पटना: आज भी समाज में महिलाएं आत्मनिर्णय नहीं ले पाती हैं. वह घरों में बजट के अनुरूप काम तो करती हैं, पर बजट बनाने का निर्णय उनका नहीं होता है. इतना ही नहीं घरों में महिलाओं की मासिक धर्म के सेनेटरी पैड के लिए भी घरों में अलग से बजट नहीं बनते हैं. कुछ इसी तरह की बातें शनिवार को होटल पाटलिपुत्र अशोक में की गयी.
महिला जागरण केंद्र और केयर इंडिया की ओर से महिलाओं पर हाेनेवाली हिंसा के लिए कानूनों और नीतियाें के प्रभावी और समुचित क्रियान्वयन के लिए आवश्यक बजट के आवंटन के लिए राज्यस्तरीय परिचर्चा का आयोजन किया गया. जिसमें लोगों ने महिलाओं की जेंडर बजटिंग और उनके अधिकारों पर चर्चा की. पूर्व मंत्री व विधायक श्याम रजक ने कहा कि महिलाओं के लिए अलग से जेंडर बजटिंग की जरूरत है. ताकि, उनका हरसंभव विकास हो सकें. जेंडर रिसोर्स सेंटर के कार्यक्रम प्रमुख आनंद माधव ने कहा कि सरकार की अोर से जेंडर रिसोर्स सेंटर को जेंडर बजटिंग के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है. इसके लिए काम भी किया जा रहा है. कई विभाग भी अलग से जेंडर बजटिंग कर रहे हैं, ताकि महिलाअों के विकास से संबंधित काम को किया जा सकें.
जागरूकता के अभाव में नहीं ले पातीं लाभ
बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के ओएसडी किशोर कुणाल ने कहा कि जेंडर बजटिंग से ज्यादा जरूरत महिलाओं को जागरूक करने की है. क्योंकि, जागरूकता के अभाव में महिलाएं कई सरकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं ले पाती है. जैसे बालास के तहत प्रत्येक राज्य में महिलाओं को लीगली अवेयरनेस और कानूनी सुविधाएं नि: शुल्क देने का प्रावधान है. पर अब भी इसके प्रति लोगों की जानकारी कम है. कॉलेज ऑफ कॉमर्स के लाॅ फैक्ल्टी के प्रोफेसर आनंद माधव ने कहा कि महिलाओं को पहले आत्मनिर्णय लेने की क्षमता को विकसित करना होगा. सरकार की ओर से उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करने के अवसर प्रदान करने होंगे. तभी सही मायने में जेंडर बजटिंग का लाभ मिल पायेगा. अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष विद्यानंद विकल ने कहा कि हाल में केंद्रीय बजट में भी जेंडर के प्रति कोई विशेष उम्मीद नहीं दिखाई दी है. जिससे उनका विकास हो सकें. ऐसे में अब जरूरत है कि केंद्र सरकार भी गंभीरतापूर्वक जेंडर बजट पर काम करें. मौके पर महिला जागरण केंद्र की अध्यक्ष नीलू, रूपेश, मीता मोहनी समेत अन्य उपस्थित थे.