पटना: सूबे में बुनकरों और दस्तकारों के उत्थान के लिए राज्य बुनकर और दस्तकार आयोग का गठन किया जायेगा. इसमें अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के अलावा छह सदस्य और एक सदस्य सचिव होंगे. इनका कार्यकाल अधिकतम तीन साल का होगा. आयोग मुख्य रूप से बुनकर और दस्तकार समुदायों के विकास के लिए काम करेगा.
राज्य सरकार ने आयोग के गठन की मंजूरी दे दी है. इधर, उद्योग विभाग ने भी आयोग के गठन के लिए संकल्प निकाल दिया है. लेकिन, फिलहाल लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण आयोग के सदस्यों का चयन नहीं किया जा सकेगा. लोकसभा चुनाव के बाद ही आयोग में मनोनयन की प्रक्रिया होगी.
राज्य बुनकर व दस्तकार आयोग बुनकरों व दस्तकारों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक उत्थान के लिए कल्याणकारी योजना बनायेगा और इसे सरकार के सामने रखेगा. इस आधार पर इनका विकास होगा. सूबे में 11 लाख से भी ज्यादा लोग बुनकर और दस्तकार उद्योग से जुड़े हुए हैं. इसमें अधिकतर समाज के कमजोर वर्गो से जुड़े हुए हैं. यह उद्योग पर्यावरण हितैषी है और इसकी अधिकतर इकाइयां गांव और कस्बे में लगी हुई हैं. ये उद्योग ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण समुदाय की आय का प्रमुख साधन भी है.
आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों का चयन राज्य सरकार द्वारा किया जायेगा. अध्यक्ष व उपाध्यक्ष में एक बुनकर और एक दस्तकारी से जानकार होना आवश्यक है. वहीं, छह सदस्यों में भी तीन बुनकर और तीन दस्तकारी से जुड़े होंगे. नौ सदस्यीय आयोग में कम-से-कम एक महिला, एक अल्पसंख्यक और एक अनुसूचित जाति के प्रतिनिधि होंगे. आयोग के अध्यक्ष को राज्य मंत्री, उपाध्यक्ष को उप मंत्री और सदस्यों को सरकार के सचिव स्तर का दर्जा दिया जायेगा. आयोग मुख्य रूप से बुनकरों और दस्तकारी के लिए चल रही योजनाओं का मूल्यांकन करेगा और नयी योजनाओं के लिए सरकार को सुझाव भी देगा. इसके अलावा बुनकरों व दस्तकारों का जीवन स्तर कैसे सुधरे, इस पर भी आयोग अपनी समीक्षा रिपोर्ट सरकार को देगा. साथ ही इन्हें प्रेरित किया जायेगा और आयोग इनका सर्वे भी करायेगा.