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63 प्रतिशत महिलाओं को घुटने की शिकायत, नी रिप्लेसमेंट से मिलेगा छुटकारा
पटना: दुनिया में 50 या इससे अधिक उम्र की 63 प्रतिशत महिलाएं घुटनों की समस्या से परेशान हैं. 12 साल तक चले एक अध्ययन में यह सामने आया है कि व्यक्ति किसी न किसी कारण से घुटनों के दर्द से परेशान हैं. इस की वजह घुटनों में किसी प्रकार की चोट, मोटापा या ओस्टियोआॅर्थराइटिस होता […]
पटना: दुनिया में 50 या इससे अधिक उम्र की 63 प्रतिशत महिलाएं घुटनों की समस्या से परेशान हैं. 12 साल तक चले एक अध्ययन में यह सामने आया है कि व्यक्ति किसी न किसी कारण से घुटनों के दर्द से परेशान हैं. इस की वजह घुटनों में किसी प्रकार की चोट, मोटापा या ओस्टियोआॅर्थराइटिस होता है. यह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में किये गये शोध से पता चला है. यह कहना है कोलकाता से आये हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ बीडी चटर्जी का.
सेंट्रल जोन ट्रॉमा अपडेट के दो दिवसीय सेमिनार के पहले दिन कार्यक्रम का उद्घाटन विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी ने किया. डॉ चटर्जी ने कहा कि 44 से 57 साल की 1,000 से ज्यादा महिलाओं पर अध्ययन में किया गया. रिसर्च के अनुसार जिन का बीएमआइ (बॉडी मास इंडेक्स) अधिक यानी मोटापा अधिक है, उन में घुटनों के दर्द की शिकायत ज्यादा रहती है. जब दर्द बहुत ही ज्यादा हो जाता है, तो घुटने का प्रत्यारोपण कराना पड़ता है. कार्यक्रम में छह राज्यों से 700 हड्डी के डॉक्टर जुटे हैं. नयी तकनीक व नये तरह के इलाज के बारे में ज्ञान साझा किया जा रहा है.
बेहतर ढंग से जुड़ सकती है कूल्हे की हड्डी : रोहतक से आये डॉ एनके मांगू ने कुल्हे की हड्डी पर अपना व्याख्यान दिया. उन्होंने बताया कि कूल्हे की हड्डी टूटने पर व्यक्ति का सामान्य रूप से चलना मुश्किल हो जाता है, लेकिन पेल्वी एसिटाबुलर सर्जरी हड्डी जोड़ने का सबसे बेहतर तरीका है. उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वालों में तीन से चार प्रतिशत ऐसे लोग होते हैं, जिनकी कूल्हे की हड्डी टूट जाती है. आमतौर पर इसके टूटने के बाद व्यक्ति विकलांग सा हो जाता था, लेकिन इस सर्जरी से उसका जीवन सामान्य हो सकता है.
आसान हुई स्पाइन सर्जरी : एनएमसीएच के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ महेश प्रसाद ने बताया कि स्पाइन यानी रीढ़ में लगने वाली चोट सबसे जटिल होती है. इससे व्यक्ति लकवाग्रस्त हो सकता है. उसे सर्वाइकल स्पाइन सर्जरी के माध्यम से ठीक किया जा सकता है. ऑपरेशन के माध्यम से मरीज को तीन दिन के अंदर रिकवरी हो सकती है. और उसके हाथ पैर पहले की तरह काम करने लगते हैं. इस मौके पर हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ जान मुखोपाध्याय, सचिव डॉ अमूल्या सिंह, डॉ वीके सिन्हा आदि ने नयी तकनीक के बारे में विस्तार से बताया.
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