पटना. बिजली की बढ़ी दर को लेकर आज बिहार विधानमंडल में विपक्षी दलों ने जम कर हंगामा किया. विपक्षी दलों के विधायक हाथ में तख्ती लेकर पहुंचे और सरकार से अपना फैसला वापस लेने की मांग को लेकर नारेबाजी की. हालांकि ऊर्जा मंत्री विजेंद्र यादव ने सरकार की ओर से सफाई दी. उन्होंने कहा कि बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने जो नयी बिजली दर घोषित की है, वह सब्सिडी रहित है. उपभोक्ताओं को सरकार से मिलने वाली सब्सिडी मिलती रहेगी और यह इसकी राशि उपभोक्ताओं के सीधे खाते में जायेगी. उन्होंने सदन को भरोसा दिया कि इसे लेकर दो-तीन दिनों में घोषणा कर दी जायेगी.
ऊर्जा मंत्री की इस सफाई और घोषणा पर भी विपक्षी विधायक शांत नहीं हुए. विधानसभा में भाजपा विधायक दल के नेता प्रेम कुमार के नेतृत्व में विधायक नारेबाजी करते रहे.
सदन से निकलने के बाद ऊर्जा मंत्री ने बढ़ी बिजली दरों के खिलाफ विपक्ष के प्रदर्शन पर पलटवार किया. उन्होंने कि सदन में हंगामा करने वाले दल पहले यह बताएं कि देश में डीजल, पेट्रोल और गैस की कीमतें क्यों बढ़ी. मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि चूंकि सत्र चल रहा है. इसलिए वह सदन से बाहर कुछ भी नहीं कहेंगे. सरकार बिजली दर में हुई बढ़ोतरी की समीक्षा करेगी और दूसरे राज्यों की बजली दर की सूची बना यह देखेगे कि इस विषय में आगे क्या किया जा सकता है.
बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों में आज राजग सदस्यों ने वित्तीय वर्ष 2017-18 से बिजली दर में 55 प्रतिशत वृद्धि के बिहार उर्जा नियामक आयोग के प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार ने इस मामले को उठाया. उन्होंने पहली अप्रैल से प्रस्तावित बिजली दर में वृद्धि के लिए मुख्यमंत्री पर निशाना साधा और इसे वापस लेने की मांग की. राजग में भाजपा की सहयोगी पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा सेक्युलर के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी बिजली दर में इस वृद्धि को वापस लेने की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार को अपने पिछले कार्यकाल के दौरान पांच एकड तक खेत वाले किसानों की बिजली बिल माफ किए जाने की घोषणा की याद दिलायी.
बिजली दर में वृद्धि के विरोध में भाजपा के 12 विधायकों ने विधानसभा में कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया था, जिसे अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी ने अस्वीकृत कर दिया.विधानसभा में भाजपा के एक सदस्य मिथिलेश तिवारी ने बिजली दर में प्रस्तावित वृद्धि को वापस लिए जाने का जिक्र अपने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में किया.
बिहार के उर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने सदन को बताया कि राज्य सरकार ने सबसिडी बिजली कंपनियों को देने के बजाए सीधे उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है.उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखते हुए मामले का विस्तृत अध्ययन कर इसपर एक अप्रैल से पहले फैसला लेंगे.
बिहार विधानपरिषद में भाजपा सदस्य लाल बाबू प्रसाद और रजनीश कुमार ने बिजली दर में प्रस्तावित वृद्धि को वापस लिए जाने को लेकर कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया था। उसे सभापति अवधेश नारायण सिंह द्वारा अस्वीकृत कर दिए जाने पर भाजपा सदस्यों विरोध जताया.
बाद में अपने कक्ष में पत्रकारों से बातचीत करते हुए विधानपरिषद में नेता प्रतिपक्ष सुशील कुमार मोदी ने सरकार के बिजली दर में वृद्धि के प्रस्ताव को जनविरोधी बताया.उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार बिजली कंपनियों की अक्षमता की सजा उपभोक्ताओं को दी है जिसे भाजपा किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी और सरकार के इस निर्णय का जोरदार ढंग से राज्यव्यापी विरोध करेगी.
सुशील ने कहा कि बिहार में बिजली की टी एंड डी लॉस 40 प्रतिशत है जिसे घटा कर 15 प्रतिशत किया जाना था मगर सरकार उल्टे सभी स्तर के उपभोक्ताओं की बिजली दर में अप्रत्याशित बढोत्तरी कर अपना जनविरोधी चेहरा उजागर कर दिया है.