देने की ठान ली. उन्होंने दिशा नशामुक्ति केंद्र का सहारा लेकर खुद को शराब की लत से आजाद कराने का निर्णय ले लिया. अब वे आत्मविश्वास से भर गये हैं और जिंदगी को सम्मान के साथ जीना चाहते हैं.
2. आखिर मुन्नी देवी ने छोड़ दी शराब
अदालत गंज की मुन्नी देवी से मिलिए. सड़कों किनारे शराब की बोतले उठाते-उठाते खुद नशे की आदि हो गयी. दिन भर की मेहनत के बाद 50 रुपये कमाती और उसमें से 25 रुपये की वह शराब पी जाती. मुन्नी देवी को एक बेटा है. जिसे वह बहुत ही तंगी हालात में पाल पोस कर बड़ा की है. उसे पढ़ा-लिखा कर काबिल इनसान भी बनाया है. अब मुन्नी का बेटा किसी अच्छे कंपनी में ड्राइवर है. फिर भी मुन्नी देवी की शराब पीने की लत नहीं छुट सकी थी. पर, अब वह पूरी तरह से शराब छोड़ चुकी है. क्योंकि, उनके शराब छोड़ने की एकमात्र वजह है पूर्ण शराबबंदी. वह शराब पूरी तरह से छोड़ चुकी है और अपने बेटे बहू और पोते के साथ खुशहाल जीवन जी रही है.
3. हरेंद्र का जीवन भी हुआ गुलजार
45 वर्षीय हरेंद्र पासवान से मिलिए. नगर-निगम में दैनिक मजदूर हैं. एक साल पहले पति की हर शाम और रात नशे में गुजरती थी. घर में मारपीट और गाली-गलौज के अलावा कुछ नहीं होता था. पर, अब पूरी की पूरी सैलरी घर के कार्यों में खर्च कर रहे हैं. यहां तक कि अब बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए दैनिक मजदूरी से समय निकाल कर दूसरे कार्य को भी कर रहे हैं, ताकि बच्चे को शिक्षा दे सकें. सभी बच्चे स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. पत्नी कुछ पैसे की बचत भी कर रही है. पत्नी भी खुश है, क्योंकि पति और परिवार साथ रह कर खुशहाल जीवन जी रहे हैं.
4. जिम्मेवार पति और पिता बने नट्टू
नट्टू और इनके परिवार से मिलिए. नट्टू करीब 32 साल के हैं. करीब चार साल पहले शराब की लत लगी. दारू का नशा इस तरह सिर चढ़ कर बोलने लगा कि कमाई का आधा हिस्सा उसी में जाने लगा. ऐसे में आर्थिक हालत ऐसी हो गयी कि घर में खाने -पीने तक के लाले पड़ने लगे. पत्नी अलग परेशान रहने लगी और फिर दोनों बच्चों को पालना भी मुश्किल हो गया. घर में रोज के लड़ाई-झगड़े और किच-किच. लेकिन जब से पूर्ण शराबबंदी हुई और नट्टू के पहुंच से शराब दूर हुई, वह न केवल जिम्मेवार पति और पिता की तरह पेश आने लगे, बल्कि पूरी कमाई घर पर खर्च करते हैं.
5. दिलीप की जिंदगी में अाया बदलाव
36 वर्षीय दिलीप और उनकी पत्नी रीता के चेहरे पर आज मुस्कान है, जाे शायद ही कभी पहले होते थी. दिलीप के शराब नहीं पीने का सबसे अधिक असर हुआ है. उनके चार बच्चे हैं.चारों बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं. बेटी नंदिनी भी निजी विद्यालय ज्ञान सरोवर में पढ़ाई कर रही है. दिलीप एनटीपीसी डाकबंगला में काम करते हैं और वेतन का पूरा हिस्सा घर-परिवार पर खर्च करते हैं. पत्नी रीता कहती है कि पहले शराब पीने में आधा पैसा खर्च कर डालते थे. पर अब उनकी सेहत और घर दोनों ही सुरक्षित है. पहली बार पति के बचाये पैसे से मैं पूजा करवा रही हूं.
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